Veer Savarkar: क्या आप जानते हैं कि देश में कई ऐसे लोग हैं, जो वीर सावरकर को अपमानित करते रहते हैं और सावरकर के बारे में दुष्प्रचार करके अपना एजेंडा चलाते हैं. हम आपको सावरकर के बारे में तीन अहम बातें बताते हैं, जिसके बारे में बहुत कम लोगों को पता है.
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Facts About Veer Savarkar: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) शुक्रवार को नजफगढ़ में 'वीर सावरकर कॉलेज (Veer Savarkar College)' की आधारशिला रखेंगे. इस संस्थान को 2021 में दिल्ली यूनिवर्सिटी (Delhi University) की कार्यकारी परिषद द्वारा अनुमोदित किया गया था. लेकिन, अब कांग्रेस ने इसको लेकर राजनीति शुरू कर दी है. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि देश में कई ऐसे लोग हैं, जिन्हें वीर सावरकर का नाम अच्छा नहीं लगता. वो सावरकर को अपमानित करते रहते हैं. ऐसे लोग सावरकर (Veer Savarkar) के बारे में दुष्प्रचार करके अपना एजेंडा चलाते हैं. सावरकर के बारे में हम आपको तीन अहम बातें बताते हैं, जिसके बारे में बहुत कम लोगों को पता है. या एक तरह से ये मान लीजिए कि इन बातों को सालों तक देश से छुपाए रखने की बहुत कोशिश की गई.
वीर सावरकर के बारे में 3 अहम बातें
पहली बात- आजादी की लड़ाई में वीर सावरकर (Veer Savarkar) पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने अंग्रेजों का विरोध करने के लिए विदेशी कपड़ों की होली जलाना शुरू किया था. ये साल 1905 था, तब सावरकर पुणे के Fergusson College में पढ़ते थे. इस घटना के बाद सावरकार को कॉलेज से निकाल दिया गया था और उन पर 10 रुपये का फाइन भी लगाया गया था. ये वो वक्त था, जब महात्मा गांधी भी विदेश से भारत लौटकर नहीं आए थे.
दूसरी बात- भारत में जब महात्मा गांधी और बाबा साहब बीआर आंबेडकर की ज्यादा चर्चा भी नहीं होती थी, तब वीर सावरकर (Veer Savarkar) ने छुआछूत और जाति प्रथा को पूरी तरह से खत्म करने की वकालत की थी. जिन लोगों को तब अछूत मानकर मंदिरों में प्रवेश नहीं दिया जाता था, उनके लिए सावरकर ने आंदोलन किए थे. उन्होंने पतित-पावन नाम के मंदिरों को बनाने के लिए कहा, जहां सभी जातियों के लोग एक साथ पूजा कर सकें.
तीसरी बात- वीर सावरकर (Veer Savarkar) के बारे में तीसरी बड़ी बात ये है कि वो पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने 1857 की लड़ाई को भारत का पहला स्वतंत्रता संग्राम कहा था. नहीं तो 1857 की लड़ाई को सिपाही विद्रोह ही कहा जाता था. लेकिन, सावरकर ने इसे आजादी की पहली लड़ाई बताकर पूरे देश को गर्व से भर दिया था. उन्होंने इस पर एक किताब भी लिखी थी, जिससे अंग्रेजों ने डर कर किताब को प्रकाशित होने से पहले ही रोक दिया था.
सावरकर की किताब पर अंग्रेजों ने लगाया था प्रतिबंध
वीर सावरकर (Veer Savarkar) ने साल 1906 से 1910 के बीच The Indian War of Independence, 1857 नाम से एक किताब लिखी थी. इस किताब पर अंग्रेजों ने प्रतिबंध लगा दिया था. मार्च 1910 में सावरकर को ब्रिटिश सरकार के खिलाफ हिंसा और युद्ध भड़काने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया. उन पर मुकदमा चलाया गया और साल 1911 में उन्हें अंडमान द्वीप में 10 वर्षों तक कालापानी की सजा दी गई.
693 कमरों वाली इस जेल में कैदियों के रहने की जगह बहुत छोटी हुआ करती थी. रोशनी के लिए सिर्फ एक छोटा सा रोशनदान होता था. क्रांतिकारियों को वहां पर तरह-तरह की यातनाएं दी जाती थीं, उन्हें बेड़ियों से बांधा जाता था. उनसे कोल्हू से तेल निकालने का काम करवाया जाता था. वहां, हर कैदी को एक निश्चित समय में करीब साढ़े तेरह किलो नारियल और सरसों से तेल निकालना होता था और अगर कोई ऐसा नहीं कर पाता था तो उसे बुरी तरह पीटा जाता था और बेड़ियों से जकड़ दिया जाता था.
अंग्रेज बहुत निर्दयी थे और हमेशा भारतीय लोगों के सम्मान पर चोट करते रहते थे. भारतीय कैदियों को गंदे बर्तनों में खाना दिया जाता था, उन्हें पीने का पानी भी सीमित मात्रा में मिलता था. कैदियों के पैर हमेशा जंजीरों में बंधे रहते थे. उनके लिए चलना-फिरना और नित्य कर्म करना भी मुश्किल होता था. वीर सावरकर ने इतने मुश्किल हालात के बावजूद काल कोठरी की दीवारों पर 8 से 10 हजार पंक्तियां लिखी थीं. उन्होंने कविताएं लिखने के लिए पत्थर को कलम और जेल की दीवार को कागज की तरह इस्तेमाल किया था.
अब सावरकर के नाम पर कांग्रेस ने शुरू की राजनीति
'वीर सावरकर कॉलेज (Veer Savarkar College)' पर राजनीति शुरू हो गई है. कांग्रेस की छात्र शाखा नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (NSUI) ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर नए कॉलेज का नाम वीर सावरकर के बजाय पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नाम पर रखने का आग्रह किया है. तो दूसरी तरफ कांग्रेस सांसद सैयद नासिर हुसैन ने बीजेपी पर स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान की अनदेखी करने का आरोप लगाते हुए कहा कि एक कॉलेज के नामकरण के जरिए ऐसे व्यक्ति का महिमामंडन किया जा रहा है, जिसने अंग्रेजों के समक्ष माफीनामा लिखा था.