सरकारी थिंकटैंक नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार का कहना है कि चालू वित्त वर्ष में देश की आर्थिक वृद्धि दर 7.5 प्रतिशत तक पहुंच सकती है. इसकी प्रमुख वजह निवेश चक्र में सुधार और उद्योगों की पूरी क्षमता का इस्तेमाल होना है.
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नई दिल्ली : सरकारी थिंकटैंक नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार का कहना है कि चालू वित्त वर्ष में देश की आर्थिक वृद्धि दर 7.5 प्रतिशत तक पहुंच सकती है. इसकी प्रमुख वजह निवेश चक्र में सुधार और उद्योगों की पूरी क्षमता का इस्तेमाल होना है. उन्होंने कहा कि सरकार को अब पिछले 47 महीने में की गई सुधार पहलों को एकजुट और मजबूत करने पर ध्यान देने की जरूरत है. कुमार ने कहा, 'देश में आर्थिक माहौल सकारात्मक और आशान्वित है. निवेश चक्र भी ऊपर की ओर बढ़ रहा है.
मुद्रास्फीति अभी भी लक्ष्य के भीतर बनी हुई
राजीव कुमार ने कहा कि उद्योगों का क्षमता इस्तेमाल बढ़कर 74 प्रतिशत हो गया और मुद्रास्फीति अभी भी लक्ष्य के भीतर बनी हुई है.' कुमार ने कहा, 'प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) बढ़ रहा है और मुझे उम्मीद है कि 2018-19 में आर्थिक वृद्धि कम से कम 7.5 प्रतिशत पर पहुंच जाएगी.' वित्त वर्ष 2017-18 में आर्थिक वृद्धि दर 6.6 प्रतिशत रहने की उम्मीद है. यह पूछे जाने पर कि सरकार को अगले एक साल में कौन से आर्थिक सुधारों की पहल करनी चाहिये? जवाब में कुमार ने कहा, ‘सरकार ने कई सुधार और पहलें की हैं और सरकार को नए सुधार या पहल शुरू करने के बजाय पुरानों पर ही ध्यान केंद्रित करते हुये उन्हें मजबूती देनी चाहिए.'
फिच ने घटाई भारत की रेटिंग
इससे पहले क्रेडिट रेटिंग एजेंसी फिच ने भारत की दीर्घकालिक विदेशी मुद्रा जारीकर्ता डिफाल्ट रेटिंग (आईडीआर) को बीबीबी- (माइनस) कर दिया है, जबकि दृष्टिकोण को स्थिर रखा है. फिच ने एक बयान में कहा, 'भारत की रेटिंग मध्यम अवधि के विकास दृष्टिकोण, अनुकूल बाहरी संतुलन के साथ कमोजर राजकोषीय वित्त और कुछ हानिकारक संरचनात्मक कारकों को ध्यान में रखते हुए दी गई, जिसमें सरकार के मानकों और व्यापार वातावरण में हो रहे सुधार को भी ध्यान में रखा गया है.'
फिच ने कहा कि भारत के क्रेडिट प्रोफाइल का समर्थन करने के लिए एक अनुकूल आर्थिक विकास दृष्टिकोण बरकरार है, हालांकि आधिकारिक प्रारंभिक अनुमानों के मुताबिक 31 मार्च, 2018 को खत्म हुए वित्त वर्ष में जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) की वास्तविक वृद्धि दर गिरकर 6.6 फीसदी रही है, जोकि वित्त वर्ष 2016-17 में 7.1 फीसदी थी. फिच ने अनुमान लगाया है कि देश की वृद्धि दर वित्त वर्ष 2018-19 में 7.3 फीसदी रहेगी, जबकि वित्तवर्ष 2019-20 में यह बढ़कर 7.5 फीसदी हो जाएगी.
इससे पहले वर्ल्ड बैंक ने भी मार्च में कहा था कि जीएसटी और विमुद्रीकरण के चलते निचले स्तर पर पहुंचने के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर वित्त वर्ष 2019-20 तक वापस 7.5 फीसदी बनी रह सकती है. वर्ल्ड बैंक की तरफ से कहा गया था कि भारत की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) वृद्धि दर वित्त वर्ष 2017-18 में बढ़कर 7.3 प्रतिशत होने का अनुमान है. आगे वित्त वर्ष 2018-19 और 2019-20 में क्रमश: विकास दर 7.5 फीसदी बनी रह सकती है.