रेलवे ने नहीं लौटाया टिकट का पैसा, अब देना होगा 10 हजार जुर्माना, क्या कहते हैं नियम?
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रेलवे ने नहीं लौटाया टिकट का पैसा, अब देना होगा 10 हजार जुर्माना, क्या कहते हैं नियम?

Indian Railway: कंज्यूमर कोर्ट ने कहा है कि IRCTC चंडीगढ़ और भारतीय रेलवे बुजुर्ग दंपत्ति को 13 दिसंबर 2022 से 9 प्रतिशत प्रति वर्ष की ब्याज दर से 477.70 रुपये वापस करे. इसके अलावा दंपत्ति की मानसिक पीड़ा और उत्पीड़ने की क्षतिपूर्ति करने के लिए अधिकारियों को 10 हजार रुपये का हर्जाना देना होगा

रेलवे ने नहीं लौटाया टिकट का पैसा, अब देना होगा 10 हजार जुर्माना, क्या कहते हैं नियम?

IRCTC Ticket Refund: मामला चंडीगढ़ का है. एक बुजुर्ग ने गुरुग्राम से चंडीगढ़ जाने के लिए आरक्षित श्रेणी में ट्रेन का टिकट लिया. लेकिन यात्रा करने के लिए जब वह स्टेशन पर पहुंचे तो उनके मोबाइल पर मैसेज आया कि तकनीकी खराबी के कारण आज ट्रेन गुरुग्राम स्टेशन नहीं आएगी. जिसके बाद वो बस से चंडीगढ़ चले गए. इसके बाद उन्होंने रिफंड के लिए इंडियन रेलवे और IRCTC को मेल किया. लेकिन उन्होंने रिफंड देने से मना कर दिया था.

इसके बाद उन्होंने कंज्यूमर कोर्ट यानी उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग का रुख किया. कोर्ट ने रेलवे और IRCTC को ब्याज सहित टिकट शुल्क वापस करने और अतिरिक्त 10 हजार रुपये देने का आदेश दिया है.  

क्या है मामला?

अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, चंडीगढ़ निवासी भारतेंदु सूद ने कंज्यूमर कोर्ट में दिए आवेदन में बताया कि 29 नवंबर 2022 को उन्होंने और उनकी पत्नी नीला सूद ने 13 दिसंबर 2022 के लिए गुरुग्राम से चंडीगढ़ की यात्रा के लिए 477.70 रुपये में दो रेलवे टिकट बुक किए. लेकिन जब वह ट्रेन में चढ़ने के लिए स्टेशन पहुंचे तो उनके रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर एक मैसेज आया कि तकनीकी कारणों से ट्रेन गुरुग्राम नहीं आएगी.

इसके बाद दोनों चंडीगढ़ जाने वाली बस में बैठ गए. बाद में उन्होंने IRCTC को एक ईमेल भेजकर टिकट की राशि वापस करने की मांग की. लेकिन उन्हें रिफंड देने से इनकार कर दिया गया क्योंकि उन्होंने 72 घंटे के भीतर बोर्डिंग स्टेशन पर शिकायत के लिए आवेदन नहीं किया था.

आवेदन में आगे कहा गया कि चूंकि, दंपत्ति वरिष्ठ नागरिक थे. इसलिए उनके लिए बोर्डिंग स्टेशन गुरुग्राम में रिफंड के लिए आवेदन करना संभव नहीं था.

IRCTC और इंडियन रेलवे ने क्या कहा?

IRCTC ने कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि वह केवल अपनी वेबसाइट के माध्यम से टिकट बुक करने के लिए अपने सर्वर और इंटरनेट के माध्यम से रेलवे यात्री आरक्षण प्रणाली (पीआरएस)  की अनुमति देता है. टिकट जारी होने के बाद टिकट शुल्क रेलवे को ट्रांसफर कर दिया जाता है. बाद में इसकी कोई भूमिका नहीं है.

भारतीय रेलवे ने भी अपना पक्ष रखते हुए कहा कि इसमें उसकी कोई भूमिका नहीं है और इसे खारिज कर दिया जाना चाहिए.

कंज्यूमर कोर्ट ने क्या कहा?

लेकिन मामले की जांच करने के बाद कंज्यूमर आयोग ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक आरक्षण पर्ची से यह स्पष्ट है कि IRCTC ने टिकट बुक करने के लिए बुजुर्ग दंपत्ति से 17.70 रुपये का सुविधा शुल्क लिया और भारतीय रेलवे ने जोड़े से 460 रुपये का टिकट शुल्क लिया. रिकॉर्ड से यह भी साबित हो रहा है कि बुजुर्ग दंपत्ति ने तय समय, स्थान और तारीख पर गुड़गांव से चंडीगढ़ की यात्रा के लिए IRCTC और भारतीय रेलवे दोनों को 477.70 रुपये का भुगतान किया था.

इसलिए आयोग IRCTC चंडीगढ़ और भारतीय रेलवे को यह आदेश देता है कि बुजुर्ग दंपत्ति को 13 दिसंबर 2022 से 9 प्रतिशत प्रति वर्ष की ब्याज दर से 477.70 रुपये वापस करे. इसके अलावा दंपत्ति की मानसिक पीड़ा और उत्पीड़ने की क्षतिपूर्ति करने के लिए अधिकारियों को 10 हजार रुपये का हर्जाना देना होगा.

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