केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने कोरोना वायरस (Coronavirus) की वजह से पहले रिटर्न फाइल करने की आखिरी तारीख 30 नवंबर की थी, जिसे बाद में 31 दिसंबर तक बढ़ा दिया गया था.
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नई दिल्लीः इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करने की आखिरी तारीख में एक महीने का समय शेष रह गया है. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने कोरोना वायरस (Coronavirus) की वजह से पहले रिटर्न फाइल करने की आखिरी तारीख 30 नवंबर की थी, जिसे बाद में 31 दिसंबर तक बढ़ा दिया गया था. अब आपको ये जान लेना जरूरी है कि कौन सा रिटर्न आपके लिए है.
सात तरह के रिटर्न फॉर्म
इनकम टैक्स रिटर्न फॉर्म 7 तरह के होते हैं. अलग-अलग कैटेगरी के टैक्सपेयर्स को उनकी कैटेगरी के लिए तय फॉर्म भरना होता है. ये कैटेगरी टैक्सपेयर के स्टेटस, आय के स्रोत, कारोबार वगैरह से तय होती है.
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ITR 1 सहज: यह फॉर्म उन लोगों के लिए जिनकी आमदनी 50 लाख रुपये सालाना से कम है. इन्हें सैलरी, पेंशन, एक हाउस प्रॉपर्टी और अन्य स्रोतों से आय मिलती है. कृषि आय 5000 रुपये तक है.
ITR 2: यह फॉर्म उन व्यक्तियों और HUFs ( Hindu Undivided Family) के लिए है, जिन्हें बिजनेस या प्रोफेशन से हुए प्रॉफिट से आय होती है लेकिन ITR 1 के लिए योग्य नहीं हैं. ITR 1 में हर आय के स्रोत से होने वाली कमाई 50 लाख से ज्यादा है. कैपिटल गेंस, एक से ज्यादा घर हैं, विदेश में संपत्ति है, विदेश से आय है. किसी कंपनी में डायरेक्टर के पद पर हैं. 5000 रुपये से ज्यादा कृषि से आय है.
ITR 3: यह उन व्यक्तियों और HUFs के लिए है, जिन्हें बिजनेस या प्रोफेशन से हुए प्रॉफिट से आय होती है लेकिन ITR 4 के लिए योग्य नहीं हैं. जिन्हें कोई प्रॉपर्टी या कोई इनवेस्टमेंट बेचकर कैपिटल गेन/लॉस हुआ हो.
ITR 4 सुगम: यह फॉर्म उन व्यक्तियों, HUFs और फर्म्स (LLP के अलावा) के लिए है, जिन्हें भारत के नागरिक के निवासी के तौर पर 50 लाख रुपये तक की कुल आय होती है और जिन्हें ऐसे बिजनेस और प्रोफेशन से आय होती है, जो आयकर कानून के सेक्शन 44AD, 44ADA या 44AE के तहत कंप्यूटेड हैं. कैपिटल गेन्स से आय पाने वाले ITR 4 का इस्तेमाल नहीं कर सकते.
ITR 5: व्यक्ति और HUF (ITR-1 से लेकर ITR 4 तक भरने वाले), कंपनी (ITR-6 भरने वाली) या चैरिटेबल ट्रस्ट/इंस्टीट्यूशंस (ITR-7 भरने वाले) से अलग टैक्सपेयर्स के लिए है. यानी ITR 5, ITR-4 के लिए योग्य पार्टनरशिप फर्म्स से अलग पार्टनरशिप फर्म्स के लिए, LLPs, एसोसिएशन ऑफ पर्सन्स, बॉडी ऑफ इंडीविजुअल्स आदि ऐसे टैक्सपेयर्स के लिए है, जिनके लिए कोई और फॉर्म लागू नहीं होता है.
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ITR 6: आयकर कानून के सेक्शन 11 के तहत एग्जेंप्शन क्लेम करने वाली कंपनियों से अलग कंपनियों के लिए.
ITR 7: कंपनियों समेत उन व्यक्तियों के लिए जिन्हें केवल 139(4A) या 139(4B) या 139(4C) या 139(4D) के तहत रिटर्न फर्निश करने की जरूरत है.