NEET UG क्रैक करने के लिए क्या ड्रॉप ईयर जरूरी है?
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NEET UG क्रैक करने के लिए क्या ड्रॉप ईयर जरूरी है?

Drop Year for NEET: यदि आप डॉक्टर बनने के प्रति गंभीर हैं और सोचते हैं कि तैयारी के लिए ज्यादा टाइम मिलने पर आप बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं, तो NEET UG की तैयारी के लिए एक साल ड्रॉप लेना एक अच्छा विकल्प हो सकता है.

NEET UG क्रैक करने के लिए क्या ड्रॉप ईयर जरूरी है?

भारत में, मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन पाने के लिए हर साल लाखों स्टूडेंट्स NEET UG देते हैं. हालांकि, हर कोई पहले प्रयास में ही अपनी पसंद का कॉलेज पाने में सफल नहीं हो पाता है. कई छात्र इस निर्णय से जूझते हैं कि NEET परीक्षा देने से पहले एक साल का ड्रॉप लेना है या नहीं. एक साल का ड्रॉप लेने का कठिन विकल्प चुनने से स्टूडेंट के इमोशनल और एकेडमिक लाइफ पर जबरदस्त प्रभाव पड़ सकता है.

भारत में सबसे कठिन प्रतियोगी परीक्षाओं में से एक के लिए बायोलॉजी, फिजिक्स और कैमिस्ट्री जैसे कोर्सेज की गहन समझ की जरूरत होती है. हालांकि सभी अपने पहले प्रयास में सफल नहीं हो पाते, कई इसे करने के लिए सालों की कोचिंग लेते हैं. इस स्थिति में "ड्रॉप ईयर" लेना एक विकल्प बन जाता है. परीक्षा की तैयारी पर पूरी तरह से फोकस करने के लिए, ड्रॉप ईयर दो एकेडमिक ईयर के बीच का ब्रेक होता है. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, एक ही समय में स्कूल और कोचिंग दोनों में हिस्सा लेने की बाध्यता नहीं होने के कारण, यह स्टूडेंट्स को अपना पूरा समय अपनी पढ़ाई के लिए समर्पित करने में सक्षम बनाता है.

ड्रॉप ईयर के फायदे

1. NEET की तैयारी: ड्रॉप ईयर के साथ, छात्र अपनी पढ़ाई के सिर्फ इसी पहलू पर फोकस कर सकते हैं. बाहरी डिस्ट्रेक्शन के बिना, वे सब्जेक्ट की ठीक से समीक्षा कर सकते हैं, प्रक्टिस पेपर दे सकते हैं, और अपने सबसे कमज़ोर फील्ड पर फोकस कर सकते हैं.

2. बेहतर टाइम मैनेजमेंट: छात्र पढ़ाई के लिए ज़्यादा समय निकाल सकते हैं और कठिन सब्जेक्ट की अपनी समझ को मज़बूत कर सकते हैं, जब उन पर स्कूल या कॉलेज के कामों का बोझ नहीं होता. अपनी पसंदीदा स्पीड और सीखने के स्टाइल को ध्यान में रखते हुए, वे एक व्यक्तिगत शेड्यूल डिजाइन कर सकते हैं.

3. आत्मविश्वास में बढ़ोतरी: NEET की तैयारी करते समय स्कूल का काम पूरा करना बहुत तनावपूर्ण हो सकता है. चूंकि उनके पास समय की कमी नहीं होती, इसलिए ड्रॉपआउट ईयर बच्चों को आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए मानसिक रूप से पर्याप्त समय देते हैं.

4. अपनी पिछली गलतियों पर काबू पाएं: NEET देने वाले छात्रों को अपनी कमजोरियों का पहले से ही पता होता है. एक साल की छुट्टी उन्हें यह देखने का मौका देती है कि उन्होंने कहां गलतियां कीं, उनसे सीख लें और अगली बार अपनी अप्रोच में सुधार करें.

ड्रॉप ईयर की कठिनाइयां

1. मन और भावनाओं पर दबाव: एक साल ड्रॉप लेना भावनात्मक रूप से थका देने वाला हो सकता है, खासकर तब जब आप अपने दोस्तों को आगे बढ़ते हुए देखते हैं जबकि आप स्कूल में रहकर तैयारी करते हैं. असंतोष, आत्म-संदेह या असफलता से संबंधित भय का एक्स्पीरिएंस करना संभव है. पॉजिटिव अप्रोच रखना जरूरी है.

2. रिजल्ट की अनिश्चितता: खराब प्रदर्शन के बावजूद भी सफलता की गारंटी नहीं होती. छात्रों को अनिश्चितता का बहुत ज़्यादा अहसास हो सकता है. इसलिए, तैयारी में पूरा साल बिताने के बाद भी, किसी को बाधाओं का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए.

3. माता-पिता और समाज का दबाव: ड्रॉप ईयर लेने के लिए हमेशा माता-पिता या परिवार के अन्य सदस्यों का पूरा समर्थन नहीं मिल पाता है. साथियों के दबाव और दूसरों से अपने डेवलपमेंट की तुलना करने से तनाव बढ़ सकता है. भावनात्मक समर्थन प्राप्त करना और परिवार के सदस्यों के साथ संवाद बनाए रखना जरूरी है.

4. एकेडमिक जर्नी में गैप: कुछ छात्रों को यह परेशान करने वाला लग सकता है कि उनका ड्रॉप ईयर है, जो उनके एकेडमिक शेड्यूल में एक ब्रेक का संकेत देता है. हालांकि, यदि आप ड्रॉप ईयर के बाद मेडिकल सीट प्राप्त करने में सक्षम हैं, तो यह कोई बड़ी समस्या नहीं है.

ड्रॉप ईयर लेने से पहले विचार करने योग्य बातें

सेल्फ इवेल्यूएशन: यह निर्णय लेने से पहले अपने पिछले प्रदर्शन को देखें. तय करें कि क्या एक साल की ड्रॉप लेने से आपके अवसरों में कोई बड़ा अंतर आएगा. इस बारे में सोचें कि क्या आपके पास अभी भी एक और साल कड़ी मेहनत करने की इच्छाशक्ति और सेल्फ कंट्रोल है.

अल्टरनेटिव स्ट्रेटजी: प्लान बी रखना एक अच्छा विचार है. ड्रॉप ईयर के बाद, इस बात पर विचार करें कि अगर चीजें योजना के मुताबिक नहीं होती हैं तो आप क्या करेंगे? अगर NEET आपके लिए सबसे उपयुक्त नहीं है, तो अन्य मेडिकल स्पेशलिटी या फील्ड (जैसे पैरामेडिकल स्टडीज) पर विचार करें.

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हेल्थ एंड वेल-बीइंग: ड्रॉप ईयर के दौरान, अपने फिजिकल और इमोशनल हेल्थ का ध्यान रखना न भूलें. रेगुलर व्यायाम, हॉबी और ब्रेक, बेलेंस बनाए रखने में मदद कर सकते हैं क्योंकि लगातार तैयारी थका देने वाली हो सकती है.

NEET UG की तैयारी के लिए एक साल ड्रॉप लेना एक समझदारी भरा फैसला हो सकता है. फायदे और नुकसान पर पूरी तरह से विचार करना जरूरी है, और अगर आप ड्रॉप करने का फैसला करते हैं, तो सुनिश्चित करें कि आपके पास एक मजबूत प्लान और हेल्प नेटवर्क है.

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