Railway Ticket Fares: संसद की स्थायी समिति ने रेलवे अधिकारियों को यह निर्देश दिया है कि वे एसी क्लास के किराए की समीक्षा करें ताकि यात्री ट्रेनों से राजस्व की हानि को कम किया जा सके.
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Indian Railways: देश में रेलवे से सफर करने वाले यात्रियों को झटका लग सकता है. क्योंकि भारतीय रेलवे ने यात्री किराए में वृद्धि पर विचार करना शुरू कर दिया है. फाइनेंशियल एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, संसद की स्थायी समिति ने रेलवे अधिकारियों को यह निर्देश दिया है कि वे एसी क्लास के किराए की समीक्षा करें ताकि यात्री ट्रेनों से राजस्व की हानि को कम किया जा सके.
हालांकि, पैनल ने यह स्पष्ट किया है कि जनरल क्लास की यात्रा को सस्ती बनाए रखा जाए. यानी ट्रेन में एसी क्लास से सफर महंगा हो सकता है. संसदीय पैनल ने यह सुझाव पैसेंजर और माल गाड़ियों के बीच राजस्व के बड़े अंतर को देखते हुए दिया है. हर एक टिकट यात्रियों को 47 प्रतिशत की छूट दी जाती है जिससे पैसेंजर गाड़ियों से राजस्व माल गाड़ियों की तुलना में कम है जो रेलवे की वित्तीय स्थिति पर असर डाल रहा है.
AC क्लास के टिकटों की समीक्षा
संसदीय पैनल ने भारतीय रेलवे के अधिकारियों से 2024-25 के लिए बजट अनुमान को ध्यान में रखते हुए एसी श्रेणी के किराए की समीक्षा करने को कहा है. रिपोर्ट में बताया गया कि यात्री राजस्व 80,000 करोड़ रुपये के करीब अनुमानित है, जबकि माल यातायात से प्राप्त होने वाला राजस्व 1.8 लाख करोड़ रुपये है. इस बड़े अंतर के कारण रेलवे को वित्तीय नुकसान हो रहा है, और इस समस्या को सुलझाने के लिए एसी किराए में संशोधन करने की आवश्यकता महसूस हो रही है.
हालांकि, समिति ने यह भी स्पष्ट किया है कि जनरल क्लास की यात्रा आम जनता के लिए सस्ती रहनी चाहिए. इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि रेलवे का ऑपरेशनल बिजनेस सफल हो, लेकिन इसके साथ ही जनरल क्लास के किराए में वृद्धि न हो, ताकि आम लोग भी रेलवे की सेवाओं का लाभ उठा सकें. रेलवे अधिकारियों को यह निर्देश भी दिया गया है कि वे अलग-अलग श्रेणियों के किराए की पूरी तरह से समीक्षा करें.
सीनियर सीटिजन को छूट देना मुश्किल
संसदीय समिति ने रेलवे से यह भी कहा है कि वह अपने यात्री ट्रेनों के ऑपरेशनल खर्चों की समीक्षा करे और लागत को ऑप्टिमाइज़ करके टिकट की उपलब्धता को सस्ता बनाए रखने के लिए कदम उठाए. रेलवे मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि हर टिकट पर 46% छूट दी जाती है. जिस पर सालाना 56,993 रुपये खर्च होते हैं. ऐसे में वरिष्ठ नागरिकों के लिए दी जाने वाली छूट को फिर से बहाल करना मुश्किल है.