Hindenburg Report: अडानी ग्रुप एक बार फिर हिंडनबर्ग के निशाने पर है. हिंडनबर्ग ने एक नई रिपोर्ट दी है और दावा किया है कि सेबी की चेयरपर्सन का अडानी घोटाले से गहरा रिश्ता है. इस रिपोर्ट के बाद शेयर बाजार में हलचल मचना तय माना जा रहा है.
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Hindenburg Report on SEBI Chairperson: क्या फिर से शेयर बाजार में बड़ी हचलच मचने वाली है? क्या फिर निवेशकों के बीच चिंता का माहौल मंडरा रहा है? क्या फिर शेयर बाजार में निवेशकों को भारी नुकसान की संभावना लग रही है? दरअसल, अडानी ग्रुप एक बार फिर हिंडनबर्ग के निशाने पर है. हिंडनबर्ग ने एक नई रिपोर्ट दी है और इस रिपोर्ट के बाद शेयर बाजार में हलचल मचना तय माना जा रहा है. हिंडनबर्ग की नई रिपोर्ट में इस बार सेबी की चेयरपर्सन निशाने पर हैं. हिंडनबर्ग ने सेबी की चेयरपर्सन पर गंभीर आरोप लगाया है और दावा किया है कि उनका अडानी घोटाले से गहरा रिश्ता है. जाहिर है इस खबर के बाद निवेशकों के बीच चिंता का माहौल बन सकता है.
हिंडनबर्ग के नई रिपोर्ट में क्या हैं दावे?
- SEBI अध्यक्ष का अडानी स्कैंडल से कनेक्शन.
- माधबी बुच और उनके पति का अडानी ग्रुप से कनेक्शन.
- बुच दंपत्ति के पास ऑफशोर एंटिटी में हिस्सेदारी.
- साइफनिंग स्कैंडल में इस्तेमाल हुआ था पैसा.
- व्हिसलब्लोअर के दस्तावेजों के आधार पर खुलासे का दावा.
- गंभीरता के बावजूद SEBI ने अडानी ग्रुप पर सख्ती नहीं की.
हिंडनबर्ग ने कैसे उठाए सेबी चेयरपर्सन और अडानी ग्रुप के बीच रिश्ते पर सवाल
हिंडनबर्ग रिपोर्ट में कहा गया है कि सेबी चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच भी अडानी ग्रुप के साथ मिली हुई हैं. यही वजह है कि अडानी ग्रुप के खिलाफ उन्होंने 18 महीने में भी कार्रवाई नहीं की है. हिंडनबर्ग रिसर्च ने इस खुलासे के बारे में सोशल मीडिया एक्स पर ऐलान किया. तो चलिए आपको बताते हैं कि आखिरकार हिंडनबर्ग ने सेबी चेयरपर्सन और अडानी ग्रुप के बीच रिश्ते पर सवाल कैसे उठाए हैं और हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में क्या है? हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, मॉरीशस आधारित शेल संस्थाओं के जाल का खुलासा किया गया था, जिसका उपयोग संदिग्ध अरबों डॉलर के अघोषित लेन-देन, अघोषित स्टॉक हेरफेर के लिए किया जाता था. हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, अडानी घोटाले में इस्तेमाल की गई ऑफशोर संस्थाओं में सेबी चेयरपर्सन की हिस्सेदारी थी. अप्रैल 2017 से लेकर मार्च 2022 के दौरान माधबी पुरी बुच SEBI की होलटाइम मेंबर होने के साथ चेयरपर्सन थीं. सिंगापुर में उनका अगोरा पार्टनर्स नाम से कंसलटिंग फर्म में 99 फीसदी स्टेक था. हिंनडबर्ग की दावे के मुताबिक, कंपनी की आय पर सवाल उठे, लेकिन कार्रवाई नहीं की गई.