फेस्टिवल सीजन में भी नहीं लौटेगी रियल एस्टेट में बहार, 15% कम हो सकती है सेल
Advertisement

फेस्टिवल सीजन में भी नहीं लौटेगी रियल एस्टेट में बहार, 15% कम हो सकती है सेल

हाल ही में नेशनल हाउसिंग बैंक (NHB) ने हाउसिंग कंपनियों को ऐसी लोन स्कीम से दूरी बनाने के लिए कहा था जिसमें लोन के ब्याज का भुगतान खरीदार की जगह रियल्ट एस्टेट कंपनियां करती हैं.

फेस्टिवल सीजन में भी नहीं लौटेगी रियल एस्टेट में बहार, 15% कम हो सकती है सेल

नई दिल्ली : हाल ही में नेशनल हाउसिंग बैंक (NHB) ने हाउसिंग कंपनियों को ऐसी लोन स्कीम से दूरी बनाने के लिए कहा था जिसमें लोन के ब्याज का भुगतान खरीदार की जगह रियल्ट एस्टेट कंपनियां करती हैं. नेशनल हाउसिंग बैंक के इस निर्देश से 5:95 और 10:90 जैसी इंटरेस्ट सबवेंशन स्कीम में फेस्टिवल सीजन के दौरान घर खरीदना मुश्किल होगा. इन स्कीम के तहत होम बायर्स को फ्लैट की कीमत का 5 या 10 प्रतिशत देकर फ्लैट की बुकिंग करनी होती था जबकि बाकी बची अमाउंट लोन के जरिये भुगतान करते थे. ऐसे कई मामले सामने आए थे जिसमें बिल्डर्स की धोखाधड़ी देखने को मिली थी और इसका पूरा खामियाजा घर खरीदारों को भुगतना पड़ रहा है.

क्या है सब-वेंशन स्कीम
सबवेंशन स्कीम के जरिये बिल्डर 5:95 और 10:90 स्कीम की पेशकश होम बायर्स को करते हैं. इस स्कीम के जरिये होम बायर 5 से 10% रकम जमा करके फ्लैट बुक कराता है और उसे बाकी रकम पर बैंक से कर्ज मिल जाता है. कर्ज की राशि बिल्डर को कई हिस्सों में मिलती है. बिल्डर मकान के पूरा होने तक इसकी EMI का भुगतान करता है. बिल्डर को इसके तहत EMI देने के बावजूद फंड सस्ता पड़ता है. सबवेंशन स्कीम के तहत आवासीय कंपनियों और बिल्डर के बीच तय समय के लिए ही समझौता होता है. उस समय के बीच तक वित्तीय कंपनियां दिए हुए पैसे पर सिर्फ ब्याज लेती है. लेकिन, बिल्डर अगर किसी कारण समय पर कब्जा नहीं देता है तो प्री-ईएमआई का बोझ खरीदार के ऊपर आ जाता है. कई बिल्डरों के दिवालिया होने से भी संकट खुलकर सामने आ गया है.

स्कीम बंद होने से कितना होगा असर
प्रॉपर्टी एक्सपर्ट अंकुर धवन का कहना है कि रियल एस्टेट सेक्टर में ज्यादातर सब-वेंशन स्कीम के जरिये ही फ्लैट की बिक्री होती थी. ऐसे में ये स्कीम बंद होने से फेस्टिवल सीजन में बिक्री में 20-25 प्रतिशत की कमी आ सकती है. फिलहाल रियल एस्टेट सेक्टर में अभी भी मंदी का दौर जारी है और इस स्कीम के बंद होने से फंड जुटाने में दिक्कत आएगी और मार्केट के सेंटीमेंट्स और खराब होंगे. यानी कहा जा सकता है कि ये फेस्टिवल सीजन पर सब-वेंशन स्कीम के बंद होने का खासा असर देखने को मिलेगा.

