दुनिया में काला कारोबार करने वाले लोग धन का लेन देन भी काले बाजार से करते हैं. ये पैसे कहां से आते हैं, कहां जाते हैं. इसकी खबर दुनिया के किसी भी देश की सरकार के पास नहीं होता.
दुनिया में काला कारोबार करने वाले लोग धन का लेन देन भी काले बाजार से करते हैं. ये पैसे कहां से आते हैं, कहां जाते हैं. इसकी खबर दुनिया के किसी भी देश की सरकार के पास नहीं होता. आज हम बता रहे हैं दुनिया के सबसे बड़े 'डार्कनेट' मार्केट के बारे में, जहां काले कारनामे करने वाले लोगों के काले धन का लेन देन होता है.
जर्मनी की पुलिस ने दुनिया के सबसे बड़े 'डार्कनेट मार्केटप्लेस' को बंद करा दिया है. क्या आपको बता है कि ये 'डार्कनेट मार्केटप्लेस' आखिर होता क्या है? दरअसल, ये इंटरनेट की दुनिया में ऐसी जगह है, जिसके बारे में किसी को कोई ठीक ठाक खबर नहीं होती. यहां से दुनिया का हर काला कारोबार होता है, लेकिन उसके ठिकाने के बारे में कोई नहीं जानता. वहां तक पहुंचने का भी एक रास्ता होता है, लेकिन ये रास्ता दुनिया की नजर से बिल्कुल ओझल होता है.
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'डार्कनेट मार्केटप्लेस' उस जगह को कहते हैं, जहां दुनिया के सबसे दुर्दांत लोग अपना धंधा करते हैं. ये किसी वेबसाइट का पता भी हो सकता है. यहां पर ड्रग्स की खरीद हो सकती है. क्रेडिट कार्ड का डाटा, मालवेयर, हथियार, शरीर के अंग जैसी हर वो चीज मिल सकती है, जो खुले मार्केट में नहीं मिलती.
भारत में अंडरवर्ल्ड या काले धन का लेनदेन डार्कनेट मार्केटप्लेस के जरिए होता है. भारत में ड्रग्स की सप्लाई चेन भी डार्कनेट वर्ल्ड से जुड़ा हुआ है. इसका लेनदेन एनॉनिमस तरीके से होता है, यानि न तो खरीददार का कोई पता होता है, न ही बेचने वाले का. इसमें बिटकॉइन जैसी ऑनलाइन करेंसी का भी धडल्ले से इस्तेमाल हो रहा है.
पिछले दो दिनों में ऑनलाइन करेंसी बिटकॉइन के दामों में 20 फीसदी से ज्यादा गिरावट दर्ज की गई है. इसे डार्कनेट मार्केटप्लेस पर हुई कार्रवाई से भी जोड़कर देखा जा रहा है. बिटकॉइन के दामों में 20 फीसदी गिरावट का मतलब है कि एक दिन ही दिन में अरबों मिलियन का नुकसान हो चुका है. हालांकि भारत में बिटकॉइन जैसी मुद्रा पर रोक है, लेकिन पिछले कुछ समय में भारत में भी भारी मात्रा में लोगों ने बिटकॉइन जैसी वर्चुअल करेंसी में निवेश किया है.
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जर्मनी और डेनमार्क के बॉर्डर पर एक पुराने में बंकर में चल रहे इस डार्कनेट मार्केटप्लेस के बारे में किसी को खबर न थी. इसके पीछे दुनिया भर की एजेंसियां पड़ी हुई थी और आखिर में अमेरिका की एफबीआई समेत कई एजेंसियों को कार्रवाई के लिए हाथ मिलाना पड़ा. जर्मन पुलिस के हत्थे चढ़े इस मार्केटप्लेस ऑपरेटन के बारे में पता चला है कि वो ऑस्ट्रेलिया का रहने वाला है और इस जगह से 3.20 लाख लेन देन किए गए हैं, जो 150 मिलियन यूरो से ज्यादा के हैं.
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