Agniveer Recruitment Eligibility: 2022 में अग्निपथ योजना की शुरुआत के बाद से सेना में एक अग्निवीर की खुद को लगी चोट से मौत हो गई. पिछले साल नौसेना में एक महिला अग्निवीर ने आत्महत्या कर ली थी.
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Agniveer Scheme Psychological Assessment: सशस्त्र बलों में अग्निवीरों के चयन के लिए एक बेसिक साइकोलॉजिकल टेस्ट तैयार करने से लेकर, एरियर ऑब्जेक्ट्स को नष्ट करने के लिए डायरेक्टेड एनर्जीव वेपन सिस्टम डेवलप करने और इसके तहत सर्टिफिकेट बॉडीज को वैधानिक दर्जा देने तक, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) को इस साल कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं के पूरा होने की उम्मीद है.
द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, अधिकारियों ने बताया कि विकसित किया जा रहा बेसिक असेस्मेंट टेस्ट सेना, नौसेना और भारतीय वायु सेना द्वारा चयनित अग्निवीरों के मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन में सहायता करेगा. उम्मीद है कि डीआरडीओ के तैयार होते ही इसे इसी साल सशस्त्र बलों द्वारा अपना लिया जाएगा.
वर्तमान में, संभावित अग्निवीरों के लिए पात्रता मानदंड तय एजुकेशनल क्वालिफिकेशन हैं जो उन्हें ऑनलाइन सामान्य प्रवेश परीक्षा देने की अनुमति देती हैं. जो लोग पास होते हैं, उन्हें बाद में फिजिकल फिटनेस और मेजरमेंट टेस्ट से गुजरना पड़ता है, उसके बाद फाइनल मेरिट लिस्ट तैयार होने से पहले मेडिकल टेस्ट से गुजरना पड़ता है.
अग्निपथ योजना के शुरू होने से पहले भर्ती किए गए अग्निवीरों या नियमित सैनिकों के लिए भर्ती के दौरान कोई साइकोलॉजिकल मूल्यांकन टेस्ट नहीं किया गया था. हालांकि, अधिकारियों को सेवा चयन बोर्ड द्वारा लिखित परीक्षा और इंटरव्यू से गुजरना पड़ता है, जहां उनके साइकोलॉजिकल मापदंडों का मूल्यांकन किया जाता है.
डीआरडीओ के अंतर्गत रक्षा मनोवैज्ञानिक अनुसंधान संस्थान (डीआईपीआर) सशस्त्र बलों के कर्मियों के लिए साइकोलॉजिकल पर रिसर्च करता है. पिछले साल, डीआईपीआर द्वारा डेवलप साइकोमेट्रिक टेस्ट का परीक्षण अग्निवीर उम्मीदवारों के लिए एक भर्ती रैली में टेस्ट के आधार पर किया गया था.
रक्षा बल के कर्मचारी लंबे समय तक कठिन इलाकों में एकांत में काम करते हैं और काम की परिस्थितियां बहुत तनावपूर्ण होती हैं. साइकोलॉजिकल असेस्टमेंट टेस्ट कर्मियों की मानसिक फिटनेस और ऐसी सिचुएशन में काम करने की क्षमता का आकलन करने में मदद करता है.
2022 में अग्निपथ योजना की शुरुआत के बाद से सेना में एक अग्निवीर की खुद को लगी चोट से मौत हो गई. पिछले साल नौसेना में एक महिला अग्निवीर ने आत्महत्या कर ली थी और इस साल जुलाई में भारतीय वायुसेना में एक अग्निवीर की संतरी ड्यूटी के दौरान आत्महत्या से मौत हो गई. अधिकारियों ने बताया कि टेस्ट के अलावा भारतीय वायुसेना के लिए AEW&C-KI की फाइनल ऑपरेशनल मंजूरी प्रदान करना भी इस साल DRDO की प्राथमिकता लिस्ट में शामिल है.
नेत्र नामक इन प्लेटफार्मों का उपयोग दुश्मन के विमानों या यूएवी का पता लगाने और उन पर नजर रखने के लिए किया जाता है, साथ ही ये विमान पर और जमीन पर मौजूद ऑपरेटरों को खतरे की पहचान करने, उसका आकलन करने और उन्हें मार गिराने के लिए इंटरसेप्टर को गाइड करने में सक्षम बनाते हैं. वर्तमान में, दो AEW&C सिस्टम का उपयोग भारतीय वायुसेना द्वारा अलग अलग ऑपरेशनों के लिए किया जा रहा है, क्योंकि उन्हें प्रारंभिक ऑपरेशन मंजूरी (IOC) प्रदान की गई है.
डीआरडीओ एरियल ऑब्जेक्ट्स को निशाना बनाकर मार गिराने के लिए 30 किलोवाट के डायरेक्टेड एनर्जी वेपन (डीईडब्ल्यू) सिस्टम के डेवलपमेंट को भी प्राथमिकता दे रहा है. यह एक ऐसी खास तकनीक है जिसका टेस्ट और इस्तेमाल मुट्ठी भर एडवांस्ड सेनाओं द्वारा किया जा रहा है.
छोटे और उन्नत मानवरहित एरियल व्हीकल्स (यूएवी) के एक महत्वपूर्ण सुरक्षा खतरे के रूप में उभरने की बैकग्राउंड में, यह सिस्टम दुश्मन के असेट्स से लड़ने के लिए फोकस्ड इलेक्ट्रोमेग्नेटिक एनर्जी का उपयोग करती है.
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पिछले साल, एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने कहा था कि भारत के रक्षा उद्योगों को ऐसे एडवांस्ड हथियारों के डेवलपमेंट को बढ़ावा देने और डिजायर रेंज और सटीकता प्राप्त करने के लिए उन्हें अपने हवाई प्लेटफार्मों में इंटीग्रेट करने की जरूरत है. उन्होंने कहा था कि डीईडब्ल्यू, विशेष रूप से लेजर, पारंपरिक हथियारों की तुलना में महत्वपूर्ण लाभ प्रदान करते हैं जैसे कि सटीक इंगेजमेंट, लॉ कॉस्ट पर शॉट, लॉजिस्टिकल बेनिफिट्स और लॉ डिटेक्टेबिलिटी.