गरीबी उन्मूलन की दिशा में काम करने वाली संस्था ऑक्सफैम ने गुरूवार को अपनी रिपोर्ट में कहा कि कोरोना वायरस से दुनिया की करीब आधी अरब आबादी गरीबी की गर्त में जा सकती है.
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नई दिल्ली: चीन से फैले कोरोना वायरस (Coronavirus) ने दुनिया भर की आर्थिक गतिविधियों पर ब्रेक लगा दिया, जिसके बाद कहा जा रहा है कि पूरी दुनिया पर आर्थिक मंदी का साया मंडरा रहा है. गरीबी उन्मूलन की दिशा में काम करने वाली संस्था ऑक्सफैम ने गुरूवार को अपनी रिपोर्ट में कहा कि कोरोना वायरस से दुनिया की करीब आधी अरब आबादी गरीबी की गर्त में जा सकती है.
ऑक्सफैम ने गुरुवार को कहा कि कोरोनोवायरस के फैलने से 83,000 से अधिक लोग मारे गए हैं और दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं पर कहर बरपा है. जिससे करीब आधी अरब आबादी गरीबी में डूब सकती है. नैरोबी स्थित चैरिटी द्वारा अगले सप्ताह के अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ)/ विश्व बैंक की वार्षिक बैठक से पहले जारी की गई रिपोर्ट में घरेलू आय या खपत के कारण वैश्विक गरीबी पर संकट के प्रभाव की गणना की गई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि 'तेजी से सामने आ रहा ये आर्थिक संकट, 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट से गहरा है.'
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International Monetary Fund (IMF) पहले भी ये आशंका जता चुका है कि दुनिया की अर्थव्यवस्था वर्ष 1930 के बाद सबसे बड़ी आर्थिक मंदी का शिकार हो सकती है. 1930 में अर्थव्यवस्था में आई महामंदी की वजह से दुनिया की GDP 15 प्रतिशत तक गिर गई थी. जबकि वर्ष 2008 की आर्थिक मंदी से दुनिया की GDP को सिर्फ 1 प्रतिशत का नुकसान हुआ था. लेकिन 2020 में ये नुकसान 15 से 20 गुना ज्यादा बड़ा हो सकता है.
इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र के श्रम निकाय ने कोरोना वायरस संकट को दूसरे विश्व युद्ध के बाद सबसे भयानक संकट बताया है. इन्होंने चेतावनी दी है कि कोरोना वायरस संकट के कारण भारत में अनौपचारिक क्षेत्र में काम करने वाले करीब 40 करोड़ लोग गरीबी में फंस सकते हैं और अनुमान है कि इस साल दुनिया भर में 19.5 करोड़ लोगों की पूर्णकालिक नौकरी छूट सकती है.