मजबूर हुए मुकेश अंबानी, अब चाह कर भी नहीं कर पाएंगे ये काम
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मजबूर हुए मुकेश अंबानी, अब चाह कर भी नहीं कर पाएंगे ये काम

दरअसल, अनिल अंबानी को तगड़ा झटका लगा है, जिसके बाद उनके बड़े भाई और देश के अमीर शख्स मुकेश अंबानी कोई आर्थिक मदद नहीं कर सकेंगे. 

आर्बिट्रेशन कोर्ट के फैसले के खिलाफ आरकॉम ने बॉम्बे हाईकोर्ट में अपील की थी.

नई दिल्ली: रिलायंस कम्युनिकेशंस के बिगड़ते हालातों ने मुकेश अंबानी को भी मजबूर कर दिया है. अब वह चाह कर भी अपने छोटे भाई अनिल अंबानी की मदद नहीं कर पाएंगे. दरअसल, अनिल अंबानी को तगड़ा झटका लगा है, जिसके बाद उनके बड़े भाई और देश के अमीर शख्स मुकेश अंबानी कोई आर्थिक मदद नहीं कर सकेंगे. इसकी बड़ी वजह रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) के खिलाफ आया बॉम्बे हाईकोर्ट का फैसला है. फैसले के बाद अब आरकॉम कोर्ट की मंजूरी के बिना कोई एसेट नहीं बेच पाएगी. आपको बता दें, रिलायंस कम्युनिकेशंस पर बहुत बड़ा कर्ज है और इससे उबरने के लिए उसने मुकेश अंबानी की जियो को अपनी एसेट बेचने के लिए बड़ी डील की थी.

  1. आरकॉम की मदद नहीं कर पाएंगे मुकेश अंबानी
  2. जियो और आरकॉम के बीच हुई थी करोड़ों की डील
  3. बॉम्बे हाईकोर्ट ने बिना मंजूरी लगाई एसेट बिक्री पर रोक

आरकॉम पर 45 हजार करोड़ का कर्ज
रिलायंस कम्युनिकेशंस पर कुल 45 हजार करोड़ रुपए का कर्ज है. लेनदारों के भारी दबाव के चलते अनिल अंबानी दिसंबर, 2017 में कर्ज चुकाने के लिए एक प्लान पेश किया था. इसमें उनके भाई मुकेश अंबानी बड़े मददगार के तौर पर सामने आए थे.

जियो से हुई थी डील
अनिल अंबानी ने बड़े भाई की कंपनी रिलायंस जियो के साथ हजारों करोड़ रुपए की डील का ऐलान किया था, जिसके तहत आरकॉम की एसेट जियो को बेचने का प्रस्ताव था. लेकिन, कोर्ट के फैसले से दोनों के बीच हुई इस डील को भी झटका लगा है. डील नहीं होने से मुकेश अंबानी मजबूर हैं कि वो अब अनिल अंबानी की कंपनी को वित्तीय संकट से नहीं निकाल पाएंगे.

अब नहीं होगी डील
आरकॉम की याचिका खारिज होने से मुकेश अंबानी की कंपनी जियो और आरकॉम के बीच डील नहीं हो पाएगी. इस डील से अनिल अंबानी को 45 हजार करोड़ का कर्ज आधा होने की उम्मीद थी. वित्तीय संकट से उबरने के लिए अनिल अंबानी को इस डील से ही उम्मीद थी. इससे पहले भी एयरसेल के साथ डील खत्म होने से आरकॉम की मुश्किलें बढ़ी थीं.

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आर्बिट्रेशन कोर्ट ने लगाई थी रोक
स्वीडन की कंपनी इरिक्सन ने आरकॉम के साथ नेटवर्क ऑपरेशन और प्रबंधन के लिए 7 साल का करार किया था. इसी करार के तहत आरकॉम पर उसका लगभग 1155 करोड़ रुपए बकाया है. कंपनी ने सितंबर, 2017 में आरकॉम के खिलाफ इनसॉल्वेंसी पिटीशन दाखिल की थी. आर्बिट्रेशन कोर्ट ने पिटीशन पर सुनवाई करते हुए आरकॉम व उनकी दो कंपनियों पर बिना कोर्ट की मंजूरी के एसेट्स ट्रांसफर और बिक्री पर रोक लगा दी थी.

अब बॉम्बे हाईकोर्ट ने दिया झटका
आर्बिट्रेशन कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ आरकॉम ने बॉम्बे हाईकोर्ट में अपील की थी. आरकॉम ने आर्बिट्रेशन कोर्ट के आदेश पर रोक लगाने का अनुरोध किया था. हालांकि, बॉम्बे हाईकोर्ट से भी आरकॉम को कोई राहत नहीं मिली और कोर्ट ने उसकी याचिका खारिज कर दी. दलीलें सुनने के बाद हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश दिया और आर्बिट्रेशन कोर्ट के आदेश को बरकरार रखने का फैसला किया.

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