निवेशकों ने रियल एस्टेट सेक्टर से दूरी बनाई हुई है
नाइट फ्रैंक के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर मुद्दसर जैदी के मुताबिक, ये तो साफ है कि अभी भी रियल एस्टेट में जो मंदी के बादल छाए हुए हैं, उसका सीधा असर फेस्टिवल सीजन में देखने को मिलेगा. अभी भी निवेशकों ने इस सेक्टर से दूरी बनाई हुई है. बात करें सब-वेंशन स्कीम की तो इस स्कीम से काफी हद तक बिल्डर्स को फंड जुटाने में आसानी होती थी और ये स्कीम बंद होने से आने वाले समय में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. इस फेस्टिवल सीज़न में रिकवरी तो दूर की बात, बिक्री में 10-15% की कमी आ सकती है. दूसरे कारक अगर जोड़े जाएं तो बाजार में लिक्विडिटी की कमी, निराश ऑटो के नंबर और विकास की रफ्तार पर सवालिया निशान यानी इन सब फेक्टर्स से रियल एस्टेट सेक्टर बुरी तरह प्रभावित होगा. ये कहा जा सकता है कि ये फेस्टिवल सीज़न भी रियल एस्टेट सेक्टर में बहार लाने में कामयाब साबित नहीं होगा.

बिल्डर्स बायर्स को लगातार ऑफर्स दे रहे
प्रॉपर्टी एक्सपर्ट ललित टेकचंदानी बताते हैं कि बाजार में अभी भी बिना बिके मकानों की संख्या काफी ज्यादा है और बिल्डर्स पूरा साल बायर्स को जुटाने के लिए ऑफर्स दे रहे हैं. ऐसे में इस स्कीम के बंद होने से नए लॉन्च में कमी आएगी. बिल्डर्स को फंड जुटाने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा और इस फेस्टिवल सीजन में 5-10% बिक्री में कमी आ सकती है. हालांकि, पहले इस स्कीम के जरिए बिल्डर्स ने काफी फंड जुटाया है और बायर्स ने भी काफी घर बुक किए थे. अब जिस तरह के हालात बने हैं, बायर्स भी काफी समझदार हो चुका है, बावजूद इसके बाज़ार में विश्वास की काफी कमी है. ज़्यादातर बायर्स रेडी टू मूव घर लेना पसंद कर रहे हैं. जहां नए लॉन्च हो रहे हैं, वहां फंड जुटाने में दिक्कत आएगी.

ऑक्सफोर्डकैप्स के नेशनल हेड आकाश बंसल ने बताया कि फंड की वजह से पहले की नए लॉन्च कम हो रहे हैं और ऐसे में पैसा जुटाने में काफी दिक्कत आएगी. नए प्रोजेक्ट्स में डिले होगा. सब-वेंशन स्कीम बंद होने से इस त्योहारी सीजन में फ्लैट्स की बिक्री में 20-25 प्रतिशत की कमी आ सकती है. मार्केट के सेंटीमेंट्स काफी डाउन हैं और बैंक भी बिल्डर्स को नई फंडिंग काफी कम कर रहे हैं. ऐसे में इस फेस्टिवल सीज़न में तेज़ी आने के आसार काफी कम हैं.   

रियल एस्टेट सेक्टर में बढ़ेगी पारदर्शिता
नारेडको (NAREDCO) के वाइस-चेयरमैन प्रवीण जैन का कहना है कि इस स्कीम के बंद होने से काफी हद तक धोखेबाज़ बिल्डर्स पर लगाम कसी जाएगी. रियल एस्टेट सेक्टर में पारदर्शिता तो बढ़ेगी साथ ही बिल्डर भी ग्राहकों को सही जानकारी दे पाएंगे. मार्केट के सेंटीमेंट्स की बात करें तो अभी भी बाज़ार में बिक्री काफी कम है. बिल्डर्स के पास लिक्विडिटी की काफी कमी है जिसकी वजह से नए लॉन्च भी कम हो रहे हैं.

 सरकार काफी प्रयास कर रही है कि रियल एस्टेट सेक्टर में 'अच्छे दिन' की शुरुआत हो. दरअसल, बजट में सरकार ने अफोर्डेबल होम्स की रफ्तार बढ़ाने की कोशिश की है. इस साल होम लोन के ब्याज भुगतान पर मिलने वाली छूट को ~2 लाख से बढ़ाकर ~3.5 लाख कर दिया गया है. प्रधानमंत्री आवासीय योजना (शहरी) के तहत लगभग ~4.83 लाख करोड़ के निवेश वाले ~81 लाख से अधिक घरों को मंजूरी दे दी गई है. बावजूद इसके घरों की बिक्री बढ़ने में सफलता हासिल नहीं हो रही है. अब देखना ये अहम होगा कि रियल एस्टेट की गाड़ी को पटरी पर लाने के लिए सरकार आने वाले समय में क्या नए कदम उठाती है.

Trending news