CBSE Internal Assessment: सीबीएसई अधिकारियों की एक टीम स्कूल लीडर्स और कॉर्डिनेटर्स के लिए कैपेसिटी बिल्डिंग वर्कशॉप आयोजित करेगी, ताकि इंटरनल असेसमेंट में कंसिस्टेंसी, ट्रांसपेरेंसी और फेयरनेस सुनिश्चित की जा सके.
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CBSE Science Internal Assessment: बोर्ड की गवर्निंग बॉडी की बैठक की डिटेल के मुताबिक, सीबीएसई ने कक्षा 6 से 12 तक के साइंस सब्जेक्ट के इंटरनल असेसमेंट के लिए ब्रिटिश काउंसिल के साथ मिलकर एक फ्रेमवर्क डिवेलप करने की योजना बनाई है, ताकि "इंटरनल असेसमेंट में नंबरों की असंगति और संभावित बढ़ोतरी" के मुद्दे का समाधान किया जा सके.
डिटेल में कहा गया है कि सीबीएसई उन क्लासेज की सीसीटीवी रिकॉर्डिंग पर भी विचार कर रहा है जहां स्टूडेंट्स बोर्ड परीक्षा दे रहे हैं, क्योंकि इससे परीक्षा केंद्रों पर गड़बड़ी का खतरा है. हाल ही में सार्वजनिक किए गए मिनट्स में कहा गया है कि सीबीएसई बेंचमार्किंग और मानकों की समीक्षा के लिए एक फ्रेमवर्क भी डेवलप करेगा.
इसमें कहा गया है कि सीबीएसई अधिकारियों की एक टीम स्कूल लीडर्स और कॉर्डिनेटर्स के लिए कैपेसिटी बिल्डिंग वर्कशॉप आयोजित करेगी, ताकि इंटरनल असेसमेंट में कंसिस्टेंसी, ट्रांसपेरेंसी और फेयरनेस सुनिश्चित की जा सके और "शैक्षिक रिजल्ट में असमानता और छात्रों के बीच असंतोष" जैसे मुद्दों को कम किया जा सके.
इंटरनल असेस्मेंट फ्रेम स्कूल शिक्षा के लिए नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क (एनसीएफएसई) और ओवरऑल प्रोग्रेस कार्ड के प्रावधानों के अनुरूप होगा, जिसे स्कूल रिपोर्ट कार्ड को एनसीएफएसई के साथ पुनः संरेखित करने के सरकार के प्रयास के हिस्से के रूप में डेवलप किया गया है.
बोर्ड परीक्षा देने वाले कक्षाओं की सीसीटीवी रिकॉर्डिंग पर, मिनट्स में कहा गया है कि "निहित स्वार्थ वाला कोई भी व्यक्ति परीक्षा को खराब कर सकता है", और कहा गया है कि "रीयल टाइम फीडबैक परीक्षा को उचित तरीके से संचालित करने के लिए जरूरी जानकारी देता है."
प्रस्ताव में स्कूलों को क्लास में सीसीटीवी कैमरे लगाने का निर्देश देना शामिल है, जिसका आंशिक खर्च सीबीएसई द्वारा वहन किया जाएगा. इसमें सीबीएसई मुख्यालय में एक डेटा बैंक बनाने की भी बात शामिल है, जिसमें परीक्षा केंद्र वेब लिंक के माध्यम से प्रत्येक परीक्षा दिवस के लिए सीसीटीवी रिकॉर्डिंग जमा कर सकते हैं.
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प्रस्ताव को 2025 की परीक्षा से लागू किया जाना है और बेसिक इन्फ्रास्ट्रक्चर की जरूरत, एग्जीक्यूशन, "आईटी सिस्टम एफिशिएंसी" और स्कूलों से इक्ट्ठा किए गए डेटा के संचालन का आकलन करने के लिए एक समिति का गठन किया जाना है.
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प्रस्ताव में कहा गया है कि पायलट प्रोजेक्ट के रूप में किसी क्षेत्र के कम से कम 30 फीसदी केन्द्रों को इसमें शामिल किया जा सकता है, तथा उसके बाद इसे सभी केन्द्रों तक विस्तारित किया जा सकता है.
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