Corex, Vicks सहित 349 दवाओं की फिर से होगी जांच: सुप्रीम कोर्ट
Advertisement

Corex, Vicks सहित 349 दवाओं की फिर से होगी जांच: सुप्रीम कोर्ट

दिल्ली उच्च न्यायालय ने इस मामले में एफडीसी पर रोक लगाने के केन्द्र सरकार के 10 मार्च के आदेश के खिलाफ दायर दवा कंपनियों की यचिका को स्वीकार कर लिया था

Corex cough syrup और vicks action 500 पर उठे सवाल.

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय के एक फैसले से दवा कंपनियों को झटका लगा है. शीर्ष अदालत ने 349 फिक्स्ड डोज मिश्रण (एफडीसी) वाली दवाओं का फिर से परीक्षण कराने के पक्ष में फैसला दिया है. इससे पहले इन दवाओं पर लगाई गई रोक को दिल्ली उच्च न्यायालय ने निरस्त कर दिया था. एफडीसी दवाओं में कोरेक्स कफ सिरप, विक्स एक्शन-500 एक्स्ट्रा और कई अन्य मधुमेह के इलाज में काम आने वाली दवाएं शामिल हैं. इन दवाओं पर केन्द्र ने इससे पहले इस आधार पर रोक लगा दी थी कि इनसे लोगों को जोखिम है और इनके सुरक्षित विकल्प उपलब्ध हैं.

  1. एफडीसी दवाओं में कोरेक्स कफ सिरप, विक्स एक्शन-500 एक्स्ट्रा जैसी दवाएं शामिल हैं.
  2. याचिका फाइजर, ग्लेनमार्क, प्राक्टर एण्ड गेंबल और सिप्ला जैसे प्रमुख दवा कंपनियों ने दायर की थी.
  3. केन्द्र सरकार ने 10 मार्च 2016 को एफडीएस दवाओं पर रोक लगा दी थी.

इस मामले में केन्द्र सरकार की याचिका पर निर्णय लेते हुये न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन और एस के कौल की पीठ ने कल दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को यह कहते हुये खारिज कर दिया कि इस मामले में दवा एवं सौंदर्य प्रसाधन अधिनियम में बताई गई जरूरी प्रक्रिया को नहीं अपनाया गया. इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने इन दवाओं का दवा तकनीकी सलाहकार बोर्ड (डीटीएबी) से पुन-परीक्षण कराने का आदेश दे दिया.

केन्द्र सरकार ने कोकाटे समिति की सिफारिश पर 10 मार्च 2016 को एफडीएस दवाओं पर रोक लगा दी थी. शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा, ‘‘मामले का गहराई से विश्लेषण करने के लिये हमारा मानना है कि इन मामलों को डीटीएबी या फिर डीटीएबी द्वारा गठित उप-समिति को भेजा जाना चाहिये, ताकि इन मामलों में नये सिरे से गौर किया जा सके.’’ न्यायालय ने कहा कि डीटीएबी और इस कार्य के लिये गठित होने वाली उप-समिति दवा विनिर्माताओं का पक्ष सुनेगी. समिति इस मामले में गैर-सरकारी संगठन आल इंडिया ड्रग्स एक्शन नेटवर्क की बात भी सुनेगी.

दिल्ली उच्च न्यायालय ने इस मामले में एफडीसी पर रोक लगाने के केन्द्र सरकार के 10 मार्च के आदेश के खिलाफ दायर दवा कंपनियों की यचिका को स्वीकार कर लिया था. इसमें कहा गया कि केन्द्र का फैसला दवा एवं प्रसाधन सामग्री कानून के तहत दी गई प्रक्रिया को अपनाये बिना यह आदेश दिया. याचिका फाइजर, ग्लेनमार्क, प्राक्टर एण्ड गेंबल और सिप्ला जैसे प्रमुख दवा कंपनियों ने दायर की थी.

Trending news