IPS Success Story: सनी देओल की फिल्म देखी और तय किया IPS बनना है, पढ़िए एक सिपाही के अफसर बनने की कहानी
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IPS Success Story: सनी देओल की फिल्म देखी और तय किया IPS बनना है, पढ़िए एक सिपाही के अफसर बनने की कहानी

Manoj Kumar Rawat IPS: जब मनोज रावत ने साल 2014 और 2015 में यूपीएससी का एग्जाम दिया तो उन्होंने प्री तो क्लियर कर लिया लेकिन मेन्स क्वालिफाई नहीं कर पाए. इसके बाद साल 2017 में उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा तो पास कर ली लेकिन मनचाहा पद नहीं मिला 

IPS Success Story: सनी देओल की फिल्म देखी और तय किया IPS बनना है, पढ़िए एक सिपाही के अफसर बनने की कहानी

IPS Manoj Rawat Success Story: कहते हैं जब हमें मोटिवेशन मिल जाता है और टारगेट सेट कर लेते हैं तो फिर उसके मुताबिक ही अपनी तैयारी करते हैं. आज हम आपको एक ऐसी ही स्टोरी के बारे में बता रहे हैं जिन्हें एक फिल्म देखकर मोटिवेशन मिला और फिर टारगेट सेट कर लिया. हम बात कर रहे हैं आईपीएस अफसर मनोज रावत. मनोज रावत ने सनी देओल की फिल्म इंडियन देखी थी. इस फिल्म मे सनी देओल ने एक आईपीएस अफसर की भूमिका निभाई है. बस इसी से इंस्पायर होकर मनोज ने तय कर लिया कि उन्हें एक आईपीएस अफसर ही बनना है.

साल था 2008 मनोज रावत के पिता की नौकरी चली गई थी. उनकी मां हाउस वाइफ थीं. मनोज 3 भाई बहनों में सबसे बड़े थे तो परिवार की जिम्मेदारी उनके कंधों पर आ गई. उस समय राजस्थान पुलिस में कांस्टेबल के पद पर नौकरी निकली हुई थीं. उन्होंने आवेदन किया और नौकरी मिल गई. इसके बाद मनोज ने पढ़ाई नहीं छोड़ी. उसी दौरान पॉलिटिकल साइंस में उन्होंने एमए किया.  

इसके बाद मनोज ने साल 2013 में मनोज को कोर्ट में क्लर्क की नौकरी मिल गई. नौकरी मिलने के बाद कॉन्स्टेबल के पद से रिजाइन कर दे दिया. यह सिलसिला यहीं नहीं रुका. वह लगातार यूपीएससी की तैयारी करते रहे और इसी दौरान उन्हें सीआईएसएफ में भी नौकरी मिली थी लेकिन बनना तो आईपीएस था इसलिए नौकरी को जॉइन नहीं किया. 

जब उन्होंने साल 2014 और 2015 में यूपीएससी का एग्जाम दिया तो उन्होंने प्री तो क्लियर कर लिया लेकिन मेन्स क्वालिफाई नहीं कर पाए. इसके बाद साल 2017 में उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा तो पास कर ली लेकिन मनचाहा पद नहीं मिला तो उन्होंने तैयारी करना जारी रखा. फिर आया साल 2019 जब उन्होंने यूपीएससी क्लियर किया और आईपीएस अफसर भी बन गए. मनोज रावत द्वारा तीन-तीन सरकारी नौकरियां छोड़ देने का कुछ लोगों ने विरोध भी किया, लेकिन मनोज के परिवार वाले उनके फैसले साथ खड़े रहे.

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