Success Story: चाय वाले के बेटे ने क्लियर किया UPSC एग्जाम, कॉलेज खत्म होने के बाद खुद भी बेचते थे चाय
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Success Story: चाय वाले के बेटे ने क्लियर किया UPSC एग्जाम, कॉलेज खत्म होने के बाद खुद भी बेचते थे चाय

UPSC Success Story: कॉलेज खत्म करने के बाद अपने पिता को चाय की दुकान चलाने में मदद करने वाले मंगेश खिलारी ने 2022 सिविल सेवा परीक्षा में 396 वां स्थान हासिल किया.

Success Story: चाय वाले के बेटे ने क्लियर किया UPSC एग्जाम, कॉलेज खत्म होने के बाद खुद भी बेचते थे चाय

Struggle Story of An Officer: सबसे कठिन प्रतियोगी परीक्षाओं में से एक, संघ लोक सेवा आयोग परीक्षा (यूपीएससी) को पास करना हर किसी के लिए कठिन होता है. यदि आप इस परीक्षा को पास करना चाहते हैं तो कैंडिडेट्स सालों के प्रयास, धैर्य, जुनून और का निवेश करते हैं. सफलता का कोई एक फार्मूला नहीं है. आज हम इस आर्टिकल में मंगेश खिलारी की चर्चा करेंगे क्योंकि उनकी यूपीएससी सफलता की कहानी दिलचस्प है.

कॉलेज खत्म करने के बाद अपने पिता को चाय की दुकान चलाने में मदद करने वाले मंगेश खिलारी ने 2022 सिविल सेवा परीक्षा में 396 वां स्थान हासिल किया. मंगेश अहमदनगर जिले के संगमनेर तालुका के सुकेवाड़ी गांव के रहने वाले हैं, उन्होंने चार साल पुणे में पढ़ाई की है. वह इस उपलब्धि के लिए अपने माता-पिता के मजबूत समर्थन को क्रेडिट देते हैं.

रोजाना 15-16 घंटे करते थे पढ़ाई
मंगेश ने 10वीं कक्षा की पढ़ाई पूरी करने के बाद अपना गांव छोड़ दिया और संगमनेर तालुका में जाकर रहने लगे. राजनीति विज्ञान की डिग्री प्राप्त करने के लिए उन्होंने पुणे का रुख किया. उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया कि,  दो बार इंटरव्यू राउंड तक पहुंचने के बाद मैं तीसरे अटेंप्ट में सफल हुआ. पिछली बार मैं केवल तीन नंबर से रैंक हार गया था. मैं रोजाना 15-16 घंटे पढ़ाई करता था और सोशल मीडिया का इस्तेमाल बंद कर दिया.

यह भी था सपना
मंगेश का कहना है कि उसके दो सपने थे. एक तो वह आईआईटी जाना चाहते थे. जबकि दूसरा यूपीएससी की परीक्षा देकर अधिकारी बनना चाहते थे. आर्थिक तंगी के चलते आईआईटी नहीं जा सके. इसलिए उन्होंने बड़ी लगन और मेहनत से यूपीएससी का रास्ता चुना. इसमें उन्हें दोस्तों और शिक्षकों का सहयोग मिला.

पार्ट टाइम काम भी किया
पुणे में खिलारी कई रूममेट्स के साथ एक छोटे से कमरे में रहते थे। उन्होंने कहा, मुझे छत्रपति शाहू महाराज अनुसंधान, प्रशिक्षण और मानव विकास संस्थान से छात्रवृत्ति मिली थी. जो मेरे लिए एक बड़ी मदद थी. अपनी आय को पूरा करने और अपने माता-पिता पर बोझ न डालने के लिए, मैंने उस कोचिंग संस्थान में पार्ट टाइम टीचर के रूप में भी काम किया, जहां पढ़ाई की थी.

सभी के लिए है सफलता
खिलारी ने कहा, "मेरे माता-पिता को यह नहीं पता था कि यह परीक्षा कितनी जरूरी है, जब तक कि रिजल्ट के बाद मीडियाकर्मी मेरे घर नहीं पहुंचे. वे बेहद खुश हैं. उन्होंने अपने जीवन में बहुत संघर्ष किया है. यह न केवल मेरे लिए, बल्कि मेरे परिवार और उन सभी लोगों के लिए भी सफलता है, जिन्होंने मेरी मदद की है."

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