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नई दिल्ली: Prepaid Smart Meters: अब पूरे देश में, हर घर में स्मार्ट मीटर लगाए जाएंगे. इसे लेकर सरकार ने समयसीमा तय कर दी है. आपको बता दें कि बिजली मंत्रालय ने कुछ दिन पहले ही सरकार के सभी केंद्रीय मंत्रालयों को सलाह दी थी कि वो अपने प्रशासनिक नियंत्रण वाले संगठनों को प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाने का निर्देश दें. अब बिजली मंत्रालय की तरफ से इसे लेकर एक नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है. प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगने के बाद उम्मीद की जा रही है कि बिजली वितरण कंपनियों के वित्तीय हालत सुधरेगी, जो अबतक बिजली बकाए बिल के बोझ तले दबी हुई हैं.
GoI notifies timelines for replacement of existing meters with smart meters with prepayment feature. All consumers (other than agricultural consumers) in areas with communication network,shall be supplied electricity with Smart Meters working in prepayment mode: Ministry of Power pic.twitter.com/MmDpFc6Wa2
— ANI (@ANI) August 19, 2021
प्रीपेड मीटर ठीक उसी तरह से काम करता है जैसे प्रीपेड मोबाइल, मतलब जितना पैसा उतनी बिजली. हालांकि देश के कई हिस्सों में प्रीपेड मीटर का इस्तेमाल होता है. जिसे रिचार्ज करना होता है. केंद्र सरकार के दफ्तरों, इंडस्ट्रियल यूनिट्स में प्रीपेड मीटर लगने के बाद इसे देश भर में लागू किया जाएगा. सभी बिजली उपभोक्ताओं के घरों में प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगा दिए जाएंगे. बिजली मंत्रालय की तरफ से जारी नोटिफिकेशन के मुताबिक कृषि को छोड़कर सभी जगह प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाए जाएंगे.
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बिजली मंत्रालय ने अपने नोटिफिकेशन में कहा है कि दिसंबर 2023 तक सभी ब्लॉक लेवल सरकारी दफ्तरों में स्मार्ट मीटर लगा दिया जाएगा. नोटिफिकेशन में यह भी कहा गया है कि राज्य बिजली आयोग इस डेडलाइन को दो बार और अधिकतम 6 महीने के लिए बढ़ा सकते हैं. हालांकि इसके लिए उन्हें वाजिब कारण भी बताने होंगे. नोटिफिकेशन के मुताबिक, धीरे-धीरे पूरे देश में मार्च 2025 तक प्रीपेड स्मार्ट मीटर लग जाएंगे.
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भारत सरकार के नोटिफिकेशन के मुताबिक, जिस भी यूनिट में अर्बन कंज्यूमर यानी शहरी उपभोक्ता 50 परसेंट से ज्यादा होंगे, और AT&C नुकसान 15 परसेंट से ज्यादा होगा, वहां 2023 तक स्मार्ट मीटर लगाए जाएंगे. अन्य जगहों पर यह 2025 तक लगा दिया जाएगा. AT&C का मतलब हुआ-सकल तकनीकी और वाणिज्यिक (Aggregate technical and commercial) नुकसान. जो खराब या अपर्याप्त बुनियादी ढांचे से या बिजली की चोरी या बिलों के भुगतान नहीं होने की वजह से होती हैं. जिन क्षेत्रों में संचार नेटवर्क कमजोर है या फिर है ही नहीं, उन क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति मौजूदा मीटरों के जरिए बहाल रखने को लेकर संबंधित क्षेत्रों में राज्यविनियामक आयोग अंतिम फैसला लेंगे.
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