Road Accidents Cashless Scheme: परिवहन सचिव अनुराग जैन के मुताबिक, भारत में सड़क हादसों में जान गंवाने वाले लोगों की तादाद दुनिया में सबसे ज्यादा है. इसे कम करने के लिए सरकार पीड़ितों को फौरन इलाज सुविधा मुहैया कराने की योजना बना रही है.
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India Road Accidents: सड़क हादसों में सबसे ज्यादा लोग भारत में मारे जाते हैं. FICCI की रिपोर्ट के मुताबिक हर साल 15 लाख लोग सड़क हादसों में जान गंवा बैठते हैं. भारत में जितने सड़क हादसे हर साल होते हैं, वह यूरोपीय देश एस्टोनिया की जनसंख्या के बराबर है. लोग अकसर इलाज नहीं मिलने के कारण सड़क हादसों में दम तोड़ देते हैं. अब मोदी सरकार सड़क हादसों में घायल होने वाले लोगों के लिए बड़ी योजना लाने जा रही है.
मोदी सरकार ला रही योजना
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय सड़क हादसों में घायल होने वाले लोगों को देश भर में कैशलेस इलाज की सुविधा अगले तीन-चार महीनों में शुरू करने की तैयारी कर रहा है. परिवहन सचिव अनुराग जैन के मुताबिक, भारत में सड़क हादसों में जान गंवाने वाले लोगों की तादाद दुनिया में सबसे ज्यादा है. इसे कम करने के लिए सरकार पीड़ितों को फौरन इलाज सुविधा मुहैया कराने की योजना बना रही है.
जैन ने कहा, 'सड़क हादसों में घायल होने वाले लोगों को फ्री और कैशलेस सुविधा मुहैया कराना संशोधित मोटर वाहन अधिनियम, 2019 का हिस्सा है. कुछ राज्यों ने इसे लागू किया है लेकिन अब स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के साथ मिलकर सड़क परिवहन मंत्रालय इसे देश भर में लागू करने जा रहा है.'
कब शुरू होगी सुविधा
परिवहन सचिव ने कहा कि घायलों के लिए कैशलेस इलाज की देश भर में सुविधा तीन-चार महीनों में शुरू हो जाएगी. इस योजना के तहत सड़क हादसों के पीड़ितों को हादसे की जगह के पास बेहतर अस्पताल में कैशलेस ट्रॉमा देखभाल देने का कॉन्सेप्ट तैयार किया गया है. यह कदम सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक होगा और इसके लिए मोटर वाहन संशोधन अधिनियम, 2019 से अधिकार मिले हैं.
जैन ने कहा, 'सड़क हादसे को घायलों को कैशलेस इलाज नजदीकी अस्पतालों में मोटर वाहन अधिनियम में परिभाषित 'गोल्डन ऑवर' के दौरान मुहैया कराया जाएगा.'
एक घंटे का वक्त होता है गोल्डन ऑवर
किसी हादसे में घायल हुए लोगों की जान बचाने के लिहाज से हादसे के एक घंटे के भीतर का समय काफी अहम माना जाता है और इसे मेडिकल फील्ड में 'गोल्डन ऑवर' कहा जाता है. जैन ने कहा कि सड़क हादसों में कमी लाने के लिए मंत्रालय लोगों को शिक्षित और जागरूक करने की पहल भी कर रहा है.साथ ही शिक्षा मंत्रालय स्कूलों और कॉलेज के सिलेबस में सड़क सुरक्षा को भी शामिल करने के लिए सहमत हो गया है.
उन्होंने कहा, 'वाहनों की इंजीनियरिंग से जुड़े बदलावों के लिए कई कदम उठाए गए हैं जिनमें सीट बेल्ट पहनने की याद दिलाने वाले इंडिकेटर और वाहनों की सुरक्षा संबंधी मानक 'भारत एनकैप' को भी पहली बार जारी किया गया है.' इस मौके पर इंस्टीट्यूट ऑफ रोड ट्रैफिक एजुकेशन (आईआरटीई) के अध्यक्ष रोहित बलूजा ने कहा कि सम्मेलन में शामिल हो रहे सड़क सुरक्षा विशेषज्ञ सड़क हादसों की जांच और विश्लेषण करेंगे.