Maharashtra Politics: अजित पवार गुट के बड़े नेता छगन भुजबल आज अचानक शरद पवार के घर जाकर मिले हैं. कुछ महीने पहले वह पवार का साथ छोड़कर भतीजे के साथ हो गए थे. महाराष्ट्र की सियासत में हलचल मच गई है. अभी साफ नहीं है कि इस मुलाकात का एजेंडा क्या है. कल बारामती रैली में भुजबल ने पवार पर निशाना साधा था.
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Chhagan Bhujbal Meet Sharad Pawar: कई दिनों से मीडिया में अटकलें लगाई जा रही थी कि महाराष्ट्र में जल्द ही नया सियासी भूचाल आने वाला है. खबर थी कि महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार गुट के कुछ नाराज नेता उनके चाचा शरद पवार के साथ वापस जा सकते हैं. आज अचानक अजित गुट के दिग्गज नेता छगन भुजबल पवार से मुलाकात करने पहुंच गए. इस मुलाकात पर अब कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं. हालांकि बाद में छगन भुजबल ने बताया कि वह मराठा आरक्षण के मुद्दे पर पवार से मिले. फिर भी अंदर खाने अलग खिचड़ी पकने की बातें हो रही हैं.
छगन भुजबल ने कैमरे के सामने कहा कि हां, मैं पवार साहब के घर पर गया था. उनसे मुलाकात का समय मैंने नहीं लिया था. उनकी तबीयत ठीक नहीं थी. डेढ़ घंटे के बाद उन्होंने बुलाया. वह बिस्तर पर ही लेटे थे. मैं बगल में कुर्सी पर बैठ गया. उन्होंने पूछा कि क्यों आए हो. मैंने उन्हें बताया कि राज्यभर में मराठा और ओबीसी में झगड़ा हो रहा है. एक कह रहा है कि उसके शादी में नहीं जाएंगे, कोई कह रहा है कि उसके होटल में नहीं जाएंगे. ऐसा ही रहा तो राज्य में आगजनी हो सकती है. जानें जा सकती हैं. मैंने उनसे कहा कि आप राज्य के सर्वश्रेष्ठ बुजुर्ग नेता हैं. अब ये सारे सवाल खड़े हुए तो आपको ये देखना चाहिए कि कैसे शांत होगा.
कल अटैक और आज मिलने पहुंचे
वैसे, यह मंत्रणा ऐसे समय पर हुई है जब एक दिन पहले ही छगन भुजबल ने शरद पवार पर जोरदार हमला किया था. उन्होंने आरोप लगाया था कि महाराष्ट्र में जिस तरह मराठा आरक्षण पर लोगों को भड़काया जा रहा है, उसके पीछे शरद पवार ही हैं. आज वह उनसे मिलने पहुंच गए. क्या यह मुलाकात मराठा आरक्षण के मुद्दे पर है या फिर एजेंडे में कुछ और है?
कुछ समय पहले यह भी अटकलें थीं कि भुजबल उद्धव ठाकरे की पार्टी में जा सकते हैं. हालांकि तब उन्होंने साफ कहा था कि वह NCP के ही साथ हैं.
शरद पवार ने ही एनसीपी (राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी) बनाई थी लेकिन कुछ महीने पहले भतीजे ने बगावत कर पार्टी तोड़ दी. चुनाव आयोग ने भी अजित पवार के गुट को असली एनसीपी माना. अब आज की मुलाकात से नए समीकरण बन सकते हैं.
एक दिन पहले छगन-अजित की रैली
एक दिन पहले महाराष्ट्र के मंत्री छगन भुजबल ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के प्रमुख शरद पवार पर परोक्ष हमला करते हुए दावा किया था कि विपक्षी महा विकास आघाडी (एमवीए) ने शाम पांच बजे बारामती से फोन आने के बाद नौ जुलाई को मराठा आरक्षण मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक का बहिष्कार किया. भुजबल ने बारामती में रैली को संबोधित करते हुए कहा, ‘जब सामाजिक मुद्दे सामने आते हैं, तो यह उम्मीद की जाती है कि शरद पवार जैसे वरिष्ठ नेता को बैठक में आना चाहिए और अपने सुझाव देने चाहिए. पहले जानबूझकर बहिष्कार करना फिर सलाह देना सही नहीं है.’
इस रैली को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख अजित पवार ने भी संबोधित किया. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने 9 जुलाई को सर्वदलीय बैठक बुलाई थी लेकिन एमवीए नेता शामिल नहीं हुए. उनका (एमवीए नेताओं का) दावा था कि मराठा आरक्षण के मुद्दे पर विपक्ष को विश्वास में नहीं लिया गया. भुजबल ने दावा किया, ‘शाम पांच बजे बारामती से आए फोन के बाद विपक्षी नेता बैठक में नहीं आए.’
यह भी कहा, पवार साहब के आभारी हैं
पुणे जिले का बारामती लोकसभा क्षेत्र राकांपा (एसपी) नेता शरद पवार का गढ़ है. भुजबल ने कहा कि उन्होंने राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता विजय वडेट्टीवार और राकांपा (एसपी) नेता जितेंद्र आव्हाड को बैठक में शामिल होने के लिए कहा था. NCP नेता ने कहा, ‘मैंने आव्हाड से शरद पवार को भी बैठक में शामिल होने के लिए अपने साथ लेकर आने को कहा था. पवार साहब ने (पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत) वी पी सिंह द्वारा दिए गए आरक्षण को लागू किया और हम इसके लिए हमेशा उनके आभारी हैं.’
भुजबल ने बारामती के मराठा, धनगर और ओबीसी समुदायों के लोगों के हितों की कथित रूप से अनदेखी करने के लिए विपक्ष पर सवाल उठाया. उन्होंने कहा, ‘बारामती के मराठा, माली और धनगर ओबीसी समुदायों के लोगों ने सुनेत्रा पवार या सुप्रिया सुले किसी को तो (लोकसभा चुनावों में) वोट दिया होगा. आप हमसे नाराज हो सकते हैं, लेकिन इन समुदायों को क्यों असहाय छोड़ रहे हैं? क्या उनके हितों की रक्षा करना आपका कर्तव्य नहीं है?’
सुले ने अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार को हराकर बारामती लोकसभा सीट पर अपना कब्जा बरकरार रखा. सर्वदलीय बैठक के बहिष्कार के कारण राज्य विधानसभा में हंगामा हुआ और सत्ता पक्ष ने विपक्ष पर राजनीतिक लाभ के लिए जानबूझकर जातिगत तनाव भड़काने और आरक्षण मुद्दे को हल करने के लिए रचनात्मक रूप से काम नहीं करने का आरोप लगाया.