सुप्रीम कोर्ट का 32000 फ्लैट खरीददारों के हित में फैसला, जेपी बिल्डर्स को फटकारा
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सुप्रीम कोर्ट का 32000 फ्लैट खरीददारों के हित में फैसला, जेपी बिल्डर्स को फटकारा

शीर्ष अदालत ने जेपी इंफ्राटेक को सारा रिकॉर्ड आईआरपी को सौंपने का निर्देश दिया था ताकि वह 32000 से अधिक परेशान मकान खरीददारों के हितों की रक्षा का संकेत देते हुये एक समाधान योजना का प्रारूप तैयार कर सकें.

याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि इन मकान खरीददारों ने 2013 में फ्लैट बुक कराये थे और उन्हें पिछले साल ही मकान का कब्जा मिलना था. (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: भवन निर्माताओं को धन का भुगतान किये जाने के बावजूद फ्लैट खरीददारों को अभी तक मकान का कब्जा नहीं मिलने की वजह से उनकी स्थिति से विचलित उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार (3 अक्टूबर) को कहा कि वह उन निवेशकों की मदद करना चाहता है जिन्हें मकान या उनका पैसा वापस मिलना चाहिए. प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने उत्तर प्रदेश के नोएडा में जेपी विश टाउन के 40 से अधिक मकान खरीददारों की याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की. इन मकान खरीददारों ने दिवालिया संहिता 2016 के कुछ प्रावधानों को चुनौती दी है.

  1. शीर्ष अदालत ने हालांकि यह भी कहा कि वह ऐसे मामलों में अब और विवाद नहीं चाहती है.
  2. जेपी विश टाउन के 40 से अधिक मकान खरीददारों की याचिका.
  3. इन मकान खरीददारों ने दिवालिया संहिता 2016 के कुछ प्रावधानों को चुनौती दी है.

शीर्ष अदालत ने हालांकि यह भी कहा कि वह ऐसे मामलों में अब और विवाद नहीं चाहती है. पीठ ने कहा, ‘‘हम मकान खरीददारों की मदद करना चाहते हैं, लेकिन और विवाद नहीं चाहते हैं. हम चाहते हैं कि मकान खरीददारों को उनके फ्लैट या उनका पैसा मिलना चाहिए.’’ पीठ ने याचिकाकर्ता के वकील राशिद सईद से कहा कि रियल इस्टेट फर्म जेपी इंफ्राटेक लि को दिवालिया घोषित करने की कार्यवाही से संबंधित मामले में पहले ही वरिष्ठ अधिवक्ता शेखर नफडे को न्याय मित्र नियुक्त किया जा चुका है. पीठ ने सईद से कहा कि दिवालिया घोषित करने की कार्यवाही के लंबित मामले में ही एक पक्षकार बनाने का अनुरोध करते हुये वह एक अर्जी दायर करें.

याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि इन मकान खरीददारों ने 2013 में फ्लैट बुक कराये थे और उन्हें पिछले साल ही मकान का कब्जा मिलना था. परंतु अपने फ्लैट के लिये लगभग पूरे धन का भुगतान करने के बावजूद उन्हें अभी तक इनका कब्जा नहीं दिया गया है. शीर्ष अदालत ने 11 सितंबर को जेपी इंफ्राटेक के खिलाफ दिवालिया संबंधी कार्यवाही जारी रखने की अनुमति देते हुये इसके प्रबंधन नियंत्रण अंतरिम समाधान पेशेवर (आईआरपी) का सौंप दिया था जिसे राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण ने तत्काल प्रभाव से नियुक्त किया था. शीर्ष अदालत ने जेपी इंफ्राटेक को सारा रिकॉर्ड आईआरपी को सौंपने का निर्देश दिया था ताकि वह 32000 से अधिक परेशान मकान खरीददारों के हितों की रक्षा का संकेत देते हुये एक समाधान योजना का प्रारूप तैयार कर सकें.

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