Monetisation policy: सरकार जल्द ही दो हाईवे टोल को प्राइवेट कंपनियों के हाथों में दे सकती है, जिससे सरकार को करीब 4000 करोड़ रुपये मोनेटाइज करने में मदद मिलेगी.
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Govt Monetisation policy: केंद्र सरकार अपनी मुद्रीकरण पॉलिसी (Monetisation policy) के तहत देश के दो नेशनल हाईवे के टोल (Highway toll) को निजी हाथों में सौंपने वाली है. इसके लिए बोलियां भी आने लगी हैं. इन दो टोल के प्राइवेट कंपनियों के पास जाने से सरकार को करीब 4000 करोड़ रुपये मिलेंगे.
इकोनॉमिक टाइम्स की एक खबर के मुताबिक, सरकार जल्द ही दो और टोल को प्राइवेट कंपनियों के हाथों में दे सकती है, जिससे सरकार को करीब 4000 करोड़ रुपये मोनेटाइज करने में मदद मिलेगी.
इकोनॉमिक टाइम्स ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि सरकार यूपी और एमपी की दो सड़क संपत्तियों का मुद्रीकरण करने की तैयारी में है. दरअसल, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) खराब फीडबैक की वजह से अपनी टीओटी 6 और 8 बंडल नीलामियों को रद्द कर चुकी है. इसके बाद अब टोल-ऑपरेट-ट्रांसफर (टीओटी) 9 और 10 की नीलामी की जाएगी. इसके लिए एनएचएआई ने बोलियां भी बुलवाई है.
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टीओटी 9 में उत्तर प्रदेश में एनएच-30 का 73 किलोमीटर का इलाहाबाद-वाराणसी खंड शामिल है, जबकि टीओटी10 मध्य प्रदेश के ग्वालियर-शिवपुरी (एनएच-03) के 125 किलोमीटर की सड़क शामिल है. आपको बता दें कि बोली लगाने की आखिरी तारीख 28 अप्रैल है.
टीओटी 9 का इंडस्ट्री प्राइस लगभग 2,300-2,600 करोड़ रुपये हो सकता है. दोनों संपत्तियों की रियायत अवधि 15 साल होगी. टीओटी मॉडल के तहत नेशनल हाईवे की संपत्तियों पर 15-30 सालों में टोल के संचालन, रखरखाव और संग्रह के अधिकार के लिए प्राइवेट कंपनी सरकार को एकमुश्त भुगतान कर अग्रिम रियायत शुल्क पर लीज पर लेती है.
सूत्रों के मुताबिक, टोल को खरीदने के लिए अडानी रोड ट्रांसपोर्ट, आईआरबी इंफ्रास्ट्रक्चर, प्रकाश एस्फाल्टिंग एंड टोल हाईवे (पीएटीएच), डीपी जैन और सेकुरा रोड सहित घरेलू डेवलपर्स इसके लिए बोली लगा सकती हैं, जबकि इंटरनेशनल लेवल पर खरीदारों की लिस्ट में निवेशक सीडीपीक्यू, सीपीपी इन्वेस्टमेंट्स, क्यूब हाईवे, मैक्वेरी और होमग्रोन फंड एनआईआईएफ इस दौड़ में शामिल हो सकते हैं.