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नई दिल्ली: Income Tax Return Deadlines: कोरोना महामारी की दूसरी लहर को देखते हुए इनकम टैक्स डिपार्टमेंट (Income Tax Department) ने हाल ही में टैक्सपेयर्स को राहत पहुंचाने के लिए कुछ टाइमलाइन को आगे बढ़ा दिया था. टैक्सपेयर्स और टैक्स सलाहकारों की अपील के बाद सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (CBDT) ने पिछली बार कई डेडलाइंस को 30 अप्रैल, 2021 तक बढ़ाया था.
इसके बाद CBDT ने टैक्सपेयर्स की बढ़ती परेशानियों को देखते हुए वित्त वर्ष 2019-20 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की तारीख को 31 मई तक बढ़ाया दिया था. यानी पिछले साल का ITR अब 31 मई तक भरा जा सकता है, यानी अब टैक्सपेयर्स के पास थोड़ा ही वक्त बचा है अपने टैक्स से जुड़े काम निपटाने के लिए.
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टैक्सपेयर्स के लिए जिन डेडलाइंस को आगे बढ़ाया गया है उस पर एक नजर डालते हैं.
अगर आप बिलेटेड ITR दाखिल करना चाहते हैं तो आप 31 मई, 2021 तक ये कर सकते हैं. CBDT के संशोधन के मुताबिक अससेमेंट ईयर 2020-21 के लिए इनकम टैक्स एक्ट 1961 के सब-सेक्शन (4) के तहत बिलेटेड रिटर्न और सब-सेक्शन (5) के तहत रिवाइज्ड रिटर्न को भरने की अंतिम तारीख 31 मार्च 2021 होती है, अब इसे बढ़ाकर 31 मई 2021 कर दिया गया है.
इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के सेक्शन 194-IA, सेक्शन 194-IB और 194M के तहत TDS पेमेंट और चालान भरने की अंतिम तारीख 30 अप्रैल 2021 होती है, जिसे बढ़ाकर 31 मई 2021 कर दिया गया है.
अगर किसी टैक्सपेयर को इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 148 के तहत नोटिस मिला है तो उसकी तारीख भी बढ़ाकर 31 मई कर दी गई है, जो कि पहले 1 अप्रैल 2021 थी.
इनकम टैक्स एक्ट के चैप्टर XX के तहत कमिश्नर को अपील दाखिल करने की तारीख को भी बढ़ाकर 31 मई कर दिया गया है, पहले ये डेडलाइन 1 अप्रैल 2021 थी. 144 सी के तहत इनकम टैक्स दाखिल करने की तारीख को बढ़ाकर 31 मई कर दिया गया है.
विवाद से विश्वास स्कीम को भी अब 30 जून, 2021 तक बढ़ा दिया गया है. सरकार ने कोरोना मामलों में आ रही तेजी को देखते हुए डायरेक्ट टैक्स के विवादों को सुलझाने के तहत चलाई जा रही इस स्कीम की डेडलाइन बढ़ा दी है. इस योजना के तहत घोषणा पत्र दाखिल करने की समय सीमा 31 मार्च को खत्म हो गई थी. विवाद से विश्वास योजना कर विवादों के निपटारे का पेशकश करती है जिसके तहत विवादित टैक्स 100 फीसदी और विवादित दंड, ब्याज या शुल्क का 25 फीसदी भुगतान करना होता है. लेकिन टैक्सपेयर्स को किसी अतिरिक्त ब्याज, जुर्माने या इनकम टैक्स कानून के तहत मुकदमे से छूट मिल जाती है.
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