रेलवे ने सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों से पड़ने वाले वित्तीय बोझ से निपटने के लिए वित्त मंत्रालय से लगभग 32000 करोड़ रुपये के वित्तीय अनुदान की मांग की है।
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नई दिल्ली : रेलवे ने सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों से पड़ने वाले वित्तीय बोझ से निपटने के लिए वित्त मंत्रालय से लगभग 32000 करोड़ रुपये के वित्तीय अनुदान की मांग की है।
रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने इस बारे में वित्त मंत्री अरुण जेटली को पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने रेलवे की मौजूदा वित्तीय स्थिति, लागत में कटौती के प्रयासों तथा वित्तीय बोझ के लिहाज से किरायों के संभावित समायोजन तथा अन्य गर शुल्क दर राजस्व कदमों का जिक्र किया है। इसके साथ ही वेतन आयोग की सिफारिशों के कार्यान्वयन में सरकारी खजाने से मदद का आग्रह किया है।
रेल मंत्रालय ने पत्र में लिखा है, ‘इस लिहाज से मैं आपसे रेल मंत्रालय की मदद और सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के कार्यान्यवन में इसके सहयोग का आग्रह करता हूं।’ उन्होंने कहा है, ‘यह कोचिंग सेवाओं के लिए नुकसान (2013-14 में 31,727 करोड़ रुपये) की भरपाई के जरिए या राजस्व मदद के रूप में, वेतन आयोग मद में रेलवे के समक्ष अगले तीन चार साल के लिए देनदारी को पूरा करते हुए किया जा सकता है।’
प्रभु ने उम्मीद जताई है कि उक्त 3-4 साल में रेलवे अपने संसाधनों से वेतन आयोग की सिफारिशों के कार्यान्वयन को वहन करने की स्थिति में होगी। इस दिशा में वह किरायों के क्रमिक समायोजन व अन्य गैर-शुल्क राजस्व कदम उठा रही है।