Success Story: पापा नहीं चाहते थे बेटी करे पढ़ाई, रंग लाई बिटिया मेहनत और बन गई 'पुलिस'
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Success Story: पापा नहीं चाहते थे बेटी करे पढ़ाई, रंग लाई बिटिया मेहनत और बन गई 'पुलिस'

Police Constable Success Story:  उसकी मेहनत रंग लाई और दसवीं क्लास में टॉप कर गई. वो पढ़ाई में ही नहीं, ज़िंदगी जीने के हुनर में भी बहुत अच्छी साबित हुई.

Success Story: पापा नहीं चाहते थे बेटी करे पढ़ाई, रंग लाई बिटिया मेहनत और बन गई 'पुलिस'

Success Story of Kavita: कविता, तेलंगाना के नारायणपेट जिले के एक दूरदराज के गांव में पैदा हुई और पली-बढ़ी. परिवार में सात लोग हैं, कविता बहुत कमिटमेंट वाली है. उनका परिवार इनकम के लिए खेती पर निर्भर था. स्टडी मटेरियल, स्टेशनरी की कमी और सबसे बढ़कर सेल्फ स्टडी के लिए समय की कमी जैसी चुनौतियों का सामना करने के बावजूद, कविता पढ़ाई जारी रखने के लिए अडिग थीं.

2014 में, जब वह छठी क्लास में एंटर की, तो कविता रूम टू रीड के गर्ल्स एजुकेशन प्रोग्राम में शामिल हुईं.उस समय, कविता के पिता फैमिली की ट्रेडिशन और उनके घर से स्कूल की दूरी के कारण उनकी पढ़ाई जारी रखने के खिलाफ थे. हालांकि, सीखने के प्रति कविता के जुनून ने उसे फोकस्ड रखा, और उसने सुनिश्चित किया कि बाधाओं के बावजूद पढ़ाई पर असर न पड़े.

हालांकि स्वाभाविक रूप से इंट्रोवर्ड और बिना दोस्तों के, कविता ने एक्टिवली एकेडमिक्स और लाइफ स्किल एक्टिविटीज में हिस्सा लिया. अपने गांव और अपने परिवार के माहौल से परे दुनिया के सीमित संपर्क ने उसके शांत व्यवहार में योगदान दिया. पहली जेनरेशन की सीखने वाली होने के नाते, कविता को अतिरिक्त चुनौतियों का सामना करना पड़ा, लेकिन रूम टू रीड की सोशल वर्कर, ममता के सपोर्ट और गाइडेंस से, कविता ने धीरे-धीरे सेल्फ कॉन्फिडेंस हासिल किया.

कविता आगे बढ़ती गई और स्टेज पर परफॉर्म करने से लेकर क्लास में एक्टिव रहने तक, हर चीज में बेहतर होती गई, लेकिन जब वो नौवीं क्लास में थीं, उसके पिता को कोरोना हो गया और घर की हालत खराब हो गई. पापा चाहते थे कि वो स्कूल छोड़कर काम करने लगे.

लेकिन कविता ने हार नहीं मानी. उसने टीचर की मदद ली और मां-बाप को समझाया कि वो पढ़ाई भी करेगी और घर का भी ख्याल रखेगी. उसकी मेहनत रंग लाई और दसवीं क्लास में टॉप कर गई. वो पढ़ाई में ही नहीं, ज़िंदगी जीने के हुनर में भी बहुत अच्छी साबित हुई.

स्कूल खत्म करने के बाद, कविता कॉलेज जाने लगी और साथ ही घरवालों की भी मदद करती रही. सब चाहते थे कि वो जल्दी शादी कर ले, लेकिन कविता ने मन बना लिया था कि पहले करियर बनाएगी, फिर शादी करेगी. कॉलेज के पहले साल में, वो राज्य सरकार की SHE टीम से बहुत प्रभावित हुई. इस पुलिस वाली टीम का काम था महिलाओं की सुरक्षा करना. कविता ने सोचा, क्यों न वो भी पुलिस बन जाए और लोगों की मदद करे. उसने कांस्टेबल बनने की तैयारी शुरू कर दी.

कविता ने बहुत मेहनत की और पुलिस कांस्टेबल बनने का सपना देखा. स्कूल में, वो पुलिस वाले लोगों से मिली और उनके काम को देखकर बहुत प्रभावित हुई. उसने समाज में लड़कियों की पढ़ाई के लिए भी काम किया और लोगों को समझाया कि लड़कियां-लड़के बराबर हैं. इन सब चीजों ने उसे पुलिस बनने का मन बना दिया. आखिरकार, उसकी मेहनत रंग लाई और उसे पुलिस कांस्टेबल बनने का मौका मिला.

कविता आज भी अपने सपनों को पूरा करने के लिए मेहनत कर रही हैं. पुलिस की ट्रेनिंग के साथ-साथ पढ़ाई भी जारी रखते हुए, वो एक ऐसी दुनिया बनाना चाहती हैं जहां हर लड़की को बराबरी का मौका मिले.

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