भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) 21 जुलाई को सभी दूरसंचार कंपनियों के साथ वायस और डाटा शुल्कों के लिए ‘न्यूनतम मूल्य’ पर चर्चा करेगा. कुछ कंपनियां इसकी मांग कर रही हैं.
Trending Photos
नई दिल्ली: भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) 21 जुलाई को सभी दूरसंचार कंपनियों के साथ वायस और डाटा शुल्कों के लिए ‘न्यूनतम मूल्य’ पर चर्चा करेगा. कुछ कंपनियां इसकी मांग कर रही हैं.
मौजूदा दूरसंचार कंपनियों का एक वर्ग डाटा और वॉयस कॉल्स के लिए ‘न्यूनतम कीमत’ निर्धारित करने की मांग कर रहा है लेकिन क्रियान्वित करने का मतलब होगा कि बाजार में मुफ्त में दी जा रही सेवाएं समाप्त हो जाएंगी.
और पढ़ें-Jio को पटखनी देने आ रही है ये कंपनी, महज 17 रु.प्रतिमाह पर मिलेगा डाटा !
इसके अलावा अभी तक ऑपरेटरों को दरें तय करने की आजादी है और उन्हें किसी प्लान की जानकारी ट्राई को उसे पेश करने से सात दिन पहले देनी होती है. ऐसे में न्यूनतम मूल्य तय होता है तो इस व्यवस्था में भी बदलाव होगा. एक अधिकारी ने कहा कि नियामक आपरेटरों से दरों पर न्यूनतम फ्लोर मूल्य को लेकर उनकी राय पूछेगा और साथ ही आपरेटरों से इस तरह की दर तय करने का गणित भी पूछा जाएगा.
सितंबर 2016 में रिलायंस जियो ने बाजार में उतरने के बाद मुफ्त सेवाएं और कम शुल्क की घोषणा की, जिसकी वजह से टेलीकॉम ऑपरेटरों की चिंता बढ़ गई. बताया जा रहा है कि टेलीकॉम उद्योग पर अनुमानित कर्ज 4.5 लाख करोड़ रुपये है और कंपनियां मुनाफा खत्म होने के संकट से जूझ रही हैं.
ये भी पढ़ें-एमटीएनएल का नया डाटा प्लान, 319 रुपए में दो जीबी इंटरनेट रोज
ट्राई के एक अधिकारी ने कहा कि इसे देखते हुए इस क्षेत्र के नियामक ने सभी दूरसंचार कंपनियों को पत्र लिखा और उनसे आधार मूल्य तय करने के बारे में राय मांगी गई. नियामक यह भी जानना चाहता है कि अधिकतम शुल्क सीमा तय किए जाने को लेकर संचार उद्योग की क्या राय है, अगर इस तरह की सीमा जरूरी हो.
इस समय टेलीकॉम शुल्क सहनशीलता के तहत है और यह व्यवस्था पिछले 14 साल से चल रही है और कोई ऊपरी और निचली सीमा नहीं तय है. ट्राई ने सिर्फ रोमिंग के दौरान लगने वाला शुल्क तय किया है.