रघुराम राजन बोले, 'राहुल द्रविड़ की तरह खेलना चाहिए, सिद्धू की तरह नहीं'
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रघुराम राजन बोले, 'राहुल द्रविड़ की तरह खेलना चाहिए, सिद्धू की तरह नहीं'

राजन ने कहा कि वर्तमान परिस्थिति में केंद्रीय बैंक (RBI) की भूमिका कार की सीट बेल्ट की तरह है, जो दुर्घटना रोकने के लिए जरूरी होती है.

फाइल फोटो

नई दिल्लीः रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया और केंद्र सरकार के बीच कई मुद्दों को लेकर चल रहे टकराव को लेकर पूर्व आरबीआई चीफ रघुराम राजन ने अहम सलाह दी है. राजन का कहना है कि वर्तमान हालात में केंद्रीय बैंक (RBI) की भूमिका धीर-गंभीर फैसले लेने वाले की होनी चाहिए. इसको उदाहरण के रूप में समझाते हुए राजन ने कहा, 'RBI की भूमिका राहुल द्रविड़ की तरह होनी चाहिए, ना कि नवजोत सिद्धू की तरह बयानबाजी करने वाले की.' ये बात उन्होंने अंग्रेजी अखबार इकोनोमिक टाइम्स को लिए एक इंटरव्यू में कही.

इसके अलावा सीएनबीसी टीवी-18 के दिए इंटरव्यू में भी रघुराम राजन ने आरबीआई को सलाह देते हुए कहा, 'वर्तमान परिस्थिति में केंद्रीय बैंक (RBI) की भूमिका कार की सीट बेल्ट की तरह है, जो दुर्घटना रोकने के लिए जरूरी होती है.' राजन ने कहा कि यह फैसला सरकार को करना है कि वह सीट बेल्ट पहनना चाहती है या नहीं? उन्होंने कहा कि सरकार विकास को बढ़ावा देने के बारे में सोचती है, तो केंद्रीय बैंक वित्तीय स्थिरता पर फोकस करता है. केंद्रीय बैंक के पास ना कहने का अधिकार है क्योंकि वह स्थिरता बरकरार रखने के लिए जिम्मेदार है. 

फर्जीवाड़ा करने वालों से निबटने के लिए राजन ने कहा कि ऐसे लोगों को कानून के कठघरे में लाने के लिए सख्ती से कानून लागू करना चाहिए, उन्होंने कहा कि यह काम जारी है. बैंकों के साथ धोखाधड़ी करने वालों के बारे में राजन ने कहा, 'मैं अच्छी तरह समझ नहीं पा रहा हूं कि इन नामों को क्यों सार्वजनिक नहीं किया जा सकता, अगर फर्जीवाड़ा करने वालों को सजा नहीं दी गई तो वे और फर्जीवाड़ा करने को उत्साहित होंगे. 

बता दें कि इस तरह की खबरें आ रही हैं कि उर्जित पटेल की अगुवाई वाले आरबीआई और सरकार में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. आरबीआई के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य के एक वक्तव्य के बाद केंद्रीय बैंक और सरकार के बीच मतभेद खुलकर सतह पर आ गए थे. डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने कहा था कि जो सरकारें अपने केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता का सम्मान नहीं करतीं उन्हें देर सबेर ‘बाजारों के आक्रोश ‘ का सामना करना पड़ता है. 

इसके बाद यह सामने आया कि सरकार ने एनपीए नियमों में ढील देकर कर्ज सुविधा बढ़ाने सहित कई मुद्दों के समाधान के लिए आरबीआई अधिनियम के उस प्रावधान का इस्तेमाल किया है, जिसका उपयोग पहले कभी नहीं किया गया था ताकि वृद्धि दर तेज की जा सके. हालांकि केंद्रीय बैंक की सोच है कि इन मुद्दों पर नरमी नहीं बरती जा सकती है. राजन ने कहा, “निश्चित तौर पर आरबीआई यूं ही ना नहीं कहता है. वह ऐसा तब कहता है, जब परिस्थितियों की जांच के बाद उसे लगता है कि प्रस्तावित कदम से बहुत अधिक वित्तीय अस्थिरता आएगी.” 

पूर्व गवर्नर ने कहा, “मेरे ख्याल से यह रिश्ता लंबे समय से चलता आ रहा है और यह पहला मौका नहीं है जब आरबीआई ने ना कहा हो. सरकार लगातार यह कह सकती है कि इस पर गौर कीजिए, उस पर गौर कीजिए लेकिन साथ ही वह कहती है कि ठीक है, मैं आपके फैसले का सम्मान करती हूं, आप वित्तीय स्थिरता को बनाये रखने वाले नियामक हैं और मैं (अपना प्रस्ताव) वापस लेती हूं.” उन्होंने कहा, “जब आपने इन डिप्टी गवर्नरों और गवर्नर को नियुक्त किया है तो आपको उनकी बात सुननी होगी क्योंकि आपने इसी काम के लिए उनकी नियुक्ति की है, वे सेफ्टी बेल्ट हैं.” 

(इनपुट भाषा से)

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