कॉरपोरेट अफेयर्स मंत्रालय (Ministry of Corporate Affairs) की इंडियाबुल्स ग्रुप पर नज़र है. ज़ी मीडिया को सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इंडियाबुल्स के मामले में फैसले के लिए हाई लेवल कमेटी की इस हफ्ते बैठक है.
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नई दिल्ली : कॉरपोरेट अफेयर्स मंत्रालय (Ministry of Corporate Affairs) की इंडियाबुल्स ग्रुप पर नज़र है. ज़ी मीडिया को सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इंडियाबुल्स के मामले में फैसले के लिए हाई लेवल कमेटी की इस हफ्ते बैठक है. बैठक में कमेटी ये फैसला लेगी कि मंत्रालय का इस मामले पर क्या पक्ष रहेगा. दरअसल इंडियाबुल्स ग्रुप पर दो साल पहले कॉरपोरेट अफेयर्स मंत्रालय ने इंस्पेक्शन का ऑर्डर दिया था.
27 सितंबर को हाईकोर्ट में होनी है सुनवाई
इंस्पेक्शन रिपोर्ट में आई जानकारी के मुताबिक मंत्रालय आगे फैसला लेगा. मीटिंग में यह भी तय किया जाएगा कि मंत्रालय 27 तारीख को हाईकोर्ट में होने वाली सुनवाई का इंतज़ार करे या फिर उससे पहले इंस्पेक्शन रिपोर्ट के आधार पर कोई फैसला ले. कॉरपोरेट अफेयर्स मंत्रालय के रीजनल डायरेक्टर नॉर्थ को जांच का जिम्मा सौंपा गया था.
पीआईएल में इंडियाबुल्स पर गंभीर आरोप लगाए गए
दरअसल हाल में दिल्ली हाईकोर्ट में दायर एक जनहित याचिका में इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं. जिसमें ग्रुप के प्रोमोटर्स पर पब्लिक मनी से प्राइवेट बेनेफिट का आरोप लगाया गया है. जनहित याचिका में आरोप लगाया गया है कि इंडियाबुल्स से लोन लेकर फिर शेल कंपनियों का इस्तेमाल कर पैसे इंडियाबुल्स ग्रुप की कंपनियों और प्रोमोटर्स से जुड़ी संस्थाओं में वापस लाए गए हैं.
याचिकाकर्ताओं ने SIT के गठन की मांग की
इस तरह से बैंकों से जुटाए गए पैसों का इस्तेमाल निजी लाभ के लिए किया जा रहा है. इस मामले में याचिकाकर्ताओं ने SIT के गठन की मांग की है. अर्ज़ी में कॉरपोरेट अफेयर्स मंत्रालय, रिज़र्व बैंक, नेशनल हाउसिंग बैंक, सीरियस फ्रॉड इनवेस्टिगेशन ऑफिस को भी पक्षकार बनाने की मांग की गई है. हालांकि कंपनी ने अपनी सफाई में कहा है कि जनहित याचिका में लगाए गए आरोप निराधार हैं. और इस याचिका का लक्ष्मी विलास बैंक के साथ मर्ज़र पर कोई असर नहीं होगा. लक्ष्मी विलास बैंक और इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइऩेंस ने अप्रैल में मर्ज़र का एलान किया था.