देखने में 'कश्मीर की कली', लेकिन हैं चिंगारी... कई आतंकियों का किया खात्मा, मिलिए JK की पहली लेडी पुलिस ऑफिसर से
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देखने में 'कश्मीर की कली', लेकिन हैं चिंगारी... कई आतंकियों का किया खात्मा, मिलिए JK की पहली लेडी पुलिस ऑफिसर से

Shahida Parveen Ganguly: शाहिदा के लिए अपनी राह बनाना आसान नहीं था, लेकिन हमेशा से ही साहसी शाहिदा ने हर चुनौती को स्वीकार किया और आगे बढ़ती गईं. आइए जानते हैं इस महिला पुलिस ऑफिसर के संघर्ष और सफलता की कहानी...

देखने में 'कश्मीर की कली', लेकिन हैं चिंगारी... कई आतंकियों का किया खात्मा, मिलिए JK की पहली लेडी पुलिस ऑफिसर से

Encounter Specialist Police Officer Shahida Parveen Ganguly: एक समय जब भारतीय महिलाओं को कम आंका जाता था और उन पर घर में ही रहने का दबाव था. खास तौर पर मुस्लिम समुदाय की महिलाओं पर कड़ी पाबंदिया हुआ करती थी. उस समय में शाहिदा परवीन ने वो कर दिखाया जो इन हालातों में सोचना भी नामुमकिन था. ये वो समय था जब जम्मू में आतंकवाद चरम पर था, तब शाहिदा ने जम्मू-कश्मीर पुलिस जॉइन करने का फैसला किया. जाहिर है उनके लिए यह राह बिल्कुल भी आसान नहीं थी. 

शाहिदा परवीन गांगुली पूर्व सहायक पुलिस आयुक्त, सीआईडी ​​सेल जम्मू और कश्मीर और लेडी एनकाउंटर स्पेशलिस्ट, जो जम्मू-कश्मीर पुलिस में पहली महिला पुलिस अधिकारी रहीं. एक महिला के रूप में पुलिस बल में अपनी जगह बनाने के लिए  Shahida Parveen Ganguly को काफी संघर्ष करना पड़ा. 

ऐसा रहा छोटे शहर से एसीपी बनने का सफर

शाहिदा परवीन का जन्म पुंछ में हुआ और वह वहीं पर पली-बढ़ीं. शाहिदा अपने 6 भाई-बहनों में सबसे छोटी हैं, लेकिन उनके सपने सबसे बड़े थे.  बताया जाता है कि जब शाहिदा केवल चार साल की थी, तब उनके पिता की मौत हो गई थी. ऐसे में बच्चों संभालने के साथ ही अब घर चलाने की जिम्मेदारी भी उन्हीं को निभानी थी, लेकिन उस समय सामाजिक रूढ़ियों के चलते शाहिदा की मां काम पर नहीं जा सकीं. ऐसे में परिवार को पालने की जिम्मेदारी शाहिदा के भाई के कंधों पर आ गईं. 

हालांकि,  इतनी कठिनाइयों के बावजूद, शाहिदा की मां ने अपने सभी बच्चों की पढ़ाई पूरी कराने का तय किया. शाहिदा परवीन ने पुंछ डिग्री कॉलेज से मैथ्स में ग्रेजुएशन किया. इसके बाद भी उनके लिए आर्थिक परेशानियां कम नहीं हुई. ऐसे में शाहिदा ने बच्चों को टयूशन पढ़ाने से लेकर,  रेडियो स्टेशन में अनाउंसर की भी नौकरी की. 

इसी बीच शाहिदा को अपने भाई के साथ शिफ्ट होना पड़ा, जहां उन्होंने खाना बनाना सीखा. वह बताती हैं कि खाना बनाना कभी भी उनकी प्रायरिटी नहीं थी और ना ही वह इस काम में सहज महसूस करती थीं.

बढ़ती गईं मंजिल की ओर 

एक बार उन्होंने पुलिस भर्ती की वैकेंसी देखी और घर में किसी को बताए बिना ही फॉर्म भर दिया. दरअसल, उनके घर में इस तरह का माहौल नहीं था कि वह अपनी इच्छा सबके सामने रख पातीं. मीडिया को दिए इंटरव्यू के दौरान उन्होंने बताया था कि कैसे उन्होंने अपने सारे इंटरव्यू भी छुपकर दिए थे, लेकिन शाहिदा की मां हमेशा से सब जानती थीं, वही थीं जो सुबह-सुबह शाहिदा को ग्राउंड लेकर जाती थी, ताकि शाहिदा रनिंग प्रैक्टिस कर सके.  इस तरह उनकी मेहनत रंग लाई और उन्होंने अपनी सफलता हासिल कर ही ली. आज वे दिल्ली में एसीपी के पद पर कार्यरत हैं. 

हार्ड वर्किंग, साहसी और कभी न हार मानने वाली शाहिदा परवीन गांगुली न हमेशा बेखौफ होकर जाती हैं, तभी तो उनके नाम कई कीर्तिमान दर्ज हैं.2020 में उन्हें महाराष्ट्र के गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी द्वारा ड्रीम अचीवर्स पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. 

संवेदनशील क्षेत्रों में काम करने और किसी भी खतरे का सामना करने के बारे में भी वह खुलकर कहती है कि उन्हें किसी भी चीज से बिल्कुल भी नहीं डर नहीं लगता. शाहिदा कहती हैं, "ईमानदारी से कहूं तो डर जैसी कोई चीज नहीं है, यह सिर्फ आपके आंतरिक विचार हैं."

एनकाउंटर स्पेशलिस्ट

स्पेशल ऑपरेशंस ग्रुप (SOG) की कमांडो रहते हुए शाहिदा ने 1997-2002 के बीच राजौरी और पुंछ जिलों में बहुत से आतंकवादियों से लोहा लिया मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक शाहिदा ने कई आतंकियों को मार गिराया. शाहिदा कहती हैं कि इन पांच सालों में वह हर दिन एक एनकाउंटर करती थीं, इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि उन्होंने कितनों दुश्मनों का खात्मा किया. इसके बाद उनकी पहचान एनकाउंटर स्‍पेशलिस्‍ट के तौर पर बनी. उन्होंने बहुत से आतंकवादियों का खात्मा किया. काम के प्रति उनकी लगन का ही नतीजा है कि आज उनका नाम लेडी पुलिस ऑफिसर एनकाउंटर स्पेशलिस्ट में लिया जाता है. 

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