सरकार को मिल सकते हैं RBI से 3 लाख करोड़ रुपये, बिमल जालान कमेटी करेगी सिफारिश
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सरकार को मिल सकते हैं RBI से 3 लाख करोड़ रुपये, बिमल जालान कमेटी करेगी सिफारिश

एक विदेशी ब्रोकरेज कंपनी की रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अगर रिजर्व बैंक एक्सेस रिजर्व को सरकार को ट्रांसफर कर देता है तो लिक्विडिटी पर किसी तरह का असर नहीं पड़ेगा.

सितंबर 2018 तक रिजर्व बैंक के पास उपलब्ध बफर पूंजी का आंकड़ा 9.6 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया था.

मुंबई: रिजर्व बैंक का कैपिटल रिजर्व कितना होना चाहिए, इसको लेकर पूर्व गवर्नर बिमल जालान की अध्यक्षता में समिति का गठन किया गया था. समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि सेंट्रल बैंक के पास 3 लाख करोड़ (1-3 लाख करोड़) ज्यादा रिजर्व है. यह GDP का करीब 0.5 फीसदी से 1.5 फीसदी है. एक विदेशी ब्रोकरेज कंपनी (Bank of America Merrill Lynch  Global Research) की रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अगर रिजर्व बैंक एक्सेस रिजर्व को सरकार को ट्रांसफर कर देता है तो लिक्विडिटी पर किसी तरह का असर नहीं पड़ेगा. बता दें, मोदी सरकार लंबे समय से सेंट्रल बैंक से इसकी मांग कर रही थी. सरकार और संस्थान के बीच मतभेद की खबरें इसको लेकर भी आती रही हैं.

बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच ने कहा है कि समिति रिजर्व बैंक के पास उपलब्ध जिस कोष के बारे में अपनी सिफारिशें सौंपेगी उसमें आपात आरक्षित (contingency reserve)कोष में उपलब्ध 1 लाख करोड़ अतिरिक्त पूंजी और पुनर्मूल्यांक जोखिम (Revaluation reserve) से निपटने के लिए 2 लाख करोड़ आरक्षित कोष को भी शामिल किया गया है. पिछले साल सितंबर तक रिजर्व बैंक के पास उपलब्ध बफर पूंजी का आंकड़ा 9.6 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया था. बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच की रिपोर्ट में कहा गया है, 'हमारे अनुमान के मुताबिक रिजर्व बैंक के पास इस समय जरूरत से ज्यादा बफर पूंजी एक से तीन लाख करोड़ रुपये तक हो सकती है.' 

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विदेशी ब्रोकरेज फर्म की रिपोर्ट में कहा गया है कि आपात आरिक्षत कोष (contingency reserve)को उसके मौजूदा 6.5 प्रतिशत के स्तर से आधा कर 3.25 प्रतिशत पर लाये जाने से 1.28 लाख करोड़ रुपये की राशि मुक्त हो सकती है. इसके पीछे यह तर्क दिया गया है कि विकासशील देशों के समूह ब्रिक्स (BRICS) के देशों में केन्द्रीय बैंक जिस अनुपात में आपात कोष रखते हैं, उसके हिसाब से रिजर्व बैंक अब भी 50 प्रतिशत अधिक कोष रखता है. इसी प्रकार प्रतिफल से प्राप्त कवर (Revaluation reserve) को मौजूदा 9 प्रतिशत घटाकर आधा करने यानि 4.5 प्रतिशत पर लाने से केन्द्रीय बैंक से 1.17 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि अर्थतंत्र में जारी हो जायेगी.

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रिपोर्ट में कहा गया है कि रिजर्व बैंक में सकल आरिक्षत कोष को मौजूदा 25.5 प्रतिशत से कम कर 20 प्रतिशत पर लाने से कुल मिलाकर 1.96 लाख करोड़ रुपये अर्थतंत्र में जारी हो जायेंगे. आरिक्षत कोष का यह स्तर 2004 की रिजर्व बैंक की उषा थोरट समिति की 18 प्रतिशत की सिफारिश से ऊंचा है. वहीं वर्ष 2018 के आर्थिक सर्वेक्षण में इसके लिये 16 प्रतिशत का स्तर रखा गया है.

पूर्व गवर्नर उर्जित पटेल कैपिटल रिजर्व सरकार को ट्रांसफर करने के विरोध में थे
रिपोर्ट में आगे कहा गया है रिजर्व बैंक से अतिरिक्त कोष सरकार को हस्तांतरित करने में किसी तरह का कोई प्रतिबंध नहीं है.  रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर बिमल जालान की अध्यक्षता में गठिति छह सदस्यीय समिति का गठन उस समय किया गया जब रिजर्व बैंक के आरक्षित कोष को सरकार को हस्तांतरित करने को लेकर तीव्र बहस छिड़ गई थी. रिजर्व बैंक के तत्कालीन गवर्नर उर्जित पटेल कोष का सरकार को हस्तांतरण करने की पहल के विरोध में थे. पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमणियम जैसे अन्य विशेषज्ञ इस राशि का इस्तेमाल बैंकों को नई पूंजी उपलब्ध कराने जैसे खास कार्यों के लिये किये जाने के पक्ष में थे. 

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