ILFS समूह पर कुल 91,000 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज हैऔर उसे धन की भारी कमी से जूझना पड़ रहा है.
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मुंबई: मुंबई कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर शनिवार को आरोप लगाया कि वह कर्ज के बोझ तले दबी इंफ्रास्ट्रक्चर लिजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज (आईएलएंडएफएस) कंपनी को बचाने के लिए भारतीय जीवन बीमा निगम लिमिटेड (एलआईसी) और भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) पर दबाव डाल रही है. एलआईसी ILFS में 25.34 प्रतिशत और एसबीआई 6.42 प्रतिशत की हिस्सेदार है. आईएलएंडएफएस समूह पर कुल 91,000 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज है और उसे धन की भारी कमी से जूझना पड़ रहा है. कंपनी 27 अगस्त के बाद कर्ज पर ब्याज के भुगतान में कई बार चूक कर चुकी है.
मुंबई कांग्रेस के अध्यक्ष संजय निरुपम ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि बुनियादी ढांचा क्षेत्र की यह दिग्गज कंपनी भाजपा नीत सरकार के सयय में "दिवालिया" हुई है.यह कॉर्पोरेट संचालन की कमी का नतीजा है. निरूपम ने कहा कि केंद्र सरकार एलआईसी और एसबीआई पर दबाव डाल रही है कि वे आईएलएंडएफएस को बचने के लिए पैकेज दें. उन्होंने इसकी जांच की मांग की है. उन्होंने कहा, "30 साल पुरानी कंपनी आज पूरी तरह से दिवालिया हो गयी है. कैसे पिछले तीन साल में कंपनी का कर्ज 44 प्रतिशत उछला और उसका मुनाफा 900 प्रतिशत गिरा?"
निरूपम ने कहा कि एलआईसी के करीब 29 करोड़ पॉलिसीधारक और उनमें से ज्यादातर आम आदमी हैं. सरकार चाहती है कि एलआईसी और एसबीआई के पैसों को विदेशी निवेशकों की हितों की रक्षा के लिये खर्च किया जाये. यह पैसे देश के आम इंसान की मेहनत की कमाई है.
(इनपुट-भाषा)