सूत्रों का दावा है कि संसद के शीतकालीन सत्र में इंश्योरेंस कानून में संशोधन का बिल लाने की तैयारी है. इंश्योरेंस कानून में संशोधन पिछले कई महीनों से अटका हुआ है. महीनों बाद अब इसमें तेजी आई है.
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Planning For Insurance Companies: इंश्योरेंस से जुड़ी कंपनियों के लिए बड़ी खबर आ रही है. सहयोगी चैनल जी बिजनेस ने सूत्रों के हवाले से दावा किया है कि सरकार की तरफ से इंश्योरेंस से जुड़े कानूनों में बदलाव की तैयारी की जा रही है. कानूनों में बदलाव को लेकर पीएमओ (PMO) में बड़ी बैठक होने वाली है. सूत्रों का दावा है कि संसद के शीतकालीन सत्र में इंश्योरेंस कानून में संशोधन का बिल लाने की तैयारी है. इंश्योरेंस कानून में संशोधन पिछले कई महीनों से अटका हुआ है. महीनों बाद अब इसमें तेजी आई है.
DFS सचिव और IRDAI चेयरमैन प्रेजेंटेशन देंगे
प्रधानमंत्री के प्रिंसिपल सेक्रेटरी ने इससे जुड़ी बैठक बुलाई है. इस दौरान DFS सचिव और IRDAI चेयरमैन प्रेजेंटेशन देंगे. कानून में बदलाव के बाद कंपनियों हर तरह के इंश्योरेंस बेच सकेंगी. इसके बाद सभी इंश्योरेंस कंपनियों के लिए थीम बेस्ड इंश्योरेंस लाने का रास्ता साफ हो जाएगा. इस बदलाव के बाद पॉलिसी लेने वालों को किस तरह का फायदा होगा, यह अभी देखेने वाली बात होगी.
इंश्योरेंस प्रीमियम से जीएसटी हटाने की मांग
इससे पहले जुलाई के महीने में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को चिट्ठी लिखकर लाइफ इंश्योरेंस और मेडिकल इंश्योरेंस प्रीमियम पर लगने वाले 18 प्रतिशत जीएसटी (GST) को हटाने की गुजारिश की थी. गडकरी ने वित्त मंत्री को लिखे गए पत्र में कहा कि लाइफ और मेडिकल इंश्योरेंस प्रीमियम पर लगने वाले जीएसटी को वापस लेने पर विचार करें. उन्होंने लिखा था कि यह सीनियर सिटीजन के लिए बोझिल हो जाता है.
मौजूदा समय में लाइफ इंश्योरेंस और मेडिकल इंश्योरेंस पर 18 प्रतिशत की दर से जीएसटी लगाया जाता है. गडकरी ने लिखा कि हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर लगने वाला टैक्स इंडस्ट्री की ग्रोथ को रोक रहा है और इससे समाज ज्यादा प्रभावित हो रहा है. गडकरी ने यह भी कहा था कि मेडिकल इंश्योरेंस प्रीमियम पर 18 प्रतिशत जीएसटी बिजनेस के सेक्टर की ग्रोथ में बाधक साबित हो रहा है.