मनमोहन सिंह बोले: जारी रहेगा वैश्वीकरण, आर्थिक नीतियों पर संदेह करने वाले गलत साबित हुए
Advertisement

मनमोहन सिंह बोले: जारी रहेगा वैश्वीकरण, आर्थिक नीतियों पर संदेह करने वाले गलत साबित हुए

मनमोहन सिंह ने कहा, ‘‘आप सभी को पता है कि 1991 में हमने अर्थव्यवस्था के प्रबंधन के लिये नया रुख अपनाया. इसमें घरेलू और बाह्य अर्थव्यवस्था दोनों में प्रगतिशील उदारीकरण शामिल है.’’ 

मनमोहन सिंह को 1990 के दशक की शुरुआत में किये गये आर्थिक सुधारों का सूत्रधार माना जाता है. (फाइल फोटो)

मोहाली (पंजाब): पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा है कि वैश्वीकरण जारी रहेगा और 25 साल पहले जो देश की नई नीतियों को लेकर संदेह करते थे, वे गलत साबित हुए हैं. उन्होंने कहा कि यह गर्व की बात है कि आर्थिक नीतियों का जोर और उसकी दिशा पिछले 25 साल से बरकरार है. सिंह को 1990 के दशक की शुरुआत में किये गये आर्थिक सुधारों का सूत्रधार माना जाता है. वरिष्ठ कांग्रेसी नेता ने इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस लीडरशिप सम्मिट, 2017 के 15वें सत्र में शुक्रवार (22 सितंबर) को शाम यह बात कही. उन्होंने कहा, ‘‘आप सभी को पता है कि 1991 में हमने अर्थव्यवस्था के प्रबंधन के लिये नया रुख अपनाया. इसमें घरेलू और बाह्य अर्थव्यवस्था दोनों में प्रगतिशील उदारीकरण शामिल है.’’

इस दौरान सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में उल्लेखनीय वृद्धि हुई और साथ ही गरीबी रेखा के नीचे गुजर-बसर करने वालों के अनुपात में भी कमी आयी. सिंह ने कहा, ‘‘नि:संदेह कई चुनौतियां हैं. खासकर स्वास्थ्य, शिक्षा और पर्यावरण के क्षेत्र में. साथ ही आय एवं संपत्ति में असामनता को पाटने के लिये व्यावहारिक उपाय किये जाने की जरूरत है....’’ एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि वैश्वीकरण बरकरार रहेगा.’’ पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में काफी अवसर हैं लेकिन आंतरिक चुनौतियां बनी हुई हैं.

उन्होंने कहा, ‘‘टिकाऊ, नवप्रवर्तन और प्रतिस्पर्धी उपक्रमों के लिये देश में एक बड़ा बाजार है. लोकतांत्रिक देश के रूप में हमें विभिन्न कारणों से आंतरिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, लेकिन लोकतंत्र में ही परिपक्वता के साथ इस प्रकार की स्थिति से निपटने की क्षमता होती है और यह इसका एक बड़ा लाभ है.’’ सिंह ने कहा, ‘‘तानाशाही रुख से लोगों की वास्तविक समस्याओं का हल नहीं हो सकता. सिंह ने युवा स्नातकों से अपने जीवन और संबंधित उपक्रमों के प्रबंधन में लोकतांत्रिक मूल्यों को आत्मसात करने को कहा.

मनमोहन सिंह बोले, नोटबैन और जीएसटी से लगा जीडीपी को दोहरा झटका

इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सोमवार (18 सितंबर) को कहा कि नोटबंदी और जीएसटी दोनों ने भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीएसटी) की वृद्धि दर को प्रतिकूल रूप से प्रभावित किया है. उन्होंने पहले कहा था कि भारतीय अर्थव्यवस्था केवल 'एक इंजन' पर चल रही है और वह है सार्वजनिक खर्च. उन्होंने सीएनबीसी-टीवी 18 से कहा, "नोटबंदी और जीडीपी दोनों को भारतीय अर्थव्यवस्था पर असर पड़ा है." उन्होंने कहा, "दोनों ने असंगठित क्षेत्र, छोटे पैमाने पर व्यापार के क्षेत्र को प्रभावित किया है, जिसका जीडीपी में 40 फीसदी योगदान है और 90 फीसदी से अधिक रोजगार असंगठित क्षेत्र में ही है."

उन्होंने कहा, "ऐसे में जब 86 फीसदी नोट को प्रचलन से बाहर कर दिया जाए और ऊपर से जीएसटी लगा दिया जाए, जिसे जल्दीबाजी में लागू किया गया है. तो आने वाले दिनों में जीएसटी पर और ज्यादा प्रतिकूल प्रभाव की संभावना है." भारतीय रिजर्व बैंक को पूर्व गर्वनर रघुराम राजन ने इस महीने की शुरुआत में अनुमान लगाया था कि नोटबंदी से देश की जीडीपी 1 से 2 फीसदी तक घट जाएगी, जो लगभग 2 लाख करोड़ रुपये है. 

Trending news