अब नौकरी छोड़ना भी होगा महंगा! नोटिस पीरियड में भी भरना होगा GST
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अब नौकरी छोड़ना भी होगा महंगा! नोटिस पीरियड में भी भरना होगा GST

नोटिस पीरियड में कर्मचारियों के काम करने के भुगतान पर, ग्रुप इंश्योरेंस पॉलिसी के लिये कर्मचारियों से अतिरिक्त प्रीमियम लेने और कर्मचारियों के मोबाइल फोन बिल के भुगतान करने पर अब एम्पलॉयर को जीएसटी (Goods and Services Tax) देना होगा. 

प्रतीकात्मक तस्वीर

नई दिल्ली: इनकम टैक्स विभाग के अथॉरिटी फॉर एडवांस रुलिंग (Authority for Advance Ruling) ने कहा है कि नोटिस पीरियड में कर्मचारियों के काम करने के भुगतान पर, ग्रुप इंश्योरेंस पॉलिसी के लिये कर्मचारियों से अतिरिक्त प्रीमियम लेने और कर्मचारियों के मोबाइल फोन बिल के भुगतान करने पर अब एम्पलॉयर को जीएसटी (Goods and Services Tax) देना होगा. 

  1. नोटिस पीरियड के भुगतान पर भी देना होगा GST
  2. मोबाइल बिल के भुगतान पर एम्पलॉयर भरेंगे जीएसटी
  3. कर्मचारियों की जेब पर पड़ेगा असर
  4.  

क्या है पूरा आदेश?

आदेश के मुताबिक नोटिस भुगतान के मामले में, कंपनी वास्तव में एक कर्मचारी को 'एक सेवा प्रदान कर रही है' और इसलिए उस पर GST लागू किया जाना चाहिए. जीएसटी के नियमों के तहत, GST हर उस गतिविधि पर कर लगाया जाता है जिसे सेवा की आपूर्ति के रूप में देखा जाता है.

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नोटिस पीरियड के पैसों पर भी देना होगा जीएसटी

एक एम्पलॉई को अपनी नौकरी छोड़ते समय कंपनी में कुछ दिन का नोटिस पीरियड सर्व करना होता है. यह टाइम इसलिए लिया जाता है कि आपकी जगह कंपनी किसी अन्य व्यक्ति को हायर कर सके. आमतौर पर यह नोटिस पीरियड करीब 30 दिन का होता है. इसके लिए कंपनी आपको भुगतान भी करती है. लेकिन अथॉरिटी फॉर एडवांस रुलिंग के नए नियमों के मुताबिक इस रकम पर कंपनी को GST भरना होगा. 

पॉलिसी और अन्य बिलों पर भी GST का बोझ

द इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार इसके अलावा कंपनी ने यदि कोई ग्रुप इंश्योरेंस पॉलिसी ले रखी है और उसके प्रीमियम का एक हिस्सा अपने कर्मचारी से वसूलती है तो उस अतिरिक्त प्रीमियम रकम पर भी कंपनी को जीएसटी का भुगतान करना होगा. साथ ही अगर कंपनी मोबाइल बिल का भुगतान कंपनी करती है तो उस पर भी GST देना होगा. जबकि मोबाइल बिल पर पहले से ही जीएसटी देना होता है. 

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कर्मचारियों की जेब पर पड़ेगा असर

वैसे तो अथॉरिटी फॉर एडवांस रुलिंग के आदेश के मुताबिक इन सेवाओं पर जीएसटी कंपनियों को देना होगा लेकिन जाहिर सी बात है कि कंपनियां अधिकतर इस तरह की सेवाओं का बोझ कर्मचारियों पर ही डाल देती हैं. 

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