Puja Khedkar Controversy: दिव्यांगता कोटे के तहत चयनित होने वाली विवादास्पद प्रोबेशनरी IAS ऑफिसर पूजा खेडकर को लेकर देश भर में चर्चाएं जोरो पर हैं. इस मामले पर सीनियर IAS ऑफिसर की तीखी प्रतिक्रिया से सोशल मीडिया पर बवाल मचा है.
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IAS Smita Sabharwal on Disability Quota: ट्रेनी आईएएस ऑफिसर को लेकर आए दिन कोई न कोई नई बात न्यूज चैनलों और अखबारों में सुर्खियां बटोर रही हैं. बात पूजा के दिव्यांग कोटे पर आकर अटक गई है. अब इस मामले को लेकर देश का बुद्धजीवी वर्ग दो हिस्सों में बंट गया है. इसी बीच एक सीनियर आईएएस ऑफिसर ने अखिल भारतीय सेवाओं (AIS) में दिव्यांगता कोटे की जरूरत पर सवाल उठाकर एक नया विवाद पैदा कर दिया है. आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला...
सोशल मीडिया पर घमासान
हम बात कर रहे है सीनियर महिला आईएएस ऑफिसर स्मिता सभरवाल की, जिनकी एक पोस्ट ने सोशल मीडिया पर बवाल मचा कर रखा है. इतना ही नहीं दिव्यांगता कोटे को लेकर की गई तीखी प्रतिक्रिया के चलते उन्हें सालों के सर्विस करियर में उनकी सोच को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं. हालांक, उनके सपोर्ट में कई लोग खड़े हैं, जिन्होंने उनके इसकी बात को जायज ठहराया है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर सीनियर आईएएस ने एक पोस्ट डाला है, जिसे लेकर घमासान मचा है.
दिव्यांगता कोटे की क्या जरूरत: IAS स्मिता
पोस्ट में IAS स्मिता सभरवाल ने लिखा, "दिव्यांगों के प्रति पूरा सम्मान है, लेकिन क्या कोई एयरलाइन दिव्यांग पायलट को काम पर रखती है? या आप दिव्यांग सर्जन पर भरोसा करेंगे? एआईएस (आईएएस/आईपीएस/आईएफओएस) की प्रकृति फील्ड-वर्क, लंबे समय तक काम करने वाले घंटे, लोगों की शिकायतों को सीधे सुनना है, जिसके लिए शारीरिक फिटनेस जरूरी होती है. इस प्रमुख सेवा को पहले स्थान पर इस कोटे की जरूरत क्यों है!"
As this debate is blowing up-
With all due respect to the Differently Abled.
Does an Airline hire a pilot with disability? Or would you trust a surgeon with a disability.The nature of the is field-work, long taxing hours, listening first hand to…
Smita Sabharwal (SmitaSabharwal) July 21, 2024
पोस्ट वायरल होते ही मचा बवाल
जैसे ही तेलंगाना वित्त आयोग की सदस्य-सचिव स्मिता सभरवाल की यह पोस्ट वायरल हुई तो बवाल मच गया और इस पर तीखी प्रतिक्रियाएं आईं. इतना ही नहीं कई लोगों ने इसे "त्रुटिपूर्ण तर्क" और अज्ञानतापूर्ण बताया.
शिवसेना सांसद ने IAS के नजरिए पर उठाए सवाल
शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने IAS सभरवाल के इस पोस्ट पर अपना फीडबैक देते हुए इसे "दयनीय" नजरिया बताया. प्रियंका ने कहा, "यह बहुत दयनीय और बहिष्कारपूर्ण नजरिया है. यह देखना दिलचस्प है कि नौकरशाह किस तरह से अपने सीमित विचार और अपने विशेषाधिकार दिखा रहे हैं."
This is such a pathetic and exclusionary view to have. Interesting to see how bureaucrats are showing their limited thoughts and their privilege too
Priyanka Chaturved (priyankac19) July 21, 2024
IAS ने भी लिया आड़े हाथों
शिवसेना सांसद की इस बात का तुरंत जवाब देते हुए सभरवाल ने कहा, "मैडम, पूरे सम्मान के साथ, अगर नौकरशाह शासन के प्रासंगिक मुद्दों पर बात नहीं करेंगे, तो कौन करेगा? मेरे विचार और चिंता 24 साल के करियर से उपजी हैं. कोई सीमित अनुभव नहीं. कृपया पूरा नजरिया पढ़ें. मैंने कहा है कि एआईएस की अन्य केंद्रीय सेवाओं की तुलना में अलग जरूरतें हैं. प्रतिभाशाली दिव्यांगों को निश्चित रूप से बेहतरीन अवसर मिल सकते हैं."
Madam, with due respect, if bureaucrats do not speak on pertinent issues of governance, then who will ? My thoughts and concern, stem from a career of 24 odd years… no limited experience.
Kindly read the view in entirety. I have stated that the has different demands
Smita Sabharwal (SmitaSabharwal) July 21, 2024
इस पर चतुर्वेदी ने आईएएस की फिर से तीखी आलोचना की और लिखा, "मैंने नौकरशाहों को ईडब्ल्यूएस/नॉन क्रीमी लेयर या दिव्यांगता जैसे कोटे के दुरुपयोग और सिस्टम में शामिल होने की आलोचना करते नहीं देखा, बल्कि विविधता और समावेश को बढ़ावा देने वाले आरक्षण को खत्म करने की बात करते देखा है. मुझे नहीं पता कि सेवा में बिताए गए वर्षों की संख्या के बारे में आपका कहना आपके दृष्टिकोण से कैसे प्रासंगिक है. फिर भी धन्यवाद."
I haven’t seen bureaucrats criticising the misuse of the quota such as EWS/Non creamy layer or Disabilities and getting into the system but rather about doing away with a reservation that promotes diversity and inclusion. I don’t know how you telling about the number of years in
Priyanka Chaturved (priyankac19) July 21, 2024
इस मुद्दे को लेकर आईएएस सभरवाल को तीखी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है. सभरवाल को सोशल मीडिया पर छीड़ी इस बहस में'विकलांगता के बारे में मौलिक रूप से अनभिज्ञ' जैसे टाइटल दिए गए.
डायवर्सिटी की है जरूरत
सुप्रीम कोर्ट की सीनियर वकील करुणा नंदी ने कहा, "आश्चर्य है कि एक आईएएस अधिकारी बुनियादी तौर पर विकलांगता के बारे में इतना अनभिज्ञ होगा. अधिकांश विकलांगताओं का सहनशक्ति या बुद्धिमत्ता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है, लेकिन यह ट्वीट दिखाता है कि ज्ञान और विविधता की सख्त जरूरत है."
Amazed that an IAS officer would be so fundamentally ignorant about disability. Most disabilities have no impact on stamina. Or intelligence. But this tweet shows enlightenment and diversity are badly needed.
Karuna Nundy (karunanundy) July 21, 2024
विकलांगता अधिकार कार्यकर्ता ने दिया जवाब
सभरवाल को जवाब देते हुए विकलांगता अधिकार कार्यकर्ता डॉ. सतेंद्र सिंह ने कहा, "डियर स्मिता सभरवाल जी, हां, भारत में भी यूरोलॉजी, गैस्ट्रो सर्जरी और प्लास्टिक सर्जरी जैसे क्षेत्रों में कई विकलांग सर्जन हैं. इसलिए जब आप अगली बार किसी विकलांग व्यक्ति को देखें, तो योग्यता मान लें!!"
खुद को करें शिक्षित: NCPEDP ट्रस्टी
वहीं, NCPEDP ट्रस्टी अरविंद गुप्ता ने कहा, "@ncpedp_india के ट्रस्टी के रूप में, हम विकलांग लोगों द्वारा हजारों अभिनव परिणाम देखते हैं, जो कई मायनों में प्रेरणादायक है. NCPEDP ने विकलांग लोगों को यूपीएससी में लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और हम उन्हें जागरूकता की कमी के कारण रोजाना संघर्ष करते हुए देखते हैं. अगल दिया जाए तो सार्वभौमिक पारिस्थितिकी तंत्र, विकलांग व्यक्ति समान आधार पर मुख्यधारा के समाज में योगदान कर सकते हैं. अब समय आ गया है कि हम 20 करोड़ भारतीयों को बेहतर भारत में योगदान देने से रोकने के बजाय खुद को शिक्षित करें."
As a trustee of ncpedp_india, we see thousands of innovative outcomes by people with disabilities, which is inspirational in many ways. NCPEDP was instrumental in getting disabled people in UPSC & we see them struggling daily due to lack of awareness. If given a universal… https://t.co/M6TUgDSIUY
Arvind Gupta (buzzindelhi) July 21, 2024