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नई दिल्ली: LED बल्ब और LED प्रोडक्ट के दाम बढ़ सकते हैं. सरकार ने इसकी मैन्यूफैक्चरिंग में काम आने वाले इंपोर्टेड कंपोनेंट्स पर कस्टम ड्यूटी बढ़ा दी है, जिसकी वजह से घरेलू मार्केट में कीमतें बढ़ सकती हैं. घरेलू मैन्यैफैक्चरर्स अब इस मसले को लेकर सरकार के पास गए हैं. हालांकि सरकार ने कस्टम ड्यूटी इसलिए बढ़ाई ताकि घरेलू मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा मिल सके.
आपको बता दें कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी को पेश किए गए बजट में LED मैन्यूफैक्चरिंग में काम आने वाले ड्राइवर्स और MCPCB (metal core printed circuit board) पर कस्टम ड्यूटी को दोगुना कर दिया, इसे 5 परसेंट से बढ़ाकर 10 परसेंट कर दिया. अब कहा जा रहा है कि कस्टम ड्यूटी बढ़ने से देश में बने LED बल्बों और दूसरे उत्पादों के दाम बढ़ सकते हैं.
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इलेक्ट्रिक लैम्प एंड कंपोनेंट मैन्यूफैक्चरर्स एसोसिएशन (ELCOMA) के प्रेसिडेंट सुमित जोशी का कहना है कि 'LED लाइट उत्पादों की मैन्यूफैक्चरिंग में काम आने वाले इनपुट्स और पार्ट्स पर टैरिफ बढ़ाने के सरकार के फैसले का असर घरेलू बाजार में बन रहे उत्पादों पर होगा, इसकी कीमतें शॉर्ट टर्म में बढ़ जाएंगी' सुमित जोशा का कहना है कि भारत में घरेलू कंपोनेंट इकोसिस्टम में कमी की वजह से करीब करीब सभी इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट्स को विदेशों से इंपोर्ट किया जाता है. उनका कहना है कि 'LED लाइट्स की मैन्यूफैक्चरिंग में इस्तेमाल किए जाने वाले ड्राइवर्स और MCPCBs जैसे कंपोनेंट्स पर कस्टम ड्यूटी 5 परसेंट से 10 परसेंट करने से घरेलू स्तर पर बन रहे उत्पादों के दाम अपने आप बढ़ जाएंगे.'
LED कंपोनेंट्स पर कस्टम ड्यूटी बढ़ाकर सरकार घरेलू मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा देना चाहती है. क्योंकि जब भारत में कंपोनेंट मैन्यूफैक्चरिंग इकोसिस्टम तैयार हो जाएगा तो लंबी अवधि में इसका फायदा यहां के घरेलू मैन्यूफैक्चरर्स को ही होगा. सुमित जोशी का कहना है कि इस मुद्दे को लेकर हम सरकार के पास जाएंगे और अपील करेंगे कि इस कैटेगरी में फिनिश्ड गुड्स पर टैरिफ बढ़ाएं ताकि लोकल मैन्यूफैक्चरर्स को सपोर्ट मिले और सही मायनो में भारत आत्मनिर्भर बन सके.
Havells India के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट पराग भटनागर का कहना है कि इंडस्ट्री के लिए ये फैसला 'चौंकाने वाला' है और 'गलत दिशा' में है. क्योंकि ड्यूटी में बढ़ोतरी से घरेलू मैन्यूफैक्चरिंग को किसी भी तरह से कोई मदद या प्रोत्साहन नहीं मिलेगा. मौजूदा वक्त में भारत में LED और दूसरे इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों की लोकल मैन्यूफैक्चरिंग के लिए कुछ कंपोनेंट की अपनी सीमाएं हैं, ये कंपोनेंट अभी दूसरे देशों जैसे चीन, साउथ कोरिया और वियतनाम से मंगाए जाते हैं.
पराग भटनागर का कहना है कि 'कस्टम ड्यूटी बढ़ने से देश में LED लाइटनिंग उत्पाद बना रही कंपनियों पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा. जो कंपनियां सीधा चीन और दूसरे देशों से इंपोर्ट करती हैं, उन पर कोई अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ेगा, इससे लोकल मैन्यूफैक्चरिंग का उद्देश्य पूरा नहीं होगा. LED उत्पादों के बनाने के लिए 35-40 परसेंट कंपोनेंट इपोर्ट किया जाता है.' घरेलू बाजार में कीमतें कितनी बढ़ेंगी, इस पर उनका कहना है कि 'अलग-अलग ब्रांड्स के लिए दाम 5 से 10 परसेंट तक बढ़ सकते हैं.'
भारत में LED लाइटनिंग सेक्टर करीब 10,000 करोड़ रुपये का है, इसमें 60 परसेंट हिस्सा कंज्यूमर सेक्टर का है जबकि बाकी 40 परसेंट कमर्शियल लाइटनिंग का है.
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