फ्यूचर रिटेल का कहना है कि सिंगापुर आर्बिट्रेटर का अंतरिम आदेश 'बाध्यकारी नहीं' है और उसको लागू करने के किसी भी प्रयास का 'विरोध' किया जाएगा. फ्यूचर रिटेल ने कहा कि Indian Arbitration and Conciliation Act 1996 के पार्ट-1 के तहत इमरजेंसी आर्बिट्रेटर की कोई कानूनी वैधता नहीं हैं,
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नई दिल्ली: किशोर बियानी की कंपनी फ्यूचर रिटेल (Future Retail Ltd) शनिवार को दिल्ली हाई कोर्ट पहुंच गई है. कंपनी ने कोर्ट से Amazon की ओर से रिलायंस इंडस्ट्रीज (Reliance Ind.) के साथ हुई डील में अड़ंगा डाले जाने पर राहत की मांग की है.
फ्यूचर रिटेल ने आरोप लगाया कि Amazon सिंगापुर आर्बिट्रेटर के अंतरिम आदेश का गलत इस्तेमाल कर रहा है. फ्यूचर रिटेल का कहना है कि कंपनी ने 7 नवंबर 2020 को दिल्ली हाई कोर्ट से निवेदन किया है कि 25 अक्टूबर 2020 को सिंगापुर आर्बिट्रेटर की ओर से Amazon के पक्ष में दिए गए उस आदेश से राहत दी जाए, जिसका गलत इस्तेमाल करके डील के रास्ते में अड़ंगा लगाया जा रहा है.
फ्यूचर रिटेल पहले ही कह चुका है कि वो अपने और शेयरधारकों के हितों की रक्षा के लिए कानून के दायरे में रहकर सभी संभव कदम उठाएगा. कंपनी ने Singapore International Arbitration Centre (SIAC) के अंतरिम आदेश पर भी सवाल उठाए हैं. कंपनी का कहना है कि Amazon की ओर से शुरू किए गए आर्बिट्रेशन की प्रक्रिया में फ्यूचर रिटेल के खिलाफ एक एग्रीमेंट को लेकर अंतरिम आदेश पारित किया गया, जबकि कंपनी उस एग्रीमेंट का हिस्सा भी नहीं है'
'सिंगापुर आर्बिट्रेटर का आदेश बाध्यकारी नहीं'
फ्यूचर रिटेल ने साफ किया कि सिंगापुर आर्बिट्रेटर का अंतरिम आदेश 'बाध्यकारी नहीं' है और उसको लागू करने के किसी भी प्रयास का 'विरोध' किया जाएगा. फ्यूचर रिटेल ने कहा कि Indian Arbitration and Conciliation Act 1996 के पार्ट-1 के तहत इमरजेंसी आर्बिट्रेटर की कोई कानूनी वैधता नहीं हैं, ये प्रक्रिया शून्य और कोरम गैर-न्याय है. इमरजेंसी आर्बिट्रेटर का आदेश भारतीय कानून में कोई मायने नहीं रखता.'
इस मामले पर अभी तक Amazon की ओर से कोई जवाब नहीं आया है. सूत्रों के मुताबिक फ्यूचर रिटेल की याचिका पर मंगलवार को सुनवाई हो सकती है. दोनों ही कंपनियां पहले ही दिल्ली हाई कोर्ट में कैविएट (caveats) दाखिल कर चुकी हैं, ताकि दोनों में से कोई भी पहले कोर्ट आए तो दूसरे कंपनी की बात भी सुनी जाए.
इस पूरी लड़ाई में Amazon ने सिंगापुर इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन में अपील की थी, कंपनी ने फ्यूचर रिटेल पर करार तोड़ने (breach of contract) का आरोप लगाया. 2019 में Amazon ने फ्यूचर की एक अनलिस्टेड कंपनी Future Coupons में 49 परसेंट हिस्सा खरीदा था.
जिसमें ये शर्त शामिल थी कि Amazon 3 से 10 साल के अंदर उसकी फ्लैगशिप कंपनी फ्यूचर रिटेल में हिस्सा खरीदेगा. फ्यूचर रिटेल में Future Coupons की 7.3 परसेंट हिस्सेदारी है. इस साल अगस्त में फ्यूचर का रिलायंस इंडस्ट्रीज के साथ उसके रिटेल, थोक, लॉजिस्टिक्स और वेयरहाउस यूनिट्स को बेचने के लेकर डील हुई.
लेकिन 25 अक्टूबर को SIAC ने Amazon के पक्ष में अंतरिम आदेश पारित कर इस डील पर रोक लगा दी. Amazon ने इस डील के खिलाफ मार्केट रेगुलेटर सेबी को भी चिट्ठी लिखी और कहा कि सिंगापुर आर्बिट्रेशन के अंतरिम फैसले को देखते हुए डील पर रोक लगाई जाए.
यहां अब समझने वाली बात ये है कि आखिर क्यों फ्यूचर रिटेल, अमेजन और रिलायंस जैसी दिग्गज कंपनियां भारत में ई-कॉमर्स बिजनेस को लेकर इतना एग्रेसिव हैं.
ई-कॉमर्स कंपनियों के बीच लड़ाई क्यों
1. ऑनलाइन मार्केट के हिसाब से भारत एक बहुत बड़ा बाजार है, जिस पर अभी 70 परसेंट कब्जा Flipkart और Amazon का है. तीसरा कोई बड़ा खिलाड़ी नहीं है
2. RIL अपने रिलायंस रिटेल देश भर में अभी 12,000 स्टोर्स ऑपरेट करता है, जो तेजी से Amazon और Flipkart के लिए खतरा बन जाएगा अगर RIL की डील फ्यूचर रिटेल के साथ हो गई.
3. भारत में सबसे बड़ा दांव Amazon का लगा है, क्योंकि चीन में पिछले साल कंपनी ने अपने ऑनलाइन स्टोर्स पर ताला लगाकर भारत में पैर मजबूती से जमाना शुरू कर दिया है
4. रिलायंस रिटेल ने भी नए ऑनलाइन कॉमर्स वेंचर के विस्तार के लिए रिटेल यूनिट में 8.48 परसेंट हिस्सेदारी सिल्वर लेक, KKR, मुबाडला को बेचकर 37,710 करोड़ रुपये जुटाए हैं.
5. कोरोना संकट के दौरान देश के करोड़ों लोगों ने ऑनलाइन शॉपिंग को अपनी जिंदगी का हिस्सा बना लिया. राशन से लेकर कपड़े तक ऑनलाइन ही ऑर्डर होने लगे
6. रिसर्च कंपनी Forrester की ओर से एक अनुमान जताया गया है कि 2024 तक भारत में ई-कॉमर्स मार्केट 86 बिलियन डॉलर का हो जाएगा.
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