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नई दिल्ली: क्या आप अपनी कार बेचने वाले हैं या हाल ही में अपनी कार को बेचा है? ऐसे में, आप सोच रहे होंगे कि उस पर लगे फास्टैग (FASTag) का क्या होगा. आपका जानना बेहद जरूरी है कि आपको सबसे पहले टैग जारी करने वाले बैंक को इसके बारे में सूचित करना है और अकाउंट को बंद कराना है. नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने अपनी वेबसाइट पर इसकी जानकारी दी है.
अगर आपने अपने वाहन को बेचा या ट्रांसफर किया है, तो आपको फास्टैग को तुरंत डिएक्टिवेट या बंद करा देना चाहिए. अगर अपने ऐसा नहीं किया तो टोल पेमेंट की कटौती उसी अकाउंट से होती रहेगी. यानी आपके अकाउंट से पैसा कटता रहेगा. दरअसल, टोल पेमेंट उसी सोर्स अकाउंट से कटेगा, जिससे फास्टैग अकाउंट लिंक्ड है.
इतना ही नहीं, जब तक आपका फास्टैग अकाउंट लिंक रहेगा तो आपके कार के नए मालिक को भी कार के लिए नया फास्टैग नहीं मिल पाएगा. क्योंकि एक वाहन से केवल एक एक्टिव फास्टैग को ही लिंक किया जा सकता है.
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वैसे तो, अलग-अलग सर्विस प्रोवाइडर्स की फास्टैग लिंक्ड अकाउंट या ई-वॉलेट को बंद या डिएक्टिवेट कराने के लिए अलग प्रक्रिया होती है. लेकिन, सबसे आम तरीकों में से एक है कि आप अपने फास्टैग प्रोवाइडर ते कस्टमर सपोर्ट से संपर्क करें और फास्टैग लिंक्ड अकाउंट को बंद या डिएक्टिवेट कराने के लिए रिक्वेस्ट को सब्मिट करें.
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इसके साथ ही आपको बताते चलें कि फास्टैग एक स्टीकर है, जिसे आपकी गाड़ी के विंडस्क्रीन पर लगाया जाता है. जब आप नेशनल हाइवे पर यात्रा के दौरान किसी भी टोल को क्रॉस करते हैं तो वहां पर लगे स्कैनर गाड़ी पर लगे स्टीकर को डिवाइस रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFID) टेकनीक के जरिए स्कैन कर लेते हैं. इससे आपको जगह जगह रुक कर पेमेंट नहीं करना होता है.