भारत के इस गांव में हैं 100 से ज्यादा IAS, यहां के बच्चे चुटकियों में क्रैक कर लेते हैं JEE-NEET, हर घर में है एक सरकारी अफसर
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भारत के इस गांव में हैं 100 से ज्यादा IAS, यहां के बच्चे चुटकियों में क्रैक कर लेते हैं JEE-NEET, हर घर में है एक सरकारी अफसर

Village of IAS Officers: आज हम आपको भारत के उस गांव के बारे में बताएंगे, जहां मौजूदा समय में 100 से अधिक IAS अफसर हैं. इसके अलावा यहां पढ़ाई-लिखाई का ऐसा माहौल है कि यहां के 7 में 4 बच्चे NEET तो 3 बच्चे JEE जैसे कठिन एग्जाम बड़ी आसानी से पास कर लेते हैं.

भारत के इस गांव में हैं 100 से ज्यादा IAS, यहां के बच्चे चुटकियों में क्रैक कर लेते हैं JEE-NEET, हर घर में है एक सरकारी अफसर

Administrators Village of India: मध्य प्रदेश के धार जिले के सुदूर इलाके में बसा आदिवासी बहुल पडियाल गांव 'अधिकारियों का गांव' के नाम से मशहूर है. यहां हर बच्चा सिविल सेवक, इंजीनियर या डॉक्टर बनना चाहता है. 5,000 से अधिक आबादी वाले मालवा क्षेत्र के इस आदिवासी बहुल गांव में 100 से ज्यादा लोग भारत के अलग-अलग हिस्सों में एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिसर के तौर पर काम कर रहे हैं.

गांव की करीब 90 फीसदी आबादी भील जनजाति की है. भील एक जातीय समुदाय है, जो मध्य प्रदेश के धार, झाबुआ और पश्चिमी निमाड़ जिलों और महाराष्ट्र के धुलिया और जलगांव समेत मध्य भारत के राज्यों में रहते हैं. वे राजस्थान में भी पाए जाते हैं.

मध्य प्रदेश सरकार के दावों के मुताबिक पडियाल गांव की साक्षरता दर 90 फीसदी से ज्यादा है. मध्य प्रदेश सरकार के मुताबिक, दो साल पहले तक इस गांव में एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिसर की संख्या 70 थी, जो 2024 में 100 को पार कर जाएगी. इसमें लोअर कोर्ट के जज, भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी, भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी, भारतीय इंजीनियरिंग सेवा के अधिकारी, डॉक्टर, प्रॉसिक्यूशन अधिकारी, वन अधिकारी आदि शामिल हैं.

हालांकि, इस भील जनजाति बहुल गांव की शिक्षा की गुणवत्ता या साक्षरता दर का अंदाजा तब लगाया गया, जब 7 स्कूली बच्चों में से 4 का चयन NEET परीक्षा में सफलतापूर्वक पास होने पर हुआ और 3 अन्य ने इसी साल JEE Mains परीक्षा पास की. 

राज्य सरकार ने एक बयान में कहा कि इस गांव में हर घर से औसतन एक सरकारी कर्मचारी है, जो कुल 300 हैं. कहा जाता है कि यहां के युवाओं ने आजादी के बाद से ही प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल होने के लिए कम्पीट करना शुरू कर दिया था. 

इस क्षेत्र में लंबे समय से ब्लॉक रिसोर्स सेंटर ऑफिशियल के रूप में काम कर रहे और इस विशेष गांव के युवाओं की सफलता की कहानियों के गवाह मनोज दुबे ने कहा कि गांव ने शिक्षा प्रदान करने पर अधिक जोर दिया है. उन्होंने कहा कि स्कूली बच्चे एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस, टेक्नोलॉजी या अन्य फील्ड, जिसमें मेडिसिन और इंजीनियरिंग शामिल हैं, के लिए अपनी तैयारी शुरू कर देंगे.

उन्होंने कहा कि अलग-अलग एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस से रिटायर्ड व्यक्तियों द्वारा चलाई जा रही स्मार्ट क्लास ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. दुबे ने आईएएनएस से कहा, "पडियाल गांव के निवासी एक दर्जन से अधिक अधिकारी रिटायर हो चुके हैं और एजुकेशन और मेडिसिन जैसी सार्वजनिक सेवाओं में लगे हुए हैं. वर्तमान में युवा बुजुर्गों से प्रेरित होकर हायर एजुकेशन प्राप्त कर रहे हैं." 

यहां के युवा इंजीनियर और बिजनेसमैन बन चुके हैं और अमेरिका और मलेशिया जैसे देशों में अच्छी तरह से बसे हुए हैं. गांव में एक हायर सेकेंडरी स्कूल है, जिसमें 23 टीचर 702 स्टूडेंट्स को पढ़ाते हैं.

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