बैंक डिफाल्टरों के चुनाव लड़ने पर लग सकती है रोक, अगर आयोग ने मान ली यह बात
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बैंक डिफाल्टरों के चुनाव लड़ने पर लग सकती है रोक, अगर आयोग ने मान ली यह बात

बैंक कर्मियों के एक संगठन ने चुनाव आयोग से मांग की है कि आम चुनाव लड़ने वाले प्रत्येक उम्मीदवार से उसके बैंक की तरफ से एनओसी जमा करने के लिए कहा जाना चाहिए.

बैंक डिफाल्टरों के चुनाव लड़ने पर लग सकती है रोक, अगर आयोग ने मान ली यह बात

नई दिल्ली : बैंक कर्मियों के एक संगठन ने चुनाव आयोग से मांग की है कि आम चुनाव लड़ने वाले प्रत्येक उम्मीदवार से उसके बैंक की तरफ से एनओसी जमा करने के लिए कहा जाना चाहिए. उम्मीदवार से मांगी जाने वाली तमाम जानकारी में बैंक से अनापत्ति प्रमाण पत्र देने की शर्त को भी जोड़ा जाना चाहिए. दिल्ली प्रदेश बैंक कर्मचारी संगठन की तरफ से कहा गया कि संगठन ने इस संबंध में मुख्य चुनाव आयुक्त को पत्र भेजा है. इसमें कहा गया है कि चुनाव लड़ने वाले प्रत्येक उम्मीदवार को उनके बैंकरों की तरफ से जारी एनओसी जमा कराने के लिए कहा जाना चाहिए. उन्हें इस बात का प्रमाण देना चाहिए कि उन पर बैंकों का कोई कर्ज नहीं फंसा है.

आम आदमी के लिए सिबिल स्कोर जांचते हैं बैंक
संगठन के महासचिव अश्विनी राणा की ओर से कहा गया कि यदि किसी आम आदमी को बैंकों से कर्ज लेना होता है तो बैंक पहले उसका सिबिल स्कोर जांचते हैं और विभिन्न मानकों पर खरा उतरने के बाद ही उसे कर्ज आवंटित करते हैं. इसी आधार पर हर प्रत्याशी के लिए भी यह अनिवार्य किया जाना चाहिए कि उसने या उसके किसी संबंधी ने बैंक का कर्ज लेकर उसे लौटाने में कोई गड़बड़ी नहीं की है. बैंकों के किसी फंसे कर्ज यानी एनपीए में उनकी कोई संलिप्तता नहीं है.

कर्ज माफी की घोषणा पर भी रोक लगाने की मांग
बैंक कर्मचारियों के इस संगठन ने राजनीतिक दलों द्वारा मतदाताओं को लुभाने के लिये किसान कर्ज माफी जैसी घोषणाएं और वादे करने पर भी रोक लगाने की मांग की है. संगठन ने कहा कि इस तरह की घोषणाओं के कारण कई बार ऐसा होता है कि कर्ज चुकाने में सक्षम किसान भी माफी के लोभ में जानबूझकर कर्ज की किस्त नहीं भरते हैं.

सरकार की तरफ से ऐसा किया जाने से संकट का सामना कर रहे बैंकिंग क्षेत्र की मुश्किलें और बढ़ती हैं. उल्लेखनीय है कि देश का बैंकिंग तंत्र विशेषकर सरकारी क्षेत्र के बैंक पहले से ही भारी एनपीए के बोझ तले दबे हुये हैं. बैंकों का हजारों करोड़ रुपये कर्ज लेनदारों के पास फंसा है. इससे बैंकों के कामकाज पर बुरा असर पड़ा है.

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