ITR Filing: टैक्स दाखिल करने वालों के लिए खुशखबरी! दो विकल्पों में से एक चुनना है काफी जरूरी
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ITR Filing: टैक्स दाखिल करने वालों के लिए खुशखबरी! दो विकल्पों में से एक चुनना है काफी जरूरी

Income Tax Slab: नए टैक्स रिजीम में मूल छूट सीमा को बढ़ाकर 3 लाख रुपये कर दिया गया है, जो पहले 2.5 लाख रुपये थी. साथ ही, 7 लाख रुपये तक की आय पर टैक्स छूट है, जो पहले धारा 87ए के तहत 5 लाख रुपये थी.

ITR Filing: टैक्स दाखिल करने वालों के लिए खुशखबरी! दो विकल्पों में से एक चुनना है काफी जरूरी

ITR Login: इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करना टैक्सेबल इनकम वाले लोगों के लिए जरूरी है. वहीं भारत में दो प्रकार से टैक्स दाखिल किए जा सकते हैं. इसके तहत एक नया इनकम टैक्स रिजीम है और एक पुराना इनकम टैक्स रिजीम है. हालांकि, पुरानी और नई दोनों व्यवस्थाओं के अलग-अलग फायदे और नुकसान हैं. ऐसे में टैक्सपेयर्स के लिए सबसे उपयुक्त टैक्स रिजीम चुनना बोझिल हो जाता है. हालांकि, टैक्स दाखिल करने वाले लोगों के लिए एक खुशखबरी वाली बात ये जरूर है कि लोग अपनी पसंद से और अपनी इनकम के लिहाज से कोई टैक्स रिजीम चुन सकते हैं.

इनकम टैक्स
केंद्रीय बजट 2023 में प्रस्तावित संशोधनों के आधार पर नए टैक्स रिजीम को डिफॉल्ट टैक्स रिजीम बना दिया गया है और यदि टैक्सपेयर्स इसका उपयोग करना चाहते हैं तो उन्हें उसका विकल्प चुनना होगा. वहीं नई आयकर व्यवस्था को बढ़ावा देने और इसे मध्यम वर्ग के आम व्यक्ति के लिए अधिक सुखद बनाने के लिए सरकार ने नई आयकर व्यवस्था में महत्वपूर्ण बदलावों की घोषणा की है.

इनकम टैक्स रिजीम
नए टैक्स रिजीम में मूल छूट सीमा को बढ़ाकर 3 लाख रुपये कर दिया गया है, जो पहले 2.5 लाख रुपये थी. साथ ही, 7 लाख रुपये तक की आय पर टैक्स छूट है, जो पहले धारा 87ए के तहत 5 लाख रुपये थी. यहां यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि पुरानी कर व्यवस्था में वेतन का हिस्सा बनने वाले विभिन्न भत्तों (जैसे एचआरए, एलटीए, आदि) और सार्वजनिक भविष्य निधि (पीपीएफ), राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) आवास ऋण का पुनर्भुगतान, ट्यूशन फीस का भुगतान जैसे निर्दिष्ट निवेश/खर्चों के खिलाफ कटौती का दावा करने के लिए पर्याप्त जगह है.

टैक्स रिजीम
दूसरी ओर, नई कर व्यवस्था में स्टैंडर्ड डिडक्शन का लाभ है और सालाना 7 लाख रुपये तक की आय वाले व्यक्तियों को पूरी छूट प्रदान की गई है. इसलिए, 7 लाख रुपये से अधिक वार्षिक आय अर्जित करने वाले व्यक्तियों को विवेकपूर्ण ढंग से नई और पुरानी कर व्यवस्थाओं के बीच चयन करना होगा. चूंकि, पुरानी कर व्यवस्था में 5 लाख रुपये तक की इनकम पर छूट मिलती है.

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