Supreme Court के ब्याज माफी वाले फैसले से सरकारी बैंकों को लगेगी 2000 करोड़ रुपये की 'चोट'
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Supreme Court के ब्याज माफी वाले फैसले से सरकारी बैंकों को लगेगी 2000 करोड़ रुपये की 'चोट'

रिजर्व बैंक (RBI) ने पिछले साल कोरोना (Coronavirus) महामारी की वजह से सभी मियादी ऋण (Term Loan) पर एक मार्च से 31 मई, 2020 तक की किस्तों के भुगतान पर छूट दी थी. बाद में इस अवधि को बढ़ाकर 31 अगस्त कर दिया गया था.

सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो).

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने हाल में कोविड-19 महामारी की वजह से मार्च-अगस्त, 2020 के दौरान कर्ज की किस्त के भुगतान पर छूट की अवधि के लिए सभी लोन अकाउंट पर चक्रवृद्धि ब्याज यानी ब्याज पर ब्याज को माफ कर दिया है. सूत्रों का कहना है कि कोर्ट के इस फैसले से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को 1,800 से 2,000 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ सकता है.

माफ हो जाएगा ब्याज!

बैंकिंग सूत्रों ने बताया कि शुरुआत में 60 प्रतिशत कर्जदारों ने इस छूट का लाभ उठाया था. लेकिन लॉकडाउन (Lockdown) में छूट के बाद यह आंकड़ा 40 प्रतिशत और उससे भी नीचे आ गया था. कॉरपोरेट के मामले में जहां तक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का सवाल है, यह आंकड़ा 25 प्रतिशत के निचले स्तर पर है. सूत्रों ने बताया कि बैंक किस्त के भुगतान की छूट की अवधि पर चक्रवृद्धि ब्याज में छूट देंगे. उदाहरण के लिए यदि किसी ग्राहक ने तीन महीने के लिए किस्त भुगतान की छूट ली है, तो तीन महीने के लिए उसका चक्रवृद्धि ब्याज माफ किया जाएगा.

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सिर्फ इन लोगों को मिलेगा लाभ

गौरतलब है कि रिजर्व बैंक (RBI) ने पिछले साल कोविड-19 महामारी की वजह से सभी मियादी लोन (Term Loan) पर 1 मार्च से 31 मई, 2020 तक की किस्तों के भुगतान पर छूट दी थी. बाद में इस अवधि को बढ़ाकर 31 अगस्त कर दिया गया था. बताया जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट का ये निर्देश सिर्फ उन खातों तक सीमित है जिन्होंने भुगतान की छूट का लाभ लिया है. इस बीच, इंडियन बैंक्स एसोसिएशन (IBA) ने सरकार को पत्र लिखकर बैंकों को ब्याज पर ब्याज छूट की भरपाई करने को कहा है. सरकार विभिन्न पहलुओं पर विचार के बाद इस पर फैसला करेगी.

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