तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि कंपाउंड इंटरेस्ट को वापस करना पूरी तरह से बैंकों का जिम्मा है, जिसे उन्हें पूरा करना है, कर्जदारों को इसके लिए बैंक आने की जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने मोरेटोरियम के दौरान EMI भरी है, उन्हें सजा नहीं मिलनी चाहिए. मोरेटोरियम का फायदा लेने वाले या नहीं लेने वाले दोनों को इसका फायदा होगा.
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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने रिजर्व बैंक की लोन मोराटोरियम स्कीम में कंपाउंड इंटरेस्ट माफी (Compound interest waiver) का फायदा क्रेडिट कार्डधारकों (Credit cardholders) को दिए जाने पर सवाल उठाया है. गुरुवार को लोन मोरोटोरियम केस की सुनवाई की दौरान जस्टिस एम आर शाह ने कहा कि क्रेडिट कार्ड इस्तेमाल करने वालों को कंपाउंड इंट्रेस्ट में छूट नहीं मिलनी चाहिए. क्योंकि वो क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल खरीदारी करने में करते हैं, वो कर्जदार नहीं हैं.
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पैरवी कर रहे तुषार मेहता ने कहा कि क्रेडिट कार्ड यूजर को भी 'एक्स ग्रेशिया' मिलेगा. उन्होंने कहा कि मैं भी एक क्रेडिट कार्ड यूजर हूं और मुझे भी ex-gratia payment मिलने का SMS आया है'
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 'क्रेडिट कार्ड यूजर इसका इस्तेमाल चीजें खरीदने में करते हैं, उन्होंने कोई लोन नहीं लिया है. उन्हें इसका फायदा नहीं दिया जाना चाहिए'
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तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि कंपाउंड इंटरेस्ट को वापस करना पूरी तरह से बैंकों का जिम्मा है, जिसे उन्हें पूरा करना है, कर्जदारों को इसके लिए बैंक आने की जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने मोरेटोरियम के दौरान EMI भरी है, उन्हें सजा नहीं मिलनी चाहिए. मोरेटोरियम का फायदा लेने वाले या नहीं लेने वाले दोनों को इसका फायदा होगा.
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आपको बता दें कि इससे पहले 2 अक्टूबर को वित्त मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया था, जिसमें उनसे कहा था कि सरकार 2 करोड़ रुपए तक के लोन की EMI पर वसूला जाने वाला कंपाउंड इंटरेस्ट चुकाएगी. 5 नवंबर से कर्जदारों के खाते में ब्याज का कैशबैक आ जाएगा. बैंकों ने कर्जदारों के खातों में कैशबैक का पैसा भेजा भी शुरू कर दिया है.
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रिजर्व बैंक RBI ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर कर कहा था कि अगर बैंक ब्याज माफी करते हैं तो इससे उनकी बैलेंस शीट पर बुरा असर होगा जिससे बैंक के डिपॉजिटर्स भी प्रभावित होंगे। RBI ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने 4 सितंबर को EMI ना चुकाने वालों को डिफॉल्टर की लिस्ट में ना डालने का जो फैसला किया था, उसे तुरंत खत्म किया जाए
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