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Iran-Israel war: इजरायल-ईरान के बीच का तनाव खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. दोनों देश एक दूसरे का नामोनिशान मिटाने पर तुले हैं. इस युद्ध का असर सिर्फ इन दोनों देशों पर नहीं बल्कि दुनियाभर पर हो रहा है. इसकी आग भारत तक पहुंच रही है. ईरान-इजरायल संघर्ष के चलते भारत पर पड़ने वाले असर को समझते हैं.
ईरान-इजरायल संघर्ष के चलते पूरी दुनिया में कच्चे तेल की कीमतों में काफी इजाफा हो सकता है. इसका भारत के एनर्जी, एविएशन और ऑटोमोबाइल सेक्टर पर नकारात्मक असर होगा. वित्तीय विशेषज्ञ किशोर सुब्रमण्यम ने कहा कि भारत कच्चे तेल का शुद्ध आयातक है. ऐसे में अगर ईरान-इजरायल के बीच संघर्ष बढ़ता है तो कच्चे तेल की कीमतों में इजाफा होगा और भारत को अधिक आयात बिल चुकाना होगा. इससे देश की अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक असर होगा.
अर्थव्यवस्था पर असर
उन्होंने आगे कहा कि मध्य पूर्व में लाल सागर एक महत्वपूर्ण शिपिंग मार्ग है. ऐसे में दोनों के बीच संघर्ष बढ़ने से शिपिंग इंश्योरेंस की लागत बढ़ जाएगी. इसका एनर्जी, एविएशन और ऑटोमोबाइल सेक्टर पर नकारात्मक असर होगा. भारतीय रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति कमेटी (आरबीआई-एमपीसी) की बैठक पर सुब्रमण्यम ने कहा कि इस बार रेपो रेट में बदलाव की उम्मीद कम है, लेकिन मेरा मानना है कि आरबीआई को रेपो रेट में 25 आधार अंक की कमी करनी चाहिए, क्योंकि खाद्य वस्तुओं पर महंगाई दर जो पहले करीब 9.5 प्रतिशत थी, अब घटकर 5.5 प्रतिशत पर आ गई है और रिटेल महंगाई दर भी 3.5 प्रतिशत के आसपास बनी हुई है.
ब्याज दरों को बीते नौ बार से स्थिर रखा गया है. इसका असर कॉरपोरेट आय पर भी देखा जा रहा है. जहां मार्जिन में कमी देखी जा रही है. ऐसे में अगर विकास दर को फिर से बढ़ाना है तो यह ब्याज दर में कटौती आवश्यक है.वहीं, अमेरिका में ब्याज दर कटौती पर कहा कि यह दुनिया के बाजार के लिए अच्छा है. किशोर सुब्रमण्यम ने भारतीय बाजारों पर कहा कि अगले 3 से 6 महीने शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव जारी रह सकता है.बाजार में कुछ सेक्टरों में वैल्यूएशन आकर्षक है, लेकिन निवेशकों को लंबी अवधि का नजरिया रखते हुए सावधानी के साथ निवेश करना चाहिए.