Inflation Rate: मुद्रास्फीति के 2 से 6 प्रतिशत दायरे में बदलाव की जरूरत नहीं: आरबीआई गवर्नर
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Inflation Rate: मुद्रास्फीति के 2 से 6 प्रतिशत दायरे में बदलाव की जरूरत नहीं: आरबीआई गवर्नर

RBI: आरबीआई प्रमुख ने भरोसा जताया कि अक्टूबर में मुद्रास्फीति की दर सात प्रतिशत से कम रहेगी. मुद्रास्फीति इस साल जनवरी से ही आरबीआई के छह प्रतिशत के ऊपरी संतोषजनक स्तर से ऊपर बनी हुई है.

Inflation Rate: मुद्रास्फीति के 2 से 6 प्रतिशत दायरे में बदलाव की जरूरत नहीं: आरबीआई गवर्नर

Reserve Bank Of India: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि मुद्रास्फीति को छह प्रतिशत के ऊपरी संतोषजनक स्तर से नीचे रखने में विफल रहने के बावजूद इस सीमा में बदलाव करने की जरूरत नहीं है. इसके साथ ही आरबीआई प्रमुख ने भरोसा जताया कि अक्टूबर में मुद्रास्फीति की दर सात प्रतिशत से कम रहेगी. मुद्रास्फीति इस साल जनवरी से ही आरबीआई के छह प्रतिशत के ऊपरी संतोषजनक स्तर से ऊपर बनी हुई है.

आर्थिक वृद्धि पर असर डालेगी महंगाई दर
आरबीआई अधिनियम में यह अनिवार्य है कि लगातार तीन तिमाहियों तक मुद्रास्फीति लक्ष्य हासिल करने में नाकाम रहने पर आरबीआई को सरकार को एक रिपोर्ट पेश करनी होती है. इस रिपोर्ट में कीमतों में वृद्धि को रोकने के लिए उठाए जाने वाले उपचारात्मक कदमों के कारणों की व्याख्या करना और उन्हें विस्तार से बताना होता है. दास ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि मुद्रास्फीति को दो से छह प्रतिशत के दायरे में रखने के लक्ष्य में बदलाव की आवश्यकता नहीं है क्योंकि छह प्रतिशत से अधिक की महंगाई दर आर्थिक वृद्धि पर असर डालने लगेगी.

बचत और निवेश का माहौल प्रभावित होगा
सरकार ने आरबीआई गवर्नर की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति (MPC) को मुद्रास्फीति दर दो से छह प्रतिशत के दायरे में रखने की जिम्मेदारी दी हुई है. आरबीआई के आंतरिक शोध का हवाला देते हुए दास ने कहा कि भारत के लिए छह प्रतिशत से अधिक की मुद्रास्फीति दर आर्थिक वृद्धि के लिए हानिकारक होगी. उन्होंने कहा कि इससे वित्तीय बचत और निवेश का माहौल प्रभावित होगा. साथ ही यदि मुद्रास्फीति लंबे समय तक छह प्रतिशत से ऊपर रहती है तो भारत अंतरराष्ट्रीय निवेशकों का विश्वास खो देगा.

चार प्रतिशत तक लाने के लिए प्रतिबद्ध
उन्होंने कहा, 'हमें 2 से छह प्रतिशत के दायरे को बदलने के बारे में नहीं सोचना चाहिए क्योंकि हम इसे पूरा नहीं कर पाए हैं. हम समय के साथ मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत तक नीचे लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं.' यह देखते हुए कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ब्याज दरों के दायरे के लक्ष्यों को बदलने पर बहस चल रही है, उन्होंने कहा कि इस बारे में अभी चर्चा शुरू करना जल्दबाजी होगी. गौरतलब है कि सितंबर में खुदरा मुद्रास्फीति बढ़कर 7.4 प्रतिशत हो गई जबकि अगस्त में यह सात प्रतिशत पर थी. खाद्य और ऊर्जा उत्पादों की कीमतों में तेजी के कारण इसमें वृद्धि हुई थी.

आर्थिक वृद्धि की संभावनाएं अच्छी दिख रही
दास ने अक्टूबर माह के लिए मुद्रास्फीति की दर में कमी आने की इस उम्मीद के लिए सरकार और आरबीआई द्वारा पिछले छह-सात महीनों में उठाये गए उपायों को जिम्मेदार बताया. आरबीआई गवर्नर ने भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर कहा कि वैश्विक उथल-पुथल के बीच भारत के समग्र वृहद-आर्थिक बुनियादी पहलू मजबूत बने हुए हैं और आर्थिक वृद्धि की संभावनाएं अच्छी दिख रही हैं. उन्होंने कहा, 'हम उम्मीद करते हैं कि अक्टूबर के लिए महंगाई दर के आंकड़े सात प्रतिशत से कम होंगे. मुद्रास्फीति चिंता का विषय है जिससे हम अब प्रभावी ढंग से निपट रहे हैं.'

अक्टूबर महीने के मुद्रास्फीति आंकड़े सोमवार को जारी होंगे. उन्होंने कहा कि पिछले छह या सात महीनों में आरबीआई और सरकार दोनों ने ही मुद्रास्फीति को कम करने के लिए कई कदम उठाए हैं. दास ने कहा कि आरबीआई ने अपनी ओर से ब्याज दरों में वृद्धि की है जबकि सरकार की तरफ से आपूर्ति पक्ष से जुड़े कई कदम उठाए गए हैं.

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