Income Tax Return: अगर आपने अबतक Income Tax रिटर्न नहीं भरा है तो इसी महीने भर लीजिए, क्योंकि 1 जुलाई से आपको इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है आपको बता दें कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने ITR नहीं भरने वालों के लिए नियम काफी सख्त कर दिए हैं.
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नई दिल्ली: Income Tax Return: अगर आपने अबतक Income Tax रिटर्न नहीं भरा है तो इसी महीने भर लीजिए, क्योंकि 1 जुलाई से आपको इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है आपको बता दें कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने ITR नहीं भरने वालों के लिए नियम काफी सख्त कर दिए हैं. वित्त वर्ष 2020-21 के इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करने की आखिरी तारीख 31 जुलाई से बढ़ाकर 30 सितंबर कर दी गई है. आज से इनकम टैक्स का नया पोर्टल भी शुरू हो गया है.
Finance Act, 2021 के नए नियमों के मुताबिक अगर कोई टैक्सपेयर लगातार दो साल से इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल नहीं करता है तो उसे दोगुना TDS और TCS चुकाना होगा. अगर इन दो सालों TDS, या TCS का बकाया 50 हजार रुपये या इससे ज्यादा है तो ऊंची दरों के हिसाब से टीडीएस देना होगा. यह नियम 1 जुलाई 2021 से लागू हो जाएगा, पीनल TDS और TCS की दरें 10-20 परसेंट होंगी, जो कि सामान्यतौर पर 5-10 परसेंट होती हैं.
नए टीडीएस नियमों के मुताबिक इनकम टैक्स एक्ट 1961 के सेक्शन 206AB के तहत आयकर कानून के मौजूदा प्रावधानों के दोगुना या प्रचलित दर के दोगुने में या फिर 5 फीसदी में से जो भी ज्यादा होगा उस हिसाब से TDS लग सकता है. TCS के लिए भी मौजूदा प्रावधानों के मुताबिक प्रचलित दर या 5 परसेंट में से जो भी ज्यादा होगा उसके हिसाब से यह देय होगा.
इनकम टैक्स का सेक्शन 206AB का ये नियम सेक्शन 192 के तहत सैलरी, 192A के तहत कर्मचारियों के बकाए के भुगतान, 194B के तहत लॉटरी, क्रॉस वर्ड में जीती गई रकम, घोड़े की रेस में जीती गई रकम, 194LBC के तहत सिक्योरिटाइजेशन ट्रस्ट में निवेश से हासिल आय और कैश विड्रॉल पर लागू नहीं होगा.
इसके अलावा Section 206AB के तहत भारत में स्थायी प्रतिष्ठान न रखने वाले नॉन रेजिडेंट टैक्सपेयर पर भी यह लागू नहीं होगा. अगर दोनों सेक्शन 206AA (पैन न रहने की स्थिति में ज्यादा टीडीएस रेट) और 206AB लागू होता है तो टीडीएस रेट ऊपर बताई दरों से ज्यादा होगा. जहां तक टीसीएस का सवाल है तो सेक्शन 206CC और 206CCA के तहत ज्यादा टीसीएस लागू होगा.
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आय में टैक्स को काटकर कर्मचारी को रकम दी जाती है, जो टैक्स काटा गया है उसे ही TDS कहते हैं यानी Tax Deducted at Source. ये अलग-अलग तरह की आय स्रोतों पर काटा जाता है जैसे सैलरी, किसी निवेश पर मिले ब्याज या कमीशन वगैरह. जैसे सैलरीड क्लास जो नौकरी करता है, उसकी कंपनी पहले ही TDS काट लेती है फिर सैलरी कर्मचारी के अकाउंट में डालती है. ये टीडीस कंपनी सरकार को देती है.
Tax Collected at Source यानी TCS का मतलब है कि किसी सेलर, डीलर, दुकानदार ने ग्राहक से टैक्स वसूल किया और सरकार को जमा कर दिया. इसे ही TCS कहते हैं.
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