Gold Price: ज्वेलरी इंडस्ट्री 15 से 16 प्रतिशत के इजाफे के साथ वित्त वर्ष 2028 तक 145 अरब डॉलर का आंकड़ा छू सकती है. वित्त वर्ष 2019 से 24 के बीच ज्वेलरी सेक्टर की आमदनी करीब 8 प्रतिशत के सीएजीआर से बढ़ी है.
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Indian Jewelery Market: देश और दुनिया में सोने-चांदी के रेट में तेजी आने के अलावा इनकी बिक्री से ज्वैलरी सेक्टर में काम करने वालों की आमदनी भी बढ़ी है. एक तरफ गोल्ड का रेट रिकॉर्ड लेवल पर है तो दूसरी तरफ देश के ज्वेलरी रिटेल सेक्टर में बीते पांच साल में रिकॉर्ड ग्रोथ दर्ज की गई है. इसकी आमदनी 2024 में बढ़कर 6,40,000 करोड़ रुपये हो गई है, जो कि 2019 में 5,04,400 करोड़ रुपये थी. एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है. ब्रोकरेज फर्म मोतीलाल ओसवाल की रिपोर्ट में बताया गया कि हॉलमार्किंग के बढ़ते चलन, प्रोडक्ट को लेकर बढ़ते विश्वास और लोगों की आमदनी बढ़ना इसका प्रमुख कारण है.
ज्वेलरी इंडस्ट्री 2028 तक 145 अरब डॉलर तक जा सकती है
ब्रोकरेज फर्म की तरफ से जारी किये गए अनुमान में बताया गया कि ज्वेलरी इंडस्ट्री 15 से 16 प्रतिशत के इजाफे के साथ वित्त वर्ष 2028 तक 145 अरब डॉलर का आंकड़ा छू सकती है. वित्त वर्ष 2019 से 24 के बीच ज्वेलरी सेक्टर की आमदनी करीब 8 प्रतिशत के सीएजीआर से बढ़ी है और इसमें संगठित क्षेत्र की वृद्धि दर करीब 18 से 19 प्रतिशत रही है. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि आने वाले समय में संगठित क्षेत्र का ज्वेलरी मार्केट 20 प्रतिशत के सीएजीआर से बढ़ेगा और कुल मार्केट का करीब 42 से 43 प्रतिशत हिस्सा संगठित क्षेत्र से आएगा.
इन राज्यों में तेजी से बढ़ी सोने की बिक्री
रिपोर्ट में बताया गया कि इंडस्ट्री में तेजी के पीछे के कई कारण हैं. इनमें प्रति व्यक्ति आय का बढ़ना, संगठित क्षेत्र कंपनियों के रिटेल स्टोर पर अच्छा अनुभव, हॉलमार्किंग के जरिए विश्वास पैदा होना और नए उत्पादों का आना (डिजाइन और डायमंड) जैसे कारण शामिल हैं. शीर्ष 10 राज्यों में तमिलनाडु, महाराष्ट्र, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश शामिल हैं. पूरे रिटेल नेटवर्क का 78 प्रतिशत इन्हीं राज्यों में है और जीडीपी में इनका योगदान 68 प्रतिशत है.
ब्रोकरेज हाउस का कहना है कि पहले के मुकाबले अब अधिक ग्राहक संगठित क्षेत्र के ज्वेलर्स खरीदारी करना पसंद कर रहे हैं. वित्त वर्ष 2018 में ज्वेलरी मार्केट का आकार 48 से 50 अरब डॉलर था. इसमें संगठित मार्केट की हिस्सेदारी 20 से 22 प्रतिशत थी. पिछले तीन वर्ष इंडस्ट्री के लिए काफी शानदार रहे हैं. इस दौरान संगठित क्षेत्र की बाजार में हिस्सेदारी 20 प्रतिशत से बढ़कर 30 प्रतिशत हो गई है.