Demat Account: अभी आपकी तरफ से खरीदे गए शेयर पहले ब्रोकर के पास जाते हैं. लेकिन जल्दी यह सिस्टम पूरी तरह बदल जाएगा. मौजूदा सिस्टम में क्लीयरिंग कॉरपोरेशन निवेशकों के शेयर को ब्रोकर्स के पास जमा करती है.
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Stock Market Trading System: शेयर बाजार में ट्रेडिंग के नाम पर धोखाधड़ी के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. इस तरह के मामलों पर रोक लगाने के लिए सेबी की तरफ से कदम उठाए जाते हैं. पिछले दिनों पुणे के रहने वाले 53 साल के एक शख्स और उसके भाई के साथ ऑनलाइन शेयर ट्रेडिंग के नाम पर बड़ा फ्रॉड हुआ. दोनों ही भाइयों को किसी ने व्हाट्सएप ग्रुप में जोड़कर शेयर ट्रेडिंग में बंपर मुनाफा कमाने का झांसा दिया. इस झांसे की कीमत उन्हें करीब ढाई करोड़ रुपये गंवाकर चुकानी पड़ी. लेकिन अब इस तरह की धोखाधड़ी किसी के साथ न हो, इसके लिए सेबी (SEBI) शेयर बाजार में ट्रेडिंग का पूरा सिस्टम ही बदलने की तैयारी कर रही है.
14 अक्टूबर से लागू हो जाएगा यह बदलाव
टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित खबर के अनुसार मार्केट रेग्युलेटर सेबी (SEBI) निवेशकों की सुविधा को ध्यान में रखकर, रिस्क कम करने और धोखाधड़ी से बचाने के लिए नया नियम लागू करने जा रही है. इस नियम के तहत 14 अक्टूबर से निवेशकों की तरफ से खरीदे गए शेयर सीधे उनके डीमैट अकाउंट में क्रेडिट होंगे. अभी आपकी तरफ से खरीदे गए शेयर पहले ब्रोकर के पास जाते हैं. लेकिन जल्द यह सिस्टम पूरी तरह बदल जाएगा. मौजूदा सिस्टम में क्लीयरिंग कॉरपोरेशन निवेशकों के शेयर को ब्रोकर्स के पास जमा करती है. इसके बाद ब्रोकर इन्हें निवेशकों के डीमैट अकाउंट में जमा करते हैं.
नए सिस्टम में ब्रोकर को बीच से हटाया गया
सेबी की तरफ से यह कदम उस जानकारी के बाद उठाया गया, जिसमें रेग्युलेटर को पता चला कि कभी-कभी ब्रोकर दूसरे कामों के लिए इन स्टॉक का गलत इस्तेमाल कर लेते हैं. इसीलिए, नए सिस्टम में ब्रोकर को बीच से हटा दिया गया है. इससे निवेशकों को सीधे उनके शेयर मिल सकेंगे. सेबी की तरफ से जारी सर्कुलर में कहा गया कि अब क्लीयरिंग कॉरपोरेशन की तरफ से शेयर सीधे कस्टमर के डीमैट अकाउंट में क्रेडिट किये जाएंगे.
क्लियरिंग कॉरपोरेशन ट्रेडिंग मेंबर / क्लीयरिंग मेंबर को मार्जिन ट्रेडिंग सर्विस के तहत अनपेड सिक्योरिटीज और फंडिड स्टॉक की पहचान करने के लिए मैकेनिज्म देगा. सेबी के सर्कुलर में बताया गया है कि यदि किसी शेयर को खरीदने के लिए ब्रोकर ने पैसे दिए हैं तो ब्रोकर उन शेयरों को अपने पास गिरवी रख सकता है. यदि निवेशक समय पर पैसा नहीं चुका पाता है तो ब्रोकर ऐसे शेयर को नीलाम कर सकता है.