Trending Photos
नई दिल्ली: Income Tax Return: अगर अब तक आपने ITR नहीं भरा है तो फटाफट भर लें. वित्त वर्ष 2020-21 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने की आखिरी तारीख करीब है. अगर आपने भी अब तक इनकम टैक्स रिटर्न नहीं भरा है तो जल्दी भर लें. कोई भी व्यक्ति जो 60 साल से कम उम्र का है, और जो सालाना 2.5 लाख रुपये कमाता है, उसे इनकम टैक्स से छूट मिलती है. कोई व्यक्ति जिसकी कुल कमाई टैक्स छूट की सीमा से ज्यादा होती है, उसे इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करना होता है.
सभी जानते हैं कि 60 साल से ज्यादा और 80 साल से कम सीनियर सिटिजन के लिए टैक्स छूट की सीमा 3 लाख रुपये है, जबकि सुपर सीनियर सिटिजन यानी 80 साल से ऊपर के लिए ये सीमा 5 लाख रुपये है. अगर आपकी सैलरी इनकम टैक्स की सीमा से कम है, तो भी आपको इनकम टैक्स रिटर्न भरना चाहिए, क्योंकि इसके कई फायदे होते हैं.
ये भी पढ़ें- SBI के ग्राहकों की हुई बल्ले-बल्ले, सबसे बड़े बैंक ने दिया ये जबरदस्त तोहफा
अगर आप कोई लोन लेने जा रहे हैं तो, बैंक आपकी योग्यता की जांच पड़ताल करता है, जो इनकम के आधार पर होती है. बैंक कितना लोन आपको देगा, ये इस बात पर निर्भर करता है कि आपकी इनकम कितनी है जो आपने इकनम टैक्स रिटर्न में फाइल की है. दरअसल, ITR एक ऐसा डॉक्यूमेंट है जो सभी बैंक लोन की आसान प्रोसेसिंग के लिए इस्तेमाल करते हैं.
आमतौर पर बैंक लोन प्रोसेसिंग के दौरान अपने ग्राहकों से 3 ITR की मांग करते हैं. इसलिए अगर आप कोई होम लोन लेकर घर खरीदना चाहते हैं, या फिर कार लोन लेना चाहते हैं या पर्नसल लोन लेना चाहते हैं, तो ITR जरूर दाखिल करना चाहिए क्योंकि इससे लोन मिलने में आसानी होती है.
अगर आप ITR फाइल करते हैं तो आप टर्म डिपॉजिट जैसी बचत योजनाओं पर मिलने वाले ब्याज पर टैक्स बचा सकते हैं. डिविडेंड इनकम पर भी टैक्स बचाया जा सकता है. ITR रीफंड के जरिए आप टैक्स को क्लेम कर सकते हैं, अगर कुल इनकम कई स्रोतों की कमाई से 2.5 लाख रुपये से ज्यादा हो जाती है, तो कटा हुआ TDS आप दोबारा क्लेम कर सकते हैं.
इनकम टैक्स असेसमेंट ऑर्डर को वैध एड्रेस प्रूफ के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है. इसका इस्तेमाल आधार कार्ड बनवाने में भी किया जा सकता है. कंपनी की ओर से कर्मचारियों को फॉर्म-16 जारी किया जाता है. जो कि उसका इनकम प्रूफ होता है. खुद का काम करने वाले या फ्री-लांसर के लिए भी ITR फाइलिंग डॉक्यूमेंट एक वैध इनकम प्रूफ की तरह काम करता है.
ये भी पढ़ें- तगड़ा झटका! पेट्रोल 50 तो डीजल हुआ 75 रुपये महंगा, इंडियन ऑयल ने कहा- यूक्रेन वॉर का असर
एक टैक्सपेयर के लिए किसी घाटे को क्लेम करने के लिए एक तय तारीख के अंदर इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करना जरूरी होता है. ये घाटा कैपिटल गेंस, बिजनेस या प्रोफेशन के रूप में हो सकता है. जो व्यक्ति संबंधित असेसमेंट ईयर में ITR फाइल करते हैं, इनकम टैक्स के नियम उन्हीं लोगों को कैपिटल गेंस के खिलाफ घाटे को कैरी फॉर्वर्ड करने की इजाजत देते हैं.
अगर आप कहीं विदेश जा रहे हैं, तो ज्यादातर देश ITR की डिमांड करते हैं. इससे पता चलता है कि व्यक्ति टैक्स कंप्लायंट सिटिजन है. इससे वीजा प्रोसेसिंग अधिकारियों को आपकी मौजूदा वित्तीय हालात और इनकम के बारे में साफ जानकारी मिलती है. इससे आपको वीजा मिलने में आसानी होती है.