भारत और चीन के बीच कृषि व्यापार बढ़ाने से किसानों को बहुत बड़ा बाजार मिलेगा और ग्रामीण भारत में गरीबी को दूर करने में बहुत मदद मिलेगी.
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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों के चलते भारत से पहली बार मोटे चावल या गैर-बासमती चावल की खेप चीन जाने के लिए तैयार है. भारत और चीन के बीच कृषि व्यापार बढ़ाने से किसानों को बहुत बड़ा बाजार मिलेगा और ग्रामीण भारत में गरीबी को दूर करने में बहुत मदद मिलेगी. गौरतलब है कि सरकार ने 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य रखा है.
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने बताया कि चीन को 100 टन गैर-बासमती चावल की खेप शुक्रवार को भेजी जाएगी. इस चावल में पांच प्रतिशत टूटन होगी. ये खेप नागपुर से चाइना राष्ट्रीय अनाज, तेल और खाद्य पदार्थ निगम (कॉफ़ो) को भेजी जाएगी, जो चीन में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र की सरकारी कंपनी है.
कब हुआ समझौता?
वाणिज्य मंत्रालय ने एक बयान में बताया, 'भारत सरकार के ठोस प्रयासों के चलते 19 चावल मिलों और प्रसंस्करण इकाइयों को भारत से चीन को गैर-बासमती चावल के निर्यात के लिए पंजीकृत किया गया. इनमें हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, जम्मु-कश्मीर, तेलंगाना और महाराष्ट्र की मिलें शामिल हैं. चीन के कस्टम विभाग 'जनरल एडमिस्ट्रेशन ऑफ कस्टम ऑफ पीपुल रिपब्लिक ऑफ चाइना' ने भारत के कृषि विभाग के साथ इस आशय का समझौता नौ जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीन यात्रा के दौरान किया था.
व्यापार घाटा कम करने की कोशिश
भारत से कृषि निर्यात बढ़ने से किसानों की हालत में सुधार होगा, साथ ही चीन के साथ व्यापार घाटा कम करने में भी मदद मिलेगी. इस कारण सरकार चीन, चावल और दवाओं के निर्यात को बढ़ाने पर खासतौर से फोकस कर रही है. चीन दुनिया में चावल का आयात करने वाला सबसे बड़ा देश है. हालांकि अभी तक भारत से सीधे चीन को चावल आयात नहीं किया जाता था, लेकिन अब चावल का सीधे निर्यात शुरू होने से कि चावल मिलों और किसानों को बहुत अधिक फायदा होगा.