भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के चेयरमैन रजनीश कुमार ने कहा है कि बैंक कर्ज देने को तैयार हैं, लेकिन ग्राहक कर्ज लेने के लिए आगे नहीं आ रहे हैं. कुमार ने मंगलवार को कहा कि आज ग्राहक जोखिम उठाने और कर्ज लेने से कतरा रहे हैं.
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नई दिल्ली: ऐसा कम ही होता है जब बैंक लोन देने को तैयार हो लेकिन कोई जोखिम लेने को तैयार न हो. लेकिन लॉकडाउन ने मौजूदा परिस्थिति ऐसी ही हो गई है. स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) का कहना है कि हम लोन (Loan) देने को तैयार हैं लेकिन लोग लोन लेने आ ही नहीं रहे.
ग्राहक नहीं लेना चाहते जोखिम
भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के चेयरमैन रजनीश कुमार ने कहा है कि बैंक कर्ज देने को तैयार हैं, लेकिन ग्राहक कर्ज लेने के लिए आगे नहीं आ रहे हैं. कुमार ने मंगलवार को कहा कि आज ग्राहक जोखिम उठाने और कर्ज लेने से कतरा रहे हैं. उन्होंने कहा कि बैंक सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उपक्रमों (MSME) क्षेत्र को तीन लाख करोड़ रुपये की ऋण गारंटी योजना को लेकर आशान्वित है. इस योजना के जरिये सरकार ने अप्रत्यक्ष रूप से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में 30,000 करोड़ रुपये डाले हैं.
बड़े निवेश नहीं हो रहे
SBI चेयरमैन ने आगे कहा कि केंद्र सरकार ने पिछले साल सितंबर महीने में कॉर्पोरेट टैक्स की दरों में भारी कटौती की थी. काफी लोगों ने अनुमान लगाया था कि सरकार के इस कदम से निवेश में बढ़ावा मिलेगा लेकिन ऐसा हुआ नहीं. एक उदाहरण देते हुए एसबीआई प्रमुख ने बताया कि पिछले पांच सालों में बड़े निवेश लगभग रुके हुए हैं. मसलन, आईटी सेक्टर में कोई खास बड़ा निवेश देखने को नहीं मिला है.
MSME क्षेत्र में है फायदा
रजनीश कुमार ने बताया कि आत्मनिर्भर भारत मिशन के तहत केंद्र सरकार ने MSME क्षेत्र को बढ़ावा देने का फैसला किया है. केंद्र सरकार इस क्षेत्र में अगले चार सालों में 41,600 करोड़ रुपये खर्च करना चाहती है.
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भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) की वार्षिक बैठक को संबोधित करते हुए कुमार ने बैंक की जमा रिजर्व बैंक के पास रखने की आलोचनाओं पर कहा, हमारे पास कोष है, लेकिन ऋण की मांग नहीं है.
उन्होंने कहा कि ऐसे में बैंकों के पास अपना पैसा रिजर्व बैंक के पास रखने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. जहां तक ग्राहकों की बात है तो वे अभी जोखिम नहीं लेना चाहते हैं